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केजरीवाल ने दिल्ली में ऑक्सीजन की जरूरत पर झूठ बोला: संबित पात्रा

नई दिल्ली। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने दिल्ली की केजरीवाल सरकार पर झूठ बोलने का आरोप लगाते हुए कहा कि दिल्ली सरकार ने ऑक्सीजन की जरूरत को चार गुना बढ़ाकर बताया था, जिस कारण दूसरे राज्यों में की जाने वाली ऑक्सीजन आपूर्ति प्रभावित हुई थी।

भाजपा ने कहा कि यह अरविंद केजरीवाल द्वारा किया गया जघन्य अपराध है। दिल्ली के अस्पतालों में ऑक्सीजन के कारण कई लोगों ने अपनी जान गंवाई, इसके लिए  मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल जिम्मेदार हैं।

भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा ने शुक्रवार को कहा कि दिल्ली में ऑक्सीजन ऑडिट पैनल की रिपोर्ट में जो तथ्य सामने आए हैं, वे चौंकाने वाले हैं। रिपोर्ट के अनुसार दिल्ली सरकार द्वारा ऑक्सीजन की जरूरत को चार गुना बढ़ाकर बताया गया। उन्होंने पैनल की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि अरविंद केजरीवाल के इस झूठ के कारण 12 ऐसे राज्य थे, जो ऑक्सीजन आपूर्ति को लेकर प्रभावित हुए। क्योंकि सभी जगह से ऑक्सीजन की मात्रा काट कर दिल्ली को भेजना पड़ा था।

पात्रा ने ऑक्सीजन ऑडिट रिपोर्ट के हवाले से कहा, “केजरीवाल सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि उन्होंने आईसीएमआर की गाइडलाइंस के अनुसार ऑक्सीजन की कैल्कुलेशन की। मगर जब सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित कमेटी ने अरविंद केजरीवाल से आईसीएमआर की गाइडलाइन की कॉपी मांगी तो उन्होंने हाथ खड़े कर दिए। इसका मतलब अरविंद केजरीवाल ने सुप्रीम कोर्ट में झूठ बोला।”

भाजपा नेता ने कहा कि यह अरविंद केजरीवाल द्वारा किया गया जघन्य अपराध है। दिल्ली के अस्पतालों में ऑक्सीजन के कारण कई लोगों ने अपनी जान गंवाई, इसके लिए अरविंद केजरीवाल जिम्मेदार हैं और उम्मीद है कि सुप्रीम कोर्ट में वे इसके लिए जिम्मेदार ठहराए जाएंगे और जो अपराध उन्होंने किया है, उसके लिए उन्हें दंडित किया जाएगा।

भाजपा नेता ने कहा कि मुख्यमंत्री केजरीवाल 100 प्रतिशत विज्ञापन और जीरो प्रतिशत कोरोना मैनेजमेंट के फार्मूला पर काम कर रहे थे। उन्होंने 1,000 करोड़ रुपये केवल विज्ञापन पर खर्च किये हैं।

संबित पात्रा ने आगे कहा, “6 मई को केजरीवाल प्रेस कॉन्फ्रेंस कर 700 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की मांग की। उसके कुछ घंटे बाद राघव चड्डा ने कहा कि उन्हें 976 मीट्रिक टन ऑक्सीजन चाहिए। एक ही दिन में दो-दो अलग आंकड़ा बताया गया। ये कहीं न कहीं एक साजिश के तहत किया गया है, दिल्ली सरकार ने अपनी गलती छिपाने के लिए केंद्र पर ठीकरा फोड़ दिया।”

उल्लेखनीय है कि ऑक्सीजन ऑडिट के लिए गठित कमेटी के अनुसार, दिल्ली सरकार की तरफ से 25 अप्रैल से 10 मई के बीच ऑक्सीजन की जो मांग रखी गई, वह वास्तविक आवश्यकता से चार गुना तक अधिक थी। जबकि सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को आदेश दिया था कि दिल्ली को रोजाना 700 मीट्रिक टन की आपूर्ति की जाए । हालांकि कोर्ट में बहस के दौरान केंद्र के वकील सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने भी कहा था कि दिल्ली को अधिकतम 415 मीट्रिक टन की जरूरत है।

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