नई दिल्ली। पैसे कमाने की चाह हर किसी में होती है, इसी चाहत के चलते लोग कई कई साल बाहर दूसरे शहर दुसरे देशों में बने रहते है। कई बार तो ऐसा होता है की घर वाले इंतज़ार ही हाथ लगता है। काम के सिलसिले में भारत में अधिकतर लोग सऊदी अरब के सपने देखते है। और अधिकतर पंजाब वाले कनाडा के। लेकिन अगर हम कहे की आपका यह निर्णय गलत है तो आप क्या कहेंगे। जी हाँ ब्लूमबर्ग का एक ताजा सर्वे में सामने आया है कि ऐसा इसलिए होता है कि वहीं काम विदेश में करने पर कर्मचारियों को ज्यादा पैसे और प्रमोशन मिलता है। सर्वे में पता चला है कि स्विट्जरलैंड, अमेरिका और हॉन्गकांग अपने स्टाफ को सबसे ज्यादा वेतन देते हैं। इन देशों में प्रत्येक कर्मचारी को औसतन 21000 डॉलर यानी 15,56,205 रुपए देते हैं। सर्वे के अनुसार, 45 फीसदी प्रवासी कर्मचारियों ने कहा कि उन्हें अंतरराष्ट्रीय स्तर के हिसाब से वर्तमान जॉब में ज्यादा सैलरी मिल रही है। 28 फीसदी कर्मचारियों ने बताया कि प्रमोशन के लिए उन्हें दूसरी कंपनी या दूसरे इलाके में जाना पड़ता है। स्विट्जरलैंड की बात करें यह अपने ऊंचे पहाड़ों और ऊंची सैलरी के लिए दुनिया में जाना जाता है। यहां के नागरिकों की वार्षिक सलाना आय 61000 डॉलर यानी 45,16,135 रुपए है। यहां पहुंचने वाले प्रवासी कर्मचारियों की बात करें तो उन्हें 203,000 डॉलर यानी 1,50,41,285 लाख रुपए सलाना के हिसाब से मिलते हैं। जो कि ग्लोबल आय की दोगुनी है। सर्वे में हिस्सा लेने वाले 45 प्रतिशत लोगों ने बताया कि मौजूदा काम करते हुए उन्हें विदेश में ज्यादा पैसे मिल रहे हैं। वहीं, 28 प्रतिशत ने बताया कि उन्होंने प्रमोशन के लिए विदेश का रुख किया। सर्वे में बताया गया है कि स्विटजरलैंड में काम करने वाले विदेशी कर्मचारियों की औसत सालाना सैलरी 61,000 डॉलर (करीब 45,37,485 रुपये) बढ़ जाती है। एचएसबीसी के ऐनुअल एक्सैपट एक्सप्लोरर की लिस्ट में काम करने और रहने के लिहाज से सिंगापुर टॉप पर है। न्यूजीलैंड दूसरे, जर्मनी तीसरे, कनाडा चौथे, बहरीन पांचवें, ऑस्ट्रेलिया छठे, स्वीडन सातवें, स्विटजरलैंड आठवें, ताइवान नौवें और यूएई दसवें नंबर पर है। बताया जा रहा है कि स्विट्जरलैंड की खराब रैंकिंग यहां बढ़ रही बच्चों की संख्या बढ़ी रही मुश्किलों की वजह से आठवीं आई है। इस सर्वे के बारे में एचएसबीसी का कहना है कि दुनिया के सबसे छोटे देशों में एक सिंगापुर के पास प्रवासी कर्मचारियों के लिए सबकुछ है। सबसे ज्यादा जेंडर समानता वाला देश स्वीडन फैमिली को सुविधाएं मिलने के हिसाब से टॉप कैटेगरी में है जबकि न्यूजीलैंड, स्पेन, और ताइवान अभी अनुभव के दौर से गुजर रहे हैं। बात अगर सिर्फ सैलरी की करें तो विदेशी कर्मचारियों के लिए सबसे ज्यादा औसत सैलरी वाले देशों में स्विटजरलैंड टॉप है, जहां औसतन सालाना सैलरी 2.03 लाख डॉलर (करीब डेढ़ करोड़ रुपये) है। टॉप 10 देशों की इस सूची में भारत भी शामिल है, जो 7वें नंबर पर है। दूसरे नंबर पर अमेरिका (1.85 लाख डॉलर), तीसरे पर हॉन्ग कॉन्ग (1.78 लाख डॉलर), चौथे पर चीन (1.72 लाख डॉलर), पांचवें पर सिंगापुर (1.62 लाख डॉलर), छठे पर यूएई (1.55 लाख डॉलर), सातवें पर भारत (1.31 लाख डॉलर), आठवें पर इंडोनेशिया (1.28 लाख डॉलर), नौवें पर जापान (1.27 लाख डॉलर) और दसवें नंबर पर ऑस्ट्रेलिया (1.26 लाख डॉलर) है। विदेशों में काम करने वाले कुल 22,318 लोगों को इस सर्वे में कवर किया गया। हालांकि सर्वे से यह भी पता चलता है कि विदेश जाने वाली महिलाओं को पुरुषों के मुकाबले कम आर्थिक लाभ होता है। विदेश जाने पर भी उनकी सैलरी 27 प्रतिशत बढ़ती है, जबकि पुरुषों की 47 प्रतिशत।