लखनऊ। संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान (एसजीपीजीआई) के पल्मोनरी मेडिसिन विभाग में पहली बार ब्रोंकोस्कोपी की सुविधा शुरू की गई है। संस्थान में यह सुविधा उपलब्ध होने से विशेष रूप से उन रोगियों के लिए लाभकारी है जिनके सांस की नली में किसी कारण से अवरोध आ गया हो। सांस की नली में बाधा या अवरोध का मुख्य कारण फेफड़े, भोजन की नली या थायरॉयड ग्रंथि का कैंसर, सांस की नली का संकीर्णता अथवा सांस की नली में किसी भी बाहरी वस्तु का अटक जाना होता है। यदि आवश्यक हो तो इस प्रक्रिया के द्वारा सांस की नली में स्टेंट रख कर सांस की प्रवाह को बनाए रखा जा सकता है। यह सुविधा उत्तर प्रदेश राज्य के अन्य सरकारी चिकित्सा केंद्रों में इस समय उपलब्ध नहीं है। चिकित्सकों के मुताबिक यह प्रक्रिया रोगियों को भर्ती कर आपरेशन थिएटर में पूरी तरह से बेहोश करके सुनियोजित तरीके से किया जाता है। कभी कभी अचानक सांस की नली में किसी भी बाहरी वस्तु के अटक जाने पर (विशेष रूप से बच्चों में) अथवा असामान्य रूप से बलगम में अत्यधिक रक्ततस्राव होने पर यह प्रक्रिया बाहरी वस्तु को सांस की नली से निकालने या अत्यधिक रक्ततस्राव को रोकने के लिए आकस्मिक स्थितियों में तत्काल भी किया जा सकता है। इस प्रक्रिया को रोगियों को बेहोश करने के जोखिम के अलावा कम से कम खतरोॱ के साथ साथ न्यूनतम अतिरिक्त लागत में किया जाता है।