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कांग्रेस को भरोसा है की, ‘2019 में नहीं होगी मोदी की बतौर पीएम वापसी’

राजस्थान उपचुनाव के नतीजों ने कांग्रेस में एक बार फिर से जान फूंक दी है। पार्टी का मानना है कि कुछ राज्यों में बैकफुट पर दिख रही कांग्रेस अब पहले से बेहतर हालत में है। कांग्रेस पार्टी को पूरा भरोसा है कि राजस्थान, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र जैसे राज्यों में पार्टी मजबूत हुई है और हरियाणा, झारखंड और छत्तीसगढ़ में भी कांग्रेस का प्रभाव बढ़ा है। इसी आत्मविश्वास और छिटपुट सकारात्मक नतीजों के कारण पार्टी के कुछ नेताओं को लग रहा है कि 2019 में मोदी फिर से प्रधानमंत्री की कुर्सी पर नहीं बैठेंगे।कांग्रेस को भरोसा है की, '2019 में नहीं होगी मोदी की बतौर पीएम वापसी'

एक वरिष्ठ कांग्रेसी नेता ने हमारे सहयोगी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया कि कांग्रेस 60 ऐसी सीटों का चयन कर सकती है जहांपीएम मोदी  को पिछले चुनाव में दिक्कत हुई थी। सूत्र ने यह भी कहा कि दुबारा पीएम बनने के लिए पीएम मोदी के सामने एक चुनौती गठबंधन वाली पार्टियों की तरफ से भी आ रही है। पीएम गठबंधन पार्टियों के साथ कुशलता से काम करने में नाकाम रहे हैं। कांग्रेस की इस पर नजर है। एनडीए सरकार में कुछ क्षेत्रीय पार्टियां खुद को सहज नहीं मान रही हैं। 

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता का मानना है कि 2019 लोकसभा चुनावों को लेकर उनका अनुमान है कि नरेंद्र मोदी फिर से पीएम नहीं चुने जा सकेंगे। नेता ने बताया, ‘ऐसा लग रहा है कि 2019 में या तो कांग्रेस गठबंधन की सरकार बनेगी या फिर बीजेपी अगर सत्ता में वापस भी आई तो पीएम नरेंद्र मोदी नहीं होंगे। मोदी की कार्यशैली गठबंधन को बनाकर रखने की नहीं है। शिवसेना, टीडीपी और अकाली दलों की तरफ से आ रही टकराव की खबरें इस बात को पुष्ट करती हैं।’ 

अनौपचारिक बातचीत में कांग्रेस नेता ने यह भी कहा, ‘एक संभावना है कि बीजेपी और पीएम मोदी अगर फिर से चुनाव जीतने में सफल भी रहे तो बीजेपी की 282 सीटों की तुलना में यह जीत 220 के आसपास ही रहेगी। गठबंधन पार्टियों के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सर्वश्रेष्ठ विकल्प नहीं है। उनकी तुलना में राजनाथ सिंह बेहतर तरीके से गठबंधन धर्म निभा सकते हैं।’ 

कांग्रेस का आत्मविश्वास राजस्थान उपचुनाव में 2 लोकसभा सीटें जीतने के बाद बढ़ा है। पपार्टी का राज्य से एक भी नेता 2014 में लोकसभा चुनाव नहीं जीत पाया। गुजरात चुनावों में प्रदर्शन अच्छा होने और राजस्थान उपचुनावों में मिली जीत के कारण पार्टी और खुद राहुल गांधी का भरोसा बढ़ा है। दूसरी तरफ जमीनी स्तर पर कुछ राज्यों में बीजेपी की पकड़ कमजोर होने की खबरों के बीच गठबंधन में नाराजगी की बातें भी कांग्रेस का मनोबल बढ़ा रही है।

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