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एक 52 दिन तो दूसरी 8 महीने तक रही सीएम, ये है सुषमा स्वराज और उमा भारती का राजनीतिक सफर

भाजपा नेता और विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने हाल ही में कहा है कि वह 2019 में लोकसभा चुनाव नहीं लड़ेंगी। वहीं दूसरी ओर भाजपा नेता और पेयजल एवं सवच्छता मंत्री उमा भारती भी 2019 का लोकसभा चुनाव नहीं लड़ेंगी। हालांकि दोनों का ये भी कहना है कि इसका मतलब यह नहीं है कि वे सक्रिय राजनीति से सन्यास ले रही हैं। चलिए आपको दोनों के राजनीतिक सफर के बारे में बताते हैं-

एक 52 दिन तो दूसरी 8 महीने तक रही सीएम, ये है सुषमा स्वराज और उमा भारती का राजनीतिक सफर

सुषमा स्वराज
14 फरवरी साल 1952 को जन्मीं सुषमा स्वराज अंबाला से हैं। उन्होंने अंबाला छावनी के एसडी कॉलेज से स्नातक की डिग्री हासिल की है। इसके बाद उन्होंने पंजाब विश्वविद्यालय से एलएलबी की डिग्री हासिल की। वह भाषण और वाद विवाद में हमेशा से ही आगे रही हैं। उन्होंने ऐसी कई प्रतियोगिताओं में पुरस्कार भी हासिल किए हैं।

1977 में शुरू हुआ राजनीतिक सफर
सुषमा स्वराज ने साल 1977 से राजनीतिक करियर की शुरूआत कर पहली बार चुनाव लड़ा था। जिसके बाद उन्हें चौधरी देवीलाल की सरकार में कैबिनेट का मंत्री बनाया गया। फिर वह अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में सूचना एवं प्रसारण मंत्री बनीं। उन्होंने साल 1999 के लोकसभा चुनाव में कर्नाटक के बेल्लारी से कांग्रेस नेता सोनिया गांधी के खिलाफ चुनाव लड़ा। दिल्ली की पहली महिला मुख्यमंत्री भी रह चुकी हैं। वह वर्तमान में देश की विदेश मंत्री हैं। एक प्रखर प्रवक्ता के रूप में जानी जाने वाली सुषमा स्वराज शुरूआत से ही संघ और बीजेपी से जुड़ी हुई हैं।

सर्वेच्च न्यायालय के वकील से विवाह
अंबाला छावनी में हरदेव शर्मा और लक्ष्मी देवी के घर जन्मीं सुषमा का विवाह 13 जुलाई 1975 को भारत के सर्वोच्च न्यायालय के वरिष्ठ वकील स्वराज कौशल के साथ हुआ। उनकी एक बेटी है जिसका नाम बांसुरी है। उनकी बेटी इस समय लंदन के इनर टेंपल में वकालत कर रही हैं।

प्रमुख उपलब्धियां-
– साल 2008 और 2010 में उन्हें सर्वश्रेष्ठ संसदीय पुरस्कार मिला था। वह इस पुरस्कार को प्राप्त करने वाली पहली और एकमात्र महिला सांसद हैं।

– साल 1977 में महज 25 साल की उम्र में वह कैबिनेट मंत्री बनी थीं। उस वक्त वह सबसे कम उम्र की कैबिनेट मंत्री थीं।

उमा भारती

3 मई साल 1959 में मध्य प्रदेश के टीकमगढ़ में जन्मीं उमा भारती ने केवल छठी कक्षा तक ही शिक्षा हासिल की है। उन्होंने बचपन से ही हिंदू धर्मग्रंथों का अध्ययन शुरू किया। इन्हीं विचारों को उन्होंने असल जीवन में भी संग्रहित किया है। अभी तक वह तीन किताबें लिख चुकी हैं।

राजनीतिक करियर की शुरुआत
राम जन्मभूमि आंदोलन में प्रमुख भूमिका निभाने वाली उमा भारती के राजनीतिक जीवन की शुरुआत ग्वालियर की राजमाता विजयाराजे सिंधिया के सानिध्य से शुरू हुई थी। वह साल 2003 में मध्य प्रदेश के विधानसभा चुनावों के बाद राज्य की मुख्यमंत्री बनीं। पद संभालने के महज 9 महीने के बाद ही उन्होंने त्यागपत्र भी दे दिया और पार्टी छोड़ दी। जिसके बाद उन्होंने भारतीय जनशक्ति नामक अलग पार्टी बनाई।

भाजपा में वापसी
पार्टी से अलग होने के महज 6 साल बाद साल 2011 में उमा भारती ने बीजेपी में वापसी की। उमा भारती ने साल 1984 में चुनाव लड़ा था लेकिन वह हार गईं। फिर उन्होंने साल 1989 में खजुराहो से पहला लोकसभा चुनाव लड़ा और  जीत हासिल की। उन्होंने साल 2014 में लोकसभा चुनावों में झांसी से जीत हासिल की। जिसके बाद वह केंद्रीय मंत्रीमंडल में शामिल हो गईं।

धर्म प्रचार में बिताया जीवन
टीकमगढ़ के डुंडा नामक स्थान पर जन्मीं उमा भारती के पिता का नाम गुलाब सिंह और माता का नाम बेटीबाई है। वह चार भाई और दो बहनों में सबसे छोटी हैं। वह अविवाहित हैं और उन्होंने अपना जीवन धर्म के प्रचार-प्रसार में लगाने का व्रत लिया हुआ है।

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