एजेंट्स 5 हजार रुपये में एक लाख लोगों का डेटा बेचने को तैयार
सोशल मीडिया पर डेटा लीक को लेकर कोहराम मचा है. डेटा लीक के आरोपों से विवादों के घेरे में आई कैंब्रिज एनालिटिका की कहानी ने वाशिंगटन से लेकर नई दिल्ली तक सबको चौंका दिया. भारत में भी बहस छिड़ गई कि सोशल मीडिया पर आपका डेटा कितना महफूज है.
लेकिन डेटा लीक के इस हो हंगामे के बीच पहले यह समझते हैं कि आखिर डेटा क्या है? सोशल मीडिया तकनीक के जानकार जावेद अहमद के मुताबिक आपकी हर जानकारी जो आप किसीमाध्यम से मोबाइल फोन एप्लीकेशन, इंटरनेट या सोशल मीडिया पर मुहैया कराते हैं वही डेटा है. इस डेटा में आपके अपने फोन नंबर से आपके मोबाइल में सेव आपके जानकारों के कॉन्टैक्ट नंबर लेकर आप कहां जाते हैं, क्या करते हैं, ऐसी हर जानकारी हो सकती है.
लेकिन डेटा लीक की समस्या इतनी गंभीर नहीं है, जितनी डेटा के बारे में वह जानकारी जो हम आपको बताने वाले हैं. सोशल मीडिया से लीक हो रहा डेटा दरअसल तालाब की छोटी मछली जैसा है. आजतक की ग्राउंड इनवेस्टिगेशन में जो खुलासा हुआ है, वह आपको हैरत में डाल देगा.
क्या आपको अंदाजा भी है कि आप से जुड़ी हर जानकारी बाजार में घूम रहे सौदागरों के हाथ में है और महज 5-5 हजार रुपए में बिक रही है. यह सच सामने लाने के लिए आजतक ने जब डेटा के इन सौदागरों से संपर्क किया तो वे खुद ही मोलभाव करने लगे.
आजतक की टीम ने जब इसी तरह के एक डेटा सौदागर से संपर्क करने की कोशिश की त थोड़ी ही देर बाद हमें डेटा बेचने वाली एक कंपनी की महिला प्रतिनिधि का कॉल आया. कॉस्मेटिक कंपनी का एजेंट बनकर संपर्क कर रहे आजतक के पत्रकार ने डेटा सौदागर कंपनी की प्रतिनिधि से दिल्ली और मुंबई में 50000 लोगों का डेटाबेस मांगा, जिसमें व्यक्ति का नाम, उसका पेशा, कमाई और उम्र के ब्यौरे मांगे.
5000 रुपये में एक लाख लोगों का डेटा
डेटा सौदागर कंपनी की महिला प्रतिनिधि हमें 5000 रुपये में एक लाख लोगों का डेटा देने को तैयार हो गई. इतना ही नहीं, इसके लिए उसने न तो कोई शर्त रखी और न ही कोई सीमा. यह कंपनी हमें महिलाओं से जुड़ा डेटा देने को भी तैयार हो गई.
इसके अलावा वह हमारी कॉस्मेटिंक कंपनी के उत्पाद से जुड़े विज्ञापन इन तमाम लोगों के मोबाइल नंबरों तक अलग अलग माध्यमों से पहुंचाने के लिए भी तैयार हो गई. बस हर चीज का रेट तय था.
इसी तरह हमने मुंबई में बेस्ड एक और कंपनी के एजेंट से बात की. यह एजेंट भी हमें दिल्ली और मुंबई में एक लाख लोगों का डेटा महज 5-7 हजार रुपये में बेचने के लिए तैयार हो गया. एजेंट ने यहां तक कहा कि अगर मैं चाहूं तो 18 फीसदी जीएसटी भी दे सकता हूं और अगर न चाहूं तो जीएसटी से बचा भी जा सकता है.
जाहिर है एक तस्वीर दिखाती है कि कैसे डाटा बेचने वाली कंपनियां अब छोटी मोटी मछली नहीं बल्कि बड़े मगरमच्छों की तरह सौदा कर रही हैं. सबसे दिलचस्प बात यह है कि अब आपको किसी का भी डेटा खरीदने के लिए किसी से मिलने की जरूरत तक नहीं है.
सारा सौदा मोबाइल पर घर बैठे हो जाता है. आप कोटेशन मंगाइए, पैसा उनके अकाउंट में ट्रांसफर कीजिए और आपके ईमेल पर लाखों लोगों का डेटा चुटकी में पहुंच जाएगा. इसी डेटा का इस्तेमाल सोशल मीडिया पर भी होता है.
इससे एक तस्वीर और साफ होती है कि कैसे सोशल मीडिया पूरी तरह कमर्शियल हो गया है. सोशल मीडिया पर व्यापारी भी अपने उत्पाद बेच सकता है और राजनेता अपना एजेंडा भी. ऐसे लोगों की हर जरूरत पूरी करने के लिए बाजार में डेटा के ये सौदागर बैठे हैं.
नाम न बताने की शर्त पर एक सोशल मीडिया मैनेजमेंट कंपनी के मैनेजिंग डायरेक्टर ने हमें बताया कि उनके पास भी इस तरह के डेटा मौजूद हैं, जो खुलेआम बाजार में बिकते हैं और जिसका इस्तेमाल वह समाज के हर तबके के लिए कर सकते हैं.
शख्स की मानें बाइक इंश्योरेंस कंपनियां, पॉलिटिकल पार्टियां, नेताओं सहित बॉलीवुड की हस्तियां ऐसी कंपनियों का इस्तेमाल कर टार्गेटेड पब्लिक तक अपनी पहुंच बनाने की कोशिश करते हैं. आजतक की ग्राउंड रिपोर्ट में यह पूरी तरह साफ हो गया कि सोशल मीडिया की दुनिया में कुछ भी मुफ्त नहीं है, और अगर आपको कुछ मुफ्त मिल रहा है तो दरअसल इस डेटा की दुनिया में आप ही प्रोडक्ट हैं.