दिल्ली

उबर कैब रेप मामले में आज फैसला सुना सकती है कोर्ट, ड्राइवर शिवकुमार दोषी करार

दस्तक टाइम्स/एजेंसी: shiv_1446527451नई दिल्ली. उबर कैब रेप केस में कोर्ट आज अपना फैसला सुना सकती है। दिल्ली की तीस हजारी फास्ट ट्रैक कोर्ट ने 20 अक्टूबर को हुई मामले की सुनवाई के दौरान आरोपी ड्राइवर शिवकुमार को दोषी करार दिया था। शिवकुमार पर पिछले साल 5 दिसंबर की रात उबर कैब की टैक्सी में एक महिला यात्री के साथ बलात्कार और गला दबाकर उसका मर्डर करने की कोशिश करने का आरोप था। सूत्रों के मुताबिक फास्ट ट्रैक कोर्ट में मामले में सुनवाई पूरी होने के बाद जस्टिस कावेरी बवेजा मंगलवार को सजा का एलान कर सकती हैं। इस तरह के क्राइम में कम से कम 10 साल की जेल और उम्रकैद की सजा सुनाई जा सकती है।

इन धाराओं में दोषी ठहराया गया है शिवकुमार

तीस हजारी कोर्ट ने 20 अक्तूबर को आरोपी ड्राइवर शिवकुमार यादव को आईपीसी की धारा 376 (2) बलात्कार के दौरान चोट पहुंचाना, जिंदगी खतरे में डालना। 366 शारीरिक संबंध बनाने के इरादे से अपहरण, 506 आपराधिक धमकी और 323 शारिरिक और मानसिक चोट पहुंचाने के क्रिमिनल केस में दोषी ठहराया था। मामले की सुनवाई कर रही स्पेशल फास्ट ट्रैक कोर्ट ने 99 पेज के अपने फैसले में कहा कि चालक ने पीडि़त महिला के शरीर में लोहे की छड़ घुसाने की धमकी दी और उसे 16 दिसंबर 2012 के सामूहिक बलात्कार की घटना भी याद दिलाई।

क्या है मामला?

पिछले साल 5 दिसंबर की रात गुडगांव में काम करने वाली एक लड़की ने वसंत विहार से नॉर्थ दिल्ली के इंद्रलोक में स्थित अपने घर पहुंचने के लिए एप के जरिए उबर कैब से टैक्सी बुक कराई थी। इसी रात आरोपी कैब ड्राइवर शिव ने कैब में ही लड़की से रेप किया था। इस घटना के बाद फरार हो गया। उसे घटना के दो दिन बाद 7 दिसंबर 2014 को यूपी के मथुरा से अरेस्ट कर लिया गया। इस मामले में दोषी करार दिया गया शिवकुमार फिलहाल न्यायिक हिरासत में है।

 
मामले में कब क्या हुआ?
 
 पुलिस ने इस मामले में 6 दिसंबर को एफआईआर दर्ज की।
 24 दिसंबर को कोर्ट में चार्जशीट दाखिल हुई। 7 जनवरी 2015 को फास्ट ट्रैक कोर्ट में इस मामले का ट्रायल शुरू हुआ।
13 जनवरी को आरोपी पर रेप, किडनैपिंग, जान से मारने की कोशिश समेत कई धाराओं में आरोप तय हुए।
 पुलिस ने 31 जनवरी को इस मामले में अपने 28 गवाहों की गवाही पूरी की।
 इस मामले में सबसे बड़ा मोड़ तब आया जा जब आरोपी शिव कुमार यादव के वकील ने 28 लोगों की फिर से गवाही के लिए हाईकोर्ट में अर्जी दी।
 हाईकोर्ट ने 4 मार्च 2015 को 14 गवाहों के बयान दर्ज करने इजाजत दी।
 इस फैसले के खिलाफ दिल्ली पुलिस और पीड़िता ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया। 10 मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने निचली अदालत में चल रहे ट्रायल पर रोक लगा दी।
 सुप्रीम कोर्ट ने 10 सितम्बर को अपने फैसले में दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले को रद्द कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट को जल्द ही इस मामले की सुनवाई पूरी करने का आदेश दिया था।
 20 अक्टूबर को आरोपी शिवकुमार को मामले में दोषी करार दिया गया। अगली सुनवाई 23 अक्टूबर को रखी गई।
23 अक्टूबर को सुनवाई के दौरान सजा सुनाए जाने पर फैसला टला। अदालत ने 3 नवंबर को सजा सुनाने को कहा।
 
पीड़िता को दी थी जान से मारने की धमकी
पीड़िता ने अपने बयान में कहा था कि कैब में बैठने के बाद उसे नींद आ गई थी। कुछ देर बाद उसे महसूस हुआ कि कैब ड्राइवर उसके साथ छेड़छाड़ कर रहा है। पीड़िता ने बाहर निकलने की कोशिश की लेकिन गाड़ी लॉक्ड थी, शिवकुमार ने उसके साथ मारपीट की। धमकी दी कि अगर वह चिल्लाई तो वह उसके अंदर सरिया घुसा देगा।

पीड़िता ने दिखाई थी समझदारी
इस मामले में ड्राइवर दो दिन के भीतर पकड़ा गया था। उसके पीछे पीड़िता की समझदारी थी। पीड़िता का कहना था कि शिवकुमार ने उसका फोन लेकर अपना फोन नंबर डायल किया था ताकि पीड़िता का नंबर उसके पास आ जाए। पीड़िता के मुताबिक, टैक्सी छोड़ते वक्त उसने अपने मंगेतर को एक मैसेज भेजा कि उसका रेप हो गया है लेकिन मैसेज शिवकुमार के पास पहुंच गया। जिसके बाद शिवकुमार ने पीड़िता को दोबारा धमकी दी। शिवकुमार ने जब पीड़िता को उसके घर छोड़ा तो उसने कार की फोटो ले ली जिस पर कार का नंबर साफ नजर आ रहा था। इसके बाद 100 नंबर पर कॉल की थी।

 

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