औद्योगिक इस्तेमाल पर जल उपकर लगाने का प्रस्ताव सरकार के विचाराधीन
एजेन्सी/नई दिल्ली: नदियों के पानी और भूजल के औद्योगिक इस्तेमाल के लिए उद्योगों पर ‘जल उपकर’ लगाये जाने का सुझाव और इससे संबंधित प्रस्ताव सरकार के विचाराधीन है।
जल संसाधन, नदी विकास एवं गंगा संरक्षण मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा, ‘‘इस बारे में एक प्रस्ताव मंत्रालय के विचाराधीन है।’’ गंगा नदी बेसिन प्रबंधन योजना (जीआरबीएमपी) के संयोजक रहे एवं आईआईटी कानपुर के प्रो. विनोद तारे ने नदियों के पानी और भूजल के औद्योगिक इस्तेमाल के लिए उद्योगों पर ‘जल उपकर’ लगाए जाने का सुझाव दिया था।
इस बारे में पूछे जाने पर प्रो. तारे ने कहा कि नदियों में काफी मात्रा में औद्योगिक कचरा एवं गंदा जल प्रवाहित किया जाता है। उद्योग नदियों से पानी लेते हैं, भूजल का दोहन करते हैं और फिर गंदा जल नदी में प्रवाहित करते हैं।
‘‘इस विषय को देखते हुए औद्योगिक इस्तेमाल के लिए जल के इस्तेमाल के लिए उद्योगों पर ‘जल उपकर’ लगाया जाना चाहिए। दुनिया के विभिन्न देशों में ऐसी व्यवस्था है।’’ निर्मल गंगा, अविरल गंगा के लिए जनभागीदारी की पुरजोर वकालत करते हुए प्रो. तारे ने गंगा नदी की सफाई के विषय को समयसीमा के दायरे में बांधने से इंकार किया।
गंगा नदी बेसिन के प्रबंधन विषय पर सात आईआईटी कंसर्टियम के संयोजक रहे प्रो. तारे ने कहा, ‘‘गंगा नदी की सफाई दो या चार वर्ष का विषय नहीं हो सकता है। आजकल जर्मनी से गुजरने वाली राइन नदी की काफी बात हो रही है। गंगा नदी की तुलना में राइन छोटी नदी है और कई देशों से गुजरती है लेकिन इसकी साफ सफाई में भी 25 से 30 साल लग गए थे जबकि कई देशों ने इसकी सफाई में योगदान दिया था।’’