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एक्शन में योगी, डीएम लें निर्णय, नहीं तो फील्ड छोड़ें

लखनऊ : नमामि गंगे परियोजना के कार्यों की धीमी गति पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने नाराजगी जताई है। उन्होंने जिलाधिकारियों से कहा है कि उन्हें एक ही काम के लिए बार-बार कहना पसंद नहीं। गंगा किनारे के जो भी जिले हैं, वहां के जिलाधिकारी कार्ययोजना बनाकर काम करें। निर्णय लेने की आदत डालें, जो डीएम फैसला नहीं ले सकता है उसे फील्ड में रहने की कोई जरूरत नहीं है। मुख्यमंत्री ने बुधवार को केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत की उपस्थिति में जिलाधिकारियों के साथ वीडियो कांफ्रेसिंग की। जिलाधिकारियों को पाइप पेयजल परियोजना, जल संरक्षण और गंगा एवं उसकी सहायक नदियों की सफाई एवं उनके पुनरोद्धार के संबंध में कई निर्देश दिए। नमामि गंगे परियोजना की समीक्षा के दौरान जल निगम की कई शिकायतें सुन मुख्यमंत्री ने न सिर्फ नाराजगी जताई बल्कि निर्देश दिए कि अधूरे कार्यों के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ एफआईआर कराएं, जेल भेजें। ऐसे लोगों की सम्पत्ति ईडी के सुपुर्द कर दें। यहां तक कहा कि बेहतर होगा कि जल निगम के कार्य को शहरी और ग्रामीण क्षेत्र में बांट दें। मुख्यमंत्री ने कहा कि गांव के तालाब जल संरक्षण के लिए सबसे सहायक माध्यम है। खेत तालाब योजना के जरिए प्रदेश ने बढ़िया काम किया है। मुख्यमंत्री ने अपील की कि गांव के लोग तालाबों को नाबदान ना बनाएं। जिलाधिकारी तलाबों की सफाई के लिए अभियान चलाएं। माटी कला बोर्ड में कुम्हारों को अप्रैल से लेकर जून तक नि:शुल्क मिट्टी देने की जो व्यवस्था की गई है, उससे भी तालाबों के संरक्षण में मदद मिलेगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि ग्राम पंचायत और मनरेगा की थोड़ी सी धनराशि का उपयोग कर सिंचाई और जानवरों के लिए पीने के पानी की व्यवस्था ग्रामीण क्षेत्रों में की जा सकती है। जल संरक्षण, पाइप पेयजल योजना के साथ ही पेयजल की सभी योजनाओं को ठीक से लागू किया जाए। वीडियो कांफ्रेंसिंग के बाद मुख्यमंत्री और केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने संयुक्त प्रेसवार्ता की। मुख्यमंत्री ने कहा कि स्वच्छ भारत अभियान की तर्ज पर 22 जून को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा शुरू किए गए जल जीवन मिशन को भी सफल बनाया जाएगा। उन्होंने कहा कि गंगा का बहाव क्षेत्र सबसे ज्यादा यूपी में है, इसलिए गंगा की स्वच्छता की सबसे बड़ी जिम्मेदारी यहां के नागरिकों की है। योगी ने कहा कि प्रदेश सरकार नये तैयार होने वाले सरकारी भवनों में वर्षा जल के संचयन की व्यवस्था बनाएगी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि यदि केंद्र सरकार मदद करे तो अगले दो साल में ही हम हर गांव और हर घर तक पाइपलाइन के जरिए पानी पहुंचा देंगे। प्रदेश में इस पर चरणबद्ध कार्य शुरू किया जा चुका है। पेयजल की समस्या से जूझ रहे प्रदेश के इलाकों को चार भागों में बांटा गया है। पहले चरण में बुन्देलखंड के जिले, दूसरे चरण में विंध्याचल के जिले, तीसरे चरण में जेई और एईएस से प्रभावित पूर्वांचल के जिले और चौथे चरण में गंगा और यमुना बेसिन के आर्सेनिक और फ्लोराइड प्रभावित जिलों को रखा गया है। पहले और दूसरे चरण के लिए क्रमश: 9000 करोड़ और 6700 करोड़ रुपये का डीपीआर तैयार किया गया है।

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