राज्यलखनऊ

ओवैसी ने बढ़ाई सपा की चिन्ता

दस्तक टाइम्स/एजेंसी: 

download (1)लखनऊ: उत्तर प्रदेश में जिला और क्षेत्र पंचायत सदस्यों के चुनाव में असदुद्दीन ओवैसी की आल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लमीन (एआईएमआईएम) ने जिला पंचायत की चार सीटें जीतकर सत्तारुढ़ समाजवादी पार्टी (सपा) की चिन्ता बढ़ा दी है। एआईएमआई के चार उम्मीदवार जिला पंचायत सदस्य के लिए चुन लिये गये हैं, इनमें दो हिन्दू और दो मुस्लिम हैं। ओवैसी 2017 में राज्य विधानसभा चुनाव में अपनी मजबूत पैठ बनाना चाहते हैं। ओवैसी की पार्टी ने एक-एक सीट आजमगढ़ और मुजफ्फरनगर में जीते हैं और उसके दो उम्मीदवार बलरामपुर में विजयी घोषित हुए। एआईएमआईएम के प्रदेश अध्यक्ष शौकत अली का कहना है कि उनकी पार्टी के उम्मीदवारों की जीत ने उन पर एक वर्ग विशेष की पार्टी होने के आरोप लगाने वालों को करारा जवाब दिया है। अली कहते हैं कि उनकी पार्टी के एक उम्मीदवार कैलाश गौतम सपा अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव के संसदीय क्षेत्र आजमगढ़ में जीत हासिल कर साबित कर दिया है कि संप्रदाय विशेष को अपना पारम्परिक वोट बैंक मानने वाली सपा से उस वर्ग का मोह भंग शुरु हो गया है, हालांकि वह यह भी कहते हैं कि इस चुनाव में उम्मीदवारों की अपनी साख भी काफी मायने रखती है। उन्होंने कहा कि गौतम की आजमगढ़ और मुजफ्फरनगर के नेत्रपाल की जीत से साबित हो गया है कि एआईएमआईएम धर्मनिरपेक्ष पार्टी है। उन्होंने कहा कि कम से कम 15 स्थानों पर उनकी पार्टी के उम्मीदवार दूसरे स्थान पर रहे। एआईएमआईएम ने 18 जिलों में 50 उम्मीदवार उतारे थे जिसमें 18 हिन्दू थे। उन्होंने कहा कि पंचायत चुनाव के परिणाम पार्टी के लिए शुभ संकेत है। पन्द्रह क्षेत्रों में दूसरे और चार में पहले नंबर पर आ जाने से यह सिद्ध होता है कि 2017 में पार्टी को जनता का समर्थन मिलेगा।
इस साल रमजान के पहले औवैसी को सभा करने की अनुमति नहीं मिली थी। इसके बाद उन्होंने इफ्तार पार्टियों के आयोजन करवाकर लोगों से नजदीकियां बढ़ाने का प्रयास किया। दूसरी ओर समाजवादी पार्टी ने कहा कि लोकतंत्र में चुनाव लडऩे का सभी को हक है, लेकिन किसी पार्टी से सपा को कोई खतरा नहीं है। सपा को पंचायत चुनाव में भारी जीत हासिल हुई और आगे भी मतदाताओं का समर्थन मिलेगा। सपा प्रवक्ता राजेन्द्र चौधरी ने कहा कि किसी पार्टी को लडऩे या नहीं लडऩे से सपा पर कोई फर्क नहीं पड़ता। अखिलेश यादव सरकार के काम से जनता खुश है, इसलिए पंचायत चुनाव में उसे जबरदस्त जीत हासिल हुई है। दूसरी ओर राजनीतिक प्रेक्षक मानते हैं कि ओवैसी का सूबे की राजनीति में दस्तक सपा को नुकसान पहुंचा सकता है। गौरतलब है कि इस साल रमजान के पहले औवैसी को सूबे में सभा करने की अनुमति नहीं मिली थी। इसके बाद उन्होंने इफ्तार पार्टियों के आयोजन करवाकर लोगों से नजदीकियां बढ़ाने का प्रयास किया था।

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