नई दिल्ली। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की दिल्ली इकाई में यह खबर फैलने के बाद असंतोष के स्वर उभरने लगे हैं कि आसन्न विधानसभा चुनाव में पूर्व शीर्ष पुलिस अधिकारी किरण बेदी को मुख्यमंत्री पद का प्रत्याशी बनाया जा सकता है। इस पर पार्टी के कई नेताओं ने कथित रूप से ‘असहयोग’ और ‘हराने’ की धमकी दी है। पार्टी सूत्रों ने कहा है ‘‘पार्टी में किरण बेदी के नाम पर गंभीर विरोध है। पार्टी के अधिकांश नेता और कार्यकर्ताओं को उन्हें मुख्यमंत्री पद का प्रत्याशी बनाया जाना पसंद नहीं है।’’नेताओं ने कथित रूप से भाजपा के प्रदेश प्रमुख हर्षवर्धन और वरिष्ठ नेता नितिन गडकरी को किरण बेदी को मुख्यमंत्री पद के प्रत्याशी के रूप में थोपे जाने के खिलाफ शिकायत की है। सूत्रों ने कहा ‘‘पार्टी कार्यकर्ता उनसे कई कारणों से नाराज हैं। उन्होंने भाजपा के टिकट पर विधानसभा और लोकसभा चुनाव लड़ने से मना कर दिया था और 2०11 के जन लोकपाल आंदोलन के दौरान उन्होंने भाजपा विरोधी रुख अपनाया था।’’ जन लोकपाल आंदोलन के दौरान किरण बेदी और आम आदमी पार्टी (आप) के संस्थापक अरविंद केजरीवाल अन्ना हजारे के सहयोगी रह चुके हैं। उस दौरान किरण कई मौकों पर कांग्रेस और भाजपा दोनों को कोस चुकी हैं। बाद में उनका मन बदला और भाजपा उन्हें अच्छी लगने लगी। वहीं केजरीवाल अभी भी यह मानते हैं कि भ्रष्टाचार की जननी कांग्रेस और भाजपा दोनों है। केंद्र में रहते भाजपा पहले भी रक्षा सौदा व कौफीन घोटाले कर चुकी है। जिन राज्यों में भाजपा की सरकारें हैं वहां भ्रष्टाचार व्याप्त है। हिमाचल प्रदेश और कर्नाटक में भ्रष्टाचार के कारण ही भाजपा की सरकार गई। केजरीवाल नितिन गडकरी पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाने के कारण ही इस समय जेल में हैं। आरोपों के कारण ही गडकरी को पार्टी अध्यक्ष का पद छोड़ना पड़ा था। पश्चिमी दिल्ली से एक विधायक ने नाम जाहिर न करने की शर्त पर कहा ‘‘किरण का रवैया बड़ा सख्त रहा है। उन्हें हमारे ऊपर थोपा नहीं जाना चाहिए हम उन्हें स्वीकार नहीं करेंगे। हम जिस लिए राजनीति में आए हैं वह काम वह नहीं होने देंगी तो उनके आने का क्या फायदा। हम चाहते हैं कि हमारे बीच से ही किसी नेता को चुना जाए।’’