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एक शिक्षक की वजह से प्राइवेट स्‍कूल छोड़कर सरकारी में पढ़ने आ रहे बच्चे


जूनागढ़ : गुजरात में 14 साल की रवि जेठवा पिछले साल तक अपनी बड़ी बहन पूजा के साथ जूनागढ़ के एक प्राइवेट स्कूल में पढ़ती थी। इस साल इनके मां-बाप ने दोनों बच्चियों को वहां से निकाल कर एक सरकारी स्कूल में दाखिला दिला दिया है। बच्चियों के अभिभावक कन्याशाला नंबर 4 नाम के इस सरकारी स्कूल को बेहतर और ज्यादा बेहतर और आधुनिक मान रहे हैं। रवि की दादी हीरा जेठवा का कहना है, “प्राइवेट स्कूल में टीचर हमारे बच्चों को तंग कर देते थे और फीस भी लेते थे, यहां सरकारी स्कूल में फीस भी नहीं ली जाती और बच्चों का खयाल भी रखा जाता है। रवि और पूजा अकेले नहीं है, तकरीबन 400 ऐसे विद्यार्थी हैं, जो गिरनार दरवाजा के पास पाइवेट स्कूल में थे और पिछले पांच साल में इस साधारण से प्राइमरी स्कूल में आ गए हैं। ये कोई सहज बात नहीं है, खास तौर पर जब अभिभावक निजी स्कूलों में अपने बच्चों को पढ़ाने को प्रतिष्ठा से जोड़ कर देखते हैं। बहरहाल, तरुण काटबामना को इस चलन को उलट का क्रेडिट जाता है।

दरअसल तरुण को अहमदाबाद इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट और और इनोवेटिव टीचर के तौर पर गुजरात एजुकेशनल रिसर्च एंड ट्रेनिंग से सम्मान मिल चुके हैं। उन्होंने 2012 में स्कूल के प्रिंसिपल के तौर पर यहां ज्वाइन किया, उस समय उन्हें लगा कि यहां बच्चों की उपस्थिति बहुत कम है। प्रिंसिपल तरुण बताते हैं, मैं बच्चों को स्कूल तक ले आना चाहता था, इसलिए सुबह-सुबह उनके घर धमक जाता, जो नहींं आना चाहते उन्हें भी जगा कर ले आता, फिर उन्हें नहलाते थे, गुडमार्निंग कहते थे, ये थोड़ा सा कड़ा लगने वाला आइडिया भी था, अभिभावकों को भी लगा कि टीचर बच्चों के भविष्य को लेकर चिंतित है, और फिर बच्चे भी आने लगे। बाद में उन्हें पता चला कि शनिवार को बच्चे पता नहीं किस कारण से नहीं आ रहे। उनका कहना है कि फिर उन लोगों ने बच्चों को हर शनिवार सिनेमा दिखाना शुरू कर दिया, लेकिन हिस्सों में दिखाते थे, अगर बच्चे को पूरा सिनेमा देखना होता तो उसे अगले शनिवार को भी आना पड़ता। दिलचस्प है कि बच्चे प्लास्टिक के पैकेट में चिप्स खाते थे, प्लास्टिक न तो वातावरण के लिए ठीक था और न ही कैंपस के लिए, तरुण बताते हैं, हमने बच्चों के लिए स्नैक्स बनाना शुरू कर दिया। प्रोटीन से भरपूर और जायकेदार, सेहत को नुकसान न पहुंचाने वाले ये स्नैक्स हम बच्चों को टोकन कीमत पर दे देते हैं, इसके अलावा हमने आयुर्वेदिक गुण वाले पौधे भी लगाए, इन्हें बुखार और कब्ज जैसी दिक्कतों से निपटने के लिए अभिभावकोंं को दिया जाता है, अब नतीजे सामने हैं।

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