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एसिड अटैक के पीड़ि‍तों के लिए मसीहा हैं डॉक्टर चार्ल्स वीवा

charlsvaiva_14_05_2016नई दिल्‍ली। देश में अक्सर एसिड हमलों के मामले देखने को मिलते हैं। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक़, एक साल में करीब ऐसे 1,000 मामले सामने आते हैं। वहीं, सामाजिक कार्यकर्ताओं का कहना है कि वास्तविक आंकड़ा इससे काफी अधिक है।

जब कोई एसिड अटैक का शिकार होता है, तो उसका जीवन कठिन हो जाता है। शारीरिक घाव के साथ ही मानसिक अवसाद भी उसे जकड़ लेते हैं। इस दर्द से उबरने में उनको लंबा समय लगता है। एसिड अटैक के शिकार हुए लोगों में कुछ तो मौत की नींद सो जाते हैं।

ऐसे पीड़‍ितों का इलाज करना चुनौतीपूर्ण काम होगा। मगर, ब्रिटेन की स्वास्थ्य सेवा एनएचएस के रिटायर्ड प्लास्टिक सर्जन चार्ल्स वीवा ऐसे पीड़‍ितों के लिए मसीहा बनकर उभरे हैं। चार दशकों से भी अधिक वक्त से विकासशील देशों में घूमकर एसिड अटैक के पीड़‍ितों का इलाज कर रहे हैं।

इस सर्जरी के लिए वो पीड़ितों से एक भी पैसा नहीं लेते हैं। उनका कहना है कि मरीजों का साहस देखकर उन्हें हिम्मत मिलती है। चार्ल्स के साथ अब श्रीलंका के एक रिटायर्ड डॉक्टर भी जुड़ गए हैं। हाल ही में नई दिल्ली में उन्होंने यूनाइटेड किंगडम के सर्जन्स और उनके सहयोगियों की टीम का नेतृत्व किया था।

यूनाइटेड किंगडम के ये डॉक्टर्स ग्‍लोबल एनजीओ इंटरप्‍लास्‍ट के तहत एसिड और बर्न केसेज के पीड़‍ितों की सर्जरी करते हैं। ये सारी सर्जरीज गुड़गांव स्थित प्रतीक्षा हॉस्पिटल में हुई हैं। जहां लंदन के सर्जन्स ने करीब 30 बर्न पी‍ड़‍ितों और एसिड अटैक शिकार हुए लोगों की सर्जरी की।

प्रोजेक्‍ट रिवाइव को एसिड सर्वाइवर फाउंडेशन ऑफ इंडिया और रितिंजलि एनजीओ का सहयोग मिला। जिन लोगों का इस प्रोजेक्ट के अंतर्गत ऑपरेशन किया गया, उनमें बिहार की 30 साल की अनुपमा और 7 साल का एक लड़का भी शामिल था। यह लड़का खेलते हुए घर में रखे एसिड के टिन पर गिर गया था।

 
 

 

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