कहानी कन्याकुमारी की
कन्याकुमारी, तमिलनाडु राज्य का एक शहर है. इस शहर का नाम कन्याकुमारी ही क्यों हैं? इस नाम के पीछे भी एक कहानी है. कहते है बहुत समय पहले बानासुरन नाम का दैत्या हुआ था. उसने भगवान शिव की तपस्या कर उन्हें प्रसन्न किया और वरदान मांगा कि उसकी मृत्यु कुंवारी कन्या के अलावा किसी से न हो. शिव ने उसे मनोवांछित वरदान दे दिया.
उसी समय में भारत में ही एक राजा हुए जिनका नाम था भरत. राजा भरत की आठ पुत्रियां और एक पुत्र था. राजा भरत ने अपना साम्राज्य 9 बराबर हिस्सों में बांट दिया. दक्षिण का हिस्सा जहां वर्तमान में कन्या कुमारी है राजा भरत की पुत्री कुमारी को मिला. मान्यता है कि कुमारी को शक्ति देवी का अवतार माना जाता है. देवी कुमारी ने उस दौर में दक्षिण में कुशलतापूर्वक राज्य किया. कुमारी की हार्दिक इच्छा थी कि उसका विवाह भगवान शिव से हो, जब ये बात शिव को पता चली तो वह भी विवाह के लिए राजी हो गए.
लेकिन देवर्षि नारद चाहते थे कि बानासुरन का अंत कुमारी के हाथों ही हो, इस विघ्न के चलते शिव और कुमारी का विवाह नहीं हो सका. इस दौरान जी बानासुरन को कुमारी की सुंदरता के बारे में पता चला तो वो सुनकर ही मोहित हो गया, उसने कुमारी को विवाह का प्रस्ताव पहुंचाया.कुमारी ने कहा कि यदि वह उसे युद्ध में हरा दे तो वह बानासुरन से विवाह कर लेगीं. दोनों में युद्ध हुआ और बानासुरन मारा गया. इस तरह देवी कुमारी ने उस दैत्य को मारकर वहां रहने वाले लोगों का जीवन सुखमय कर दिया.
इसलिए दक्षिण भारत के इस स्थान को कन्या कुमारी कहा गया. मान्यता है कि जब शिव और कुमारी का विवाह अधूरा रह गया तो वहां जो भी विवाह के लिए तैयारियां की गईं थी वो सब रेत में बदल गईं. और इस तरह आधुनिक कन्याकुमारी शहर की नींव रखी गई.