किसान नहीं, फिर ले रहे टैक्स छूट
एजेंसी/नई दिल्ली।केन्द्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) उन करोड़पति किसानों की आमदनी के स्रोतों की जांच करेगा, जिन्होंने अपनी आयकर रिटर्न में कृषि से होने वाली आय एक करोड़ रुपए से अधिक बताई है। सरकार ने कृषिगत आय को कर के दायरे से बाहर रखा हुआ है। संभावना है कि इस प्रावधान का गलत फायदा उठाया जा रहा है।
सीबीडीटी ने एक विभागीय पत्र में अधिकारियों से आयकरदाताओं की तरफ से दाखिल इनकम टैक्स रिटर्न के उन तथ्यों की जांच करने के लिए कहा है, जिसमें कुछ लोगों ने कृषिगत आय सालाना एक करोड़ रुपए से ज्यादा बताई है। ऐसे में सीबीडीटी ने पाया कि पिछले कुछ सालों से कई आयकरदाता कृषिगत आय के तौर पर बड़ी रकम इनकम टैक्स रिटर्न में दिखा रहे हैं।
सीबीडीटी ने पटना हाई कोर्ट में दाखिल उस जनहित याचिका पर संज्ञान लिया है जिसमें कहा गया था कि कृषिगत आय को बड़े पैमाने पर मनीलॉन्ड्रिंग का जरिया बना लिया गया है।
1080 मामलों की होगी जांच
कृषिगत आय के जिन दावों की जांच की जानी है कि वह 1 अप्रैल 2010 से लेकर 31 मार्च 2013 के दौरान के हैं। इन तीन सालों में ऐसे कुल 1080 मामले में आए हैं। अगर हर एक मामले में आय कम से कम 1 करोड़ भी मान ली जाए तो यह राशि कुल मिलाकर 1080 करोड़ तक पहुंच जाती है। वहीं साल 2006-07 से 2014-15 यानी नौ सालों के दौरान 1 करोड़ से ज्यादा कृषिगत आय वाले कुल 2746 मामलें हैं।
सबसे ज्यादा मामले बेंगलूरु में
इस तरह के सबसे ज्यादा केस बेंगलूरु से हैं, जहां साल 2006-07 से 2014-15 के दौरान कुल 321 मामले सामने आए हैं। इसके बाद दिल्ली (275), कोलकाता (239), मुंबई (212), पुणे (192), चेन्नई (181) और हैदराबाद (162) जैसे शहर शामिल हैं।
हो रहा प्रावधान का दुरुपयोग
इससे पहले भी कृषिगत आय को इनकम टैक्स के दायरे से बाहर रखने के प्रावधान के दुरुपयोग का मुद्दा उठाया जा चुका है। पार्थसारथी सोम की अध्यक्षता वाली टैक्स ऐडमिनिस्ट्रेटिव रिफॉर्म कमेटी ने नवंबर, 2014 में अपनी तीसरी रिपोर्ट में इसका जिक्र किया था।
रिपोर्ट में कहा गया था कि ऐसे लोगों की संख्या जो कृषि से जुड़े नहीं हैं लेकिन उनकी कृषिगत आय बहुत ज्यादा है, उनकी संख्या में बढ़ोतरी हुई है। टैक्स से बचने के लिए और फंड्स के दुरुपयोग के लिए कृषिगत आय के प्रावधान का धड़ल्ले से इस्तेमाल हो रहा है। इससे हर साल करोड़ों रुपये का राजस्व भी लीक हो जा रहा है। हालांकि सीबीडीटी इस संभावना से भी इनकार नहीं कर रही है कि करदाताओं ने इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करते वक्त गलती से गैर कृषिगत आय को कृषिगत आय की श्रेणी में दिखा दिया हो।