उत्तराखंड

कांग्रेस को जिताऊ उम्मीदवारों की दरकार

राज्य में नगर निकाय चुनाव को लेकर कांग्रेस खासी उत्साहित है। पार्टी की नजरें दमदार प्रत्याशियों पर टिकी हैं। पार्टी ने जिन वरिष्ठ नेताओं को पर्यवेक्षक नामित कर प्रत्याशियों के चयन का जिम्मा सौंपा है, उन्होंने दौड़-भाग शुरू कर दी है। अलबत्ता, निकाय चुनाव के लिए आरक्षण तय नहीं होने से पर्यवेक्षकों को मुश्किलों से भी जूझना पड़ रहा है। 

विधानसभा चुनाव में करारी शिकस्त झेली चुकी कांग्रेस निकाय चुनाव में मजबूती से खम ठोकने जा रही है। इसके लिए माहौल बनाने पर खास जोर दिया जा रहा है। पार्टी की रणनीति निकाय चुनाव में सत्तापक्ष विरोधी माहौल को हवा देने और माहौल को भुनाने के लिए निकाय चुनाव में दमदार प्रत्याशी उतारने पर है। प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने जिलेवार प्रत्याशियों को अंतिम रूप देने के लिए वरिष्ठ नेताओं को जिम्मेदारी सौंपी है। जिलेवार नामित दो-दो पर्यवेक्षकों को दौरा कर पहले चरण में स्थानीय दिग्गजों और कार्यकर्ताओं की थाह लेना है। इसकी शुरुआत हो चुकी है। देहरादून के लिए नामित पर्यवेक्षकों तिलकराज बेहड़ और संजय पालीवाल ने सोमवार को प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय में वरिष्ठ नेताओं और कार्यकर्ताओं से अपने तरीके से फीडबैक लिया। 

पर्यवेक्षकों को निकाय चुनाव के लिए वार्डवार और मेयर, पालिका परिषद व नगर पंचायतों के अध्यक्ष पदों के लिए बड़ी सूची के बजाय छोटी सूची तैयार करने की हिदायत दी गई है। इस कवायद के पीछे मंशा जिताऊ प्रत्याशियों को आगे बढ़ाने की है। हालांकि, यह कार्य आसान नहीं है। लिहाजा विभिन्न स्तरों पर फीडबैक लेने की प्रक्रिया भी शुरू कर दी गई है। संगठन के सक्रिय कार्यकर्ताओं और विधायकों व पूर्व विधायकों से भी मशविरा किया जा रहा है। हालांकि, प्रत्याशियों के चयन को लेकर लंबी मशक्कत होनी तय है। इसकी वजह आरक्षण का तय होना भी है। इस वजह से प्रत्येक सीट के लिए सामान्य, एससी, ओबीसी व महिला कोटे से प्रत्याशियों की सूची तैयार की जा रही है। वहीं माहौल बनाने के लिए प्रदेश संगठन की ओर से गढ़वाल व कुमाऊं मंडल में विभिन्न स्थानों पर बैठकें व जनसंपर्क कार्यक्रमों पर फोकस किया है। इस कड़ी में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रीतम सिंह इन दिनों गढ़वाल मंडल के दौरे पर हैं। निकाय चुनाव के संबंध में प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह का कहना है कि कांग्रेस पूरी ताकत से चुनावी मैदान में डटेगी। प्रत्याशियों के चयन की प्रक्रिया में हर जिले में वरिष्ठ नेताओं को जिम्मेदारी सौंपी गई है। माहौल कांग्रेस के पक्ष में है। 

 

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