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झारखंड में लॉ एंड ऑर्डर पर हाईकोर्ट ने 15 दिनों में दूसरी बार की सख्त टिप्पणी, सरकार से मांगा जवाब

रांची। हाईकोर्ट ने राज्य में बढ़ते अपराध और लॉ एंड ऑर्डर में गिरावट को लेकर एक पखवाड़े के अंदर दूसरी बारसख्त टिप्पणी की है। बुधवार को अदालत ने मौखिक तौर पर कहा कि, “झारखंड में क्या हो रहा है? कभी मासूम बच्चों की हथौड़ों से हत्या कर दी जा रही है तो कभी कोर्ट कैंपस में बंदी को गोली मार दी जा रही है। राज्य में लॉ एंड ऑर्डर की हालत खराब है।”चीफ जस्टिस डॉ रवि रंजन और जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद की अदालत ने देवघर जिला कोर्ट कैंपस में बीते 18 जून को एक बंदी की गोली मारकर हत्या के मामले में स्वत: संज्ञान लेते हुए यह टिप्पणी की।

देवघर हाईकोर्ट में बीते शनिवार को पेशी के लिए लाये गये अमित सिंह नामक एक हिस्ट्रीशीटर की अपराधियों ने कोर्ट कैंपस में गोली मारकर हत्या कर दी थी। अमित सिंह की सुरक्षा में तैनात चार पुलिसकर्मी भी मूकदर्शक बने रह गये थे। इस वारदात को लेकर देवघर के डिस्ट्रिक्ट जज ने हाईकोर्ट की चीफ जस्टिस को पत्र लिखा था, जिसपर संज्ञान लेते हुए कोर्ट ने इसे जनहित याचिका में तब्दील कर दिया है। कोर्ट ने इस घटना पर राज्य सरकार से जवाब मांगा है। इसके अलावा देवघर हाईकोर्ट की सुरक्षा का ऑडिट करने का भी निर्देश दिया गया है। मामले की अगली सुनवाई 8 जुलाई को मुकर्रर की गयी है।

सनद रहे कि इसके पहले बीते 9 जून को भी हाईकोर्ट ने जमशेदपुर में दिनदहाड़े घर का दरवाजा तोड़कर मनप्रीत सिंह नामक युवक की हत्या के मामले में झारखंड स्वत: संज्ञान लिया था। मनप्रीत एक आपराधिक मामले में अदालत में पेश होकर घर लौटा था। इसके कुछ ही घंटे बाद उसकी हत्या कर दी गयी थी। इस मामले में हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा था कि राज्य में गवाहों की सुरक्षा की कोई व्यवस्था है या नहीं? गवाहों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सरकार ने क्या कोई प्रयास किया है? इन बिंदुओं पर राज्य सरकार को आगामी 27 जून तक हलफनामा दायर कर पूरी जानकारी देने का निर्देश दिया गया है।

बता दें कि झारखंड के रांची, जमशेदपुर, धनबाद, देवघर, गुमला सहित कई शहरों में हत्या और लूट की कई बड़ी घटनाएं हुई हैं और इन्हें लेकर राज्य की विधि व्यवस्था पर कई नागरिक संगठनों ने सवाल उठाये हैं।

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