केंद्र सरकार: पाकिस्तान और चीन को शत्रु देश नहीं मानता है भारत
दस्तक टाइम्स एजेंसी/नई दिल्ली : पड़ोसी देशों के साथ मित्रवत संबंधों की इच्छा जाहिर करते हुए भारत सरकार ने बुधवार को कहा कि वह पाकिस्तान और चीन को शत्रु राष्ट्र नहीं मानती और उनके साथ दोस्ताना संबंध चाहती है।
बाद में सदन ने इस विधेयक को ध्वनिमत से अपनी मंजूरी दे दी। राजनाथ सिंह ने कहा कि राजग सरकार पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के उन वाक्यों को हमेशा ध्यान में रखकर चलती है कि ‘दोस्त बदले जा सकते हैं लेकिन हम पड़ोसी नहीं बदल सकते।’ गृह मंत्री ने साथ ही सदस्यों से कहा कि हर चीज को जाति, धर्म या पंथ से जोड़कर नहीं देखा जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि सरकार शत्रु संपत्तियों का सरकार द्वारा इस्तेमाल किए जाने पर विचार कर रही है।
उन्होंने कहा कि जब किसी देश का साथ युद्ध होता है तो उसे शत्रु माना जाता है और ‘शत्रु संपत्ति : संशोधन एवं विधिमान्यकरण विधेयक 2010’ को 1962 के भारत चीन युद्ध, 1965 के भारत पाकिस्तान युद्ध और 1971 के भारत पाकिस्तान युद्ध के संदर्भ में ही देखा जाना चाहिए। इन युद्धों की पृष्ठभूमि में अपनी पुश्तैनी संपत्ति को छोड़कर शत्रु देश में चले जाने वाले पाकिस्तानी और चीनी नागरिकों के संबंध में लाए गए इस विधेयक के संबंध में राजनाथ ने कहा कि यह देश का मुद्दा है किसी मजहब का नहीं।
उन्होंने कहा कि चीन और पाकिस्तान जाने वाले अलग अलग मजहबों से थे, इसलिए इसे किसी मजहब की नजर ने कतई नहीं देखा जाना चाहिए। उन्होंने चर्चा में हिस्सा लेने वाले सदस्यों की आशंकाओं का निराकरण करते हुए कहा कि यह कानून उत्तराधिकार कानून या किसी अन्य कानून पर लागू नहीं होगा। विधेयक को संसद की स्थायी समिति के पास भेजने की मांग और विपक्षी सदस्यों के कुछ संशोधनों को खारिज करते हुए लोकसभा ने ध्वनिमत से विधेयक को पारित कर दिया।
उन्होंने कहा कि इस प्रकार का कानून पाकिस्तान और चीन सहित दुनिया के कई अन्य देशों में पहले से लागू है। सिंह ने कहा कि यह केवल पाक गए लोगों की संपत्ति का ही नहीं बल्कि 1962 के युद्ध के बाद चीन गए लोगों की संपत्ति का भी मामला है।
राजनाथ ने कहा कि यदि इस विधेयक के पारित होने में विलंब होता तो इससे लाखों करोड़ों रूपये की संपत्ति का नुकसान होता। विधेयक के प्रावधानों के अनुसार, शत्रु संपत्ति के मालिक का कोई उत्तराधिकारी भी यदि भारत लौटता है तो उसका इस संपत्ति पर कोई दावा नहीं होगा।
उन्होंने कहा कि विधेयक के प्रावधानों के अनुसार एक बार कस्टोडियन के अधिकार में जाने के बाद शत्रु संपत्ति पर उत्तराधिकारी का कोई अधिकार नहीं होगा। राजनाथ सिंह ने बताया कि 1965 के भारत पाक युद्ध के बाद हुए ताशंकद समझौते में इस प्रकार की संपत्तियों को लेकर दोनों देशों के बीच समय समय पर वार्ता होने की व्यवस्था की गयी थी।
लेकिन पाकिस्तान ने 1971 में ही अपने यहां की सभी शत्रु संपत्तियों का निपटारा कर दिया और भारत पाकिस्तान के बीच वार्ता की उम्मीद सदा के लिए समाप्त हो गयी। इसी के चलते पिछली सरकारों को कई विधेयक लाने पड़े।