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काला धनः पब्लिक और प्राइवेट सेक्टर के 30 बैंक मनी लॉंड्रिंग में फंसे

black-money-5612565e8706b_lदस्तक टाइम्स/एजेंसी- नई दिल्ली:  पब्लिक और प्राइवेट सेक्टर के लगभग 30 बैंक कथित तौर पर मनी लॉंड्रिंग के एक बड़े मामले में फंसे हैं। इन पर आरोप है कि इनके जरिए ऐसे एक्सपोर्ट के पेमेंट के नाम पर 6,000 करोड़ रुपए की ब्लैक मनी हांगकांग भेजी गई है जो कभी हुए ही नहीं। 
 
यह रकम बैंक ऑफ बड़ौदा के अशोक नगर, नई दिल्ली वाली ब्रांच में लगभग 59 कंपनियों के खुले नए करंट अकाउंट के जरिए ट्रांसफर हुई है। 
 
बैंक ऑफ बड़ौदा के एग्जिक्युटिव डायरेक्टर बी.बी जोशी ने कह कि फंड का बड़ा हिस्सा 30 से ज्यादा बैंकों से रियल टाइम ग्रॉस सेटलमेंट सिस्टम  रूट से आया था। उन्होनें कहा, लगभग  90 प्रतिशत रकम कई बैंकों से आई थी। सिर्फ 10 प्रतिशत ट्रांजैक्शन ही हमारे ब्रांच में हुए थे। 
 
हालांकि बैंक ने यह भी कहा कि असल रकम जितनी बताई जा रही है उससे कम हो सकती है। जोशी ने कहा कि जांच चल रही है इसलिए हम पक्के आंकड़े देने की स्थिति में नहीं हैं।
लेकिन यह रकम 6,000 करोड़ से बहुत कम होगी। फैइनेंस मिनिस्ट्री के एक सीनियर ऑफिसर ने कहा कि मामले की जांच चल रही है और हम बैंकों से ब्लैक मनी के रूट का पता लगाने के लिए कहंगे।
 
गौरतलब है कि करीब 6,172 करोड़ रुपए का काला धन इसी शाखा से हांगकांग भेजा गया था।सीबीआई ने कहा कि ज्यादातर कंपनियों ने गलत पते रखे थे लेकिन बैंक ने वैरिफिकेशन नहीं किया।
 
सीबीआई अधिकारियों ने यह भी कहा कि कुछ कंपनियों और बैंक के अधिकारियों के बीच मिलीभगत हो सकती है। सारे पेमेंट कुछ विशेष कंपनियों को ही किए गए हैं। इन पेंमेंट्स को ड्राई फ्रूट का आयात करने के एवज में भेजा गया है। लेकिन ड्राई फूट्स का आयात कभी हुआ ही नहीं। ये रकम डॉलर के रूप में भिजवाई जाती थी। 
बैंक ऑफ बड़ौदा का इस मामले में कहना है कि मामले की जांच की जा रही है और इससे बैंक को कोई घाटा नहीं हुआ है। खूफिया एजेंसियों का मानना है कि ये सारी रकम काले धन की कमाई  है साथ ही इसमें कई बड़े लोग भी शामिल हो सकते हैं। 

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