कुंडली में 2 या 2 से अधिक ग्रहों के योग को युति योग कहते हैं
कुंडली में 2 या 2 से अधिक ग्रहों के योग को युति योग कहते हैं। योग 3 प्रकार के होते हैं। शुभ योग, अशुभ योग और राजयोग। ग्रहों के योग का फल संबंधित ग्रह की महादशा, अन्तर्दशा और प्रत्यंतर दशा में ही मिलता है। यदि योग में ग्रह 1 से ज्यादा हैं तो जिस ग्रह की दशा पहले आएगी उस दशा में योग का फल मिलेगा। योग का फल ग्रहों के बल शुभ और अशुभ स्थान तथा कारक तत्व पर निर्भर करता है। यहां जानिए सूर्य के अन्य ग्रहों की युति का फल
1.कुंडली में सूर्य एवं चंद्र की युति किसी भी भाव में हो तो व्यक्ति कुशल व्यापारी और छोटी सोच वाला हो सकता है। ये इन ग्रहों की दशा में ही अनुभव होगा।
2. सूर्य-मंगल की युति कुंडली के किसी भी भाव में हो तो व्यक्ति कभी-कभी झूठ भी बोलता है। ऐसे लोग भाइयों से अच्छे संबंध रखने वाले और बलवान होते हैं।
3.सूर्य-बुध की युति कुंडली के किसी भी घर में हो तो व्यक्ति विद्वान, सम्मान प्राप्त करने वाला, श्रेष्ठ प्रवक्ता और स्थाई संपत्ति का मालिक होता है।
4.सूर्य और गुरु की युति कुंडली के किसी भी भाव में हो तो व्यक्ति सम्मान पाने वाला, अच्छे मित्रों वाला, धनवान, शिक्षक और फेमस होता है।
5.सूर्य-शुक्र की युति कुंडली के किसी भी भाव में हो तो व्यक्ति शास्त्रों का जानकार, नृत्य कला में पारंगत, आंखों का रोगी, कुशल कार्य करने वाला होता है।
6.सूर्य-शनि की युति कुंडली के किसी भी भाव में हो तो व्यक्ति विद्वान होता है। स्त्री और पुत्र से मतभेद हो सकते हैं।
7.सूर्य-राहु की युति कुंडली के किसी भी भाव में हो तो व्यक्ति मानसिक समस्या से ग्रसित, जिद्दी तथा भ्रमित रहने वाला होता है
8.सूर्य-केतु की युति कुंडली के किसी भी भाव में हो तो व्यक्ति आंखों का रोगी, जिद्दी, ठीक से काम करने वाला, समझदार और सम्मानित होता है।