एशिया कप में भारतीय टीम को मिली 5 करारी हार, जिसे आज भी नहीं भुला पा रहे लोग
एशिया कप में इंडियन टीम 5 करारीइ हार के संबंध में बात करने वाले है जिसे आज भी क्रिकेट फैंस बुला नही सके है। आपको बता दें कि एशिया कप को एशिया महादेश का सबसे बड़ा वनडे टूर्नामेंट माना जाता है इसमें कोई दो रॉय नही है। वहीं अगर बात की जाये इसकी शुरूआत की तो वह 1984 में हुई थी। जिसके पश्चात 13 टूर्नामेंट में 6 बार भारत, 5 बार श्री लंका 2 बार पाकिस्तान विजेता बनी। दरअसल 6 बार विजेता रही भारतीय टीम को एशिया कप में कई अवसरों पर करारी हार का भी सामना करना पड़ा है जो कुछ इस प्रकार से है…
पहला : 2008 का एशिया कप पाकिस्तान में खेला गया था। टूर्नामेंट के 10वें मैच में भारत के सामने पाकिस्तान की टीम थी। टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी करने उतरी भारतीय टीम ने 50 ओवर में 308 रन बनाये। भारत की ओर से महेंद्र सिंह धोनी ने 76 रनों की पारी खेली, लक्ष्य का पीछा करने में कमजोर माने जाने वाली पाकिस्तान की टीम ने 309 रनों का लक्ष्य 46वें ओवर में ही हासिल कर लिया। पाक टीम की ओर से युनिस खान ने 123 रन बनाकर टीम को 7 विकेटों से आसान जीत हासिल कर ली।
दूसरा : पाकिस्तान में हुए इस एशिया कप के फाइनल मुकाबले में भारत के सामने श्रीलंका की टीम थी। पहले बल्लेबाजी करते हुए श्रीलंका ने सनथ जयसूर्या के 125 रनों के बावजूद 273 रन ही बना पाई। इस टूर्नामेंट में कई बड़े स्कोर बने थे, इसलिए यह कोई बड़ा लक्ष्य नहीं था। भारत को वीरेंदर सहवाग ने विस्फोट शुरुआत दी और 9 ओवर में ही टीम का स्कोर 76 रन हो चुका था। इसके बाद जो हुआ उसकी उम्मीद किसी को नहीं थी। श्रीलंका के मिस्ट्री स्पिनर अजंता मेंडिस ने एक के बाद एक भारतीय बल्लेबाजों को पवेलियन भेजते हुए टीम को 173 रनों पर ऑलआउट कर दिया। मेंडिस ने अपने 8 ओवर में 13 रन देकर 6 भारतीय बल्लेबाजों को आउट किया और श्रीलंका ने इस मैच को 100 रनों के बड़े अंतर से जीत लिया।
तीसरा : एशिया कप 1995 के तीसरे ही मैच में भारत के सामने पाकिस्तान की टीम थी। पहले बल्लेबाजी करते हुए पाक टीम ने इंजमाम-उल-हक और वसीम अकरम की अर्धशतक की मदद से 266 रन बनाये। जिसके सापेक्ष भारतीय टीम सिर्फ 169 रनों की पारी पर ही सिमट गई। पाकिस्तान ने यह मैच 97 रनों के बड़े अंतर से जीत लिया। उनके तेज गेंदबाज आकिब जावेद ने मैच में 19 रन देकर 5 भारतीय बल्लेबाजों को पवेलियन भेजा।
चौथा : एशिया कप 2012 में भारतीय टीम को टूर्नामेंट के इतिहास की सबसे करारी हारों में से एक झेलनी पड़ी।पहले बल्लेबाजी करते हुए भारतीय ने 50 ओवरों में 289 रन बनाये। यह स्कोर और बड़ा हो सकता था पर सचिन तेंदुलकर ने इस मैच में 114 रन बनाने के लिए 147 गेंद खेल लिए। यह उनका 100वां शतक भी था। 290 रनों के लक्ष्य का पीछा करने उतरी बांग्लादेश के सभी बल्लेबाजों ने अपना योगदान दिया। अंत में शकीब अल हसन के 31 गेंदों में 49 और मुशफिकुर रहीम के 25 गेंदों में 46 रनों की पारी की बदौलत बांग्लादेश ने 4 गेंद शेष रहते यह मैच 5 विकेट से जीत लिया।
पांचवा : 1997 के एशिया कप फाइनल में भारत के सामने थी श्रीलंका की टीम। 1996 विश्वकप के सेमीफाइनल में श्रीलंका से मिली हार का बदला लेने का अच्छा अवसर था। भारतीय टीम ने कप्तान सचिन तेंदुलकर और मोहम्मद अजहरुद्दीन की अर्धशतक की सहायता से श्रीलंका के सामने 240 रनों का लक्ष्य रखा। इस लक्ष्य के सापेक्ष श्रीलंका ने अपने सलामी बल्लेबाजी के शानदार प्रदर्शन की बदौलत यह मैच 37वें ओवर में ही जीत लिया। उनकी ओर से सनथ जयसूर्या,मर्वन अटापट्टू और कप्तान अर्जुन रणतुंगा ने अर्धशतकीय पारियां खेली,भारत को इस मैच में 8 विकेट से हार मिली।