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देश के प्रति दुनिया का नजरिया बदला है : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी

नई दिल्ली : देशवासियों से 42वीं बार अपने ‘मन की बात’ की. प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में देशवासियों को रामनवमी के पर्व की बधाई दी। इस अवसर पर उन्होंने बापू के जीवन में ‘राम नाम’ की शक्ति के महत्व को याद किया। मोदी का यह कार्यक्रम हर बार की तरह रेडियो, दूरदर्शन नेटवर्क और नरेंद्र मोदी एप पर प्रसारित किया गया। ‘मन की बात’ कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, आज भारत वैश्विक अर्थव्यवस्था में एक ब्राइट स्पॉट के रूप में उभरा है और पूरे विश्व में सबसे अधिक एफडीआई (फॉरेन डायरेक्ट इनवेस्टमेंट) भारत में आ रहा है, पूरा विश्व भारत को निवेश, इनोवेशन और विकास के लिए हब के रूप में देख रहा है।आज भारत वैश्विक अर्थव्यवस्था में एक bright spot के रूप में उभरा है और पूरे विश्व में सबसे ज़्यादा FDI भारत में आ रहा है। पूरा विश्व भारत को निवेश innovation और विकास के लिए HUB के रूप में देख रहा है।
मैंने ‘माई गांव’ वेबसाइट पर कोमल ठक्कर का एक पोस्ट पढ़ा, उन्होंने संस्कृत में ऑनलाइन कोर्स शुरू करने की बात की है, पीएम ने कहा, एक आईटी प्रोफेशनल होने के साथ उनका संस्कृत प्रेम मुझे खुश कर गया। मैंने इससे जुड़े विभागों को निर्देश दिया है कि वो कोमल ठक्कर के प्रयासों को देखें, समझें। आज पूरे विश्व में भारत की ओर देखने का नजरिया बदला है, मुझे आपके भेजे पत्रों में पढ़ने को मिला कि असम के करीमगंज के एक रिक्शा-चालक अहमद अली ने अपनी इच्छाशक्ति के बल पर गरीब बच्चों के लिए 9 स्कूल बनवाए हैं, तब इस देश की अदम्य इच्छाशक्ति के दर्शन होते हैं। मुझे कानपुर के डॉक्टर अजीत मोहन चौधरी की कहानी सुनने को मिली कि वो फुटपाथ पर जाकर गरीबों को देखते हैं और उन्हें मुफ्त में दवा भी देते हैं, तब इस देश के बंधु-भाव को महसूस करने का अवसर मिलता है। जब उत्तर प्रदेश की एक महिला अनेकों संघर्ष के बावजूद 125 शौचालयों का निर्माण करती है और महिलाओं को उनके हक के लिए प्रेरित करती है- तब मातृ-शक्ति के दर्शन होते हैं, अनेक प्रेरणा-पुंज मेरे देश का परिचय करवाते हैं।
आने वाले कुछ महीने किसान भाइयों और बहनों के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण हैं, इस साल के बजट में किसानों को फसलों की उचित कीमत दिलाने के लिए एक बड़ा निर्णय लिया गया है, यह तय किया गया है कि अधिसूचित फसलों के लिए एमएसपी (मिनिमम सपोर्ट प्राइस), उनकी लागत का कम-से-कम डेढ़ गुणा घोषित किया जाएगा. एमएसपी के लिए जो लागत जोड़ी जाएगी, उसमें दूसरे श्रमिक का मेहनताना, मवेशी, मशीन का खर्च, बीज का मूल्य, खाद का मूल्य, सिंचाई का खर्च, लैंड रेवेन्यू, ब्याज, अगर जमीन लीज पर ली है तो उसका किराया और इतना ही नहीं, किसान या उसके परिवार में से कोई कृषि-कार्य में श्रम योगदान करता है, उसका मूल्य भी उत्पादन लागत में जोड़ा जाएगा। इस साल महात्मा गांधी की 150वीं जयंती वर्ष के महोत्सव की शुरुआत होगी, यह एक ऐतिहासिक अवसर है, देश कैसे उत्सव मनाए? स्वच्छ भारत तो हमारा संकल्प है ही, इसके अलावा 125 सौ करोड़ देशवासी कंधे से कंधा मिलाकर कैसे गांधी जी को उत्तम से उत्तम श्रद्धांजलि दे सकते हैं? क्या नए-नए कार्यक्रम किए जा सकते हैं? क्या नए-नए तरीके अपनाए जा सकते हैं? महात्मा गांधी की 150वीं जयंती वर्ष के महोत्सव के अवसर पर ‘गांधी 150’ का लोगो क्या हो? स्लोगन या मंत्र या घोष-वाक्य क्या हो? इस बारे में आप अपने सुझाव दें, हम सबको मिलकर बापू को एक यादगार श्रद्धांजलि देनी है और बापू को स्मरण करके उनसे प्रेरणा लेकर देश को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाना है। मैं मानता हूं कि स्वच्छ भारत और स्वस्थ भारत दोनों एक-दूसरे के पूरक हैं।स्वास्थ्य के क्षेत्र में आज देश कनवेंशन और अप्रोच से आगे बढ़ चुका है, देश में स्वास्थ्य से जुड़ा हर काम जहां पहले सिर्फ स्वास्थ्य मंत्रालय की जिम्मेदारी होती थी, वही अब सारे विभाग और मंत्रालय हों या राज्य सरकारें हों-साथ मिलकर स्वस्थ-भारत के लिए काम कर रहे हैं. और प्रिवेंटिव हेल्थ के साथ-साथ अफोर्डेबल हेल्थ के ऊपर जोर दिया जा रहा है। प्रिवेंटिव हेल्थकेयर सबसे सस्ता भी है और सबसे आसान भी है और हम लोग प्रिवेंटिव हेल्थ केयर के लिए जितना जागरूक होंगे उतना व्यक्ति को भी, परिवार को भी समाज को भी लाभ होगा। वर्षों पहले डॉ. बाबा साहेब अंबेडकर ने भारत के औद्योगिकीकरण की बात कही थी। उनके लिए उद्योग एक ऐसा प्रभावी माध्यम था, जिसमें गरीब से गरीब व्यक्ति को रोजगार उपलब्ध कराया जा सकता था, आज जब देश में ‘मेक इन इंडिया’ का अभियान सफलतापूर्वक चल रहा है तो अंबेडकर जी ने इंडस्ट्रियल सुपर पावर के रूप में भारत का जो एक सपना देखा था-उनका ही विजन आज हमारे लिए प्रेरणा है। उद्योगों का विकास शहरों में ही संभव होगा, यही सोच थी जिसके कारण भीमराव अंबेडकर ने भारत के शहरीकरण पर भरोसा किया, उनके इस विजन को आगे बढ़ाते हुए आज देश में स्मार्ट सिटीज मिशन और अर्बन मिशन की शुरुआत की गई, ताकि देश के बड़े नगरों और छोटे शहरों में हर तरह की सुविधा-चाहे वो अच्छी सड़कें हों, पानी की व्यवस्था हो, स्वास्थ्य की सुविधाएं हों, शिक्षा हो या डिजिटल कनेक्टिविटी उपलब्ध कराई जा सके। 21 जून को होने वाले अंतरराष्ट्रीय योग दिवस में अब 100 दिन से भी कम बचे हैं, पिछले 3 बार के अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर देश और दुनिया में हर जगह, लोगों ने काफी उत्साह से इसमें हिस्सा लिया, इस बार भी हमें सुनिश्चित करना है कि हम स्वयं योग करें और पूरे परिवार, मित्रों, सभी को योग के लिए अभी से प्रेरित करें, क्या अभी से लेकर योग दिवस तक एक अभियान के रूप में योग के प्रति जागरूकता पैदा कर सकते हैं?
प्रधानमंत्री ने कहा, मैं योग टीचर नहीं हूं, लेकिन मैं योग प्रैक्टिसनर जरुर हूं, लेकिन कुछ लोगों ने अपनी क्रिएटिविटी के माध्यम से मुझे योग टीचर भी बना दिया है और मेरे योग करते हुए 3डी एनिमेटेड वीडिया भी बनाए हैं, मैं आप सबके साथ यह वीडियो शेयर करूंगा ताकि हम साथ-साथ आसन, प्राणायाम का अभ्यास कर सकें।
मन की बात में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, डॉ. बाबा साहेब अंबेडकर पिछड़े वर्ग से जुड़े मुझ जैसे करोड़ों लोगों के लिए प्रेरणा हैं, उन्होंने हमें दिखाया है कि आगे बढ़ने के लिए यह जरूरी नहीं है कि बड़े या किसी अमीर परिवार में ही जन्म हो, बल्कि भारत में गरीब परिवारों में जन्म लेने वाले लोग भी अपने सपने देख सकते हैं, उन सपनों को पूरा करने का प्रयास कर सकते हैं और सफलता भी प्राप्त कर सकते हैं, बहुत से लोगों ने डॉ. साहब का मजाक उड़ाया, उन्हें पीछे करने की कोशिश की, हर संभव प्रयास किया कि गरीब और पिछड़े परिवार का बेटा आगे न बढ़ पाए, कुछ बन न पाए, जीवन में कुछ हासिल न कर पाए, लेकिन न्यू इंडिया की तस्वीर बिल्कुल अलग है, एक ऐसा इंडिया जो अंबेडकर का है, गरीबों का है, पिछड़ों का हैमन की बात में प्रधानमंत्री ने कहा, डॉ. बाबा साहेब अंबेडकर पिछड़े वर्ग से जुड़े मुझ जैसे करोड़ों लोगों के लिए प्रेरणा हैं. उन्होंने हमें दिखाया है कि आगे बढ़ने के लिए यह जरूरी नहीं है कि बड़े या किसी अमीर परिवार में ही जन्म हो, बल्कि भारत में गरीब परिवारों में जन्म लेने वाले लोग भी अपने सपने देख सकते हैं, उन सपनों को पूरा करने का प्रयास कर सकते हैं और सफलता भी प्राप्त कर सकते हैं. बहुत से लोगों ने डॉ. साहब का मजाक उड़ाया, उन्हें पीछे करने की कोशिश की, हर संभव प्रयास किया कि गरीब और पिछड़े परिवार का बेटा आगे न बढ़ पाए, कुछ बन न पाए, जीवन में कुछ हासिल न कर पाए, लेकिन न्यू इंडिया की तस्वीर बिल्कुल अलग है, एक ऐसा इंडिया जो अंबेडकर का है, गरीबों का है, पिछड़ों का है।

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