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‘केवल तेरे रन ही तुझे बचा सकते हैं’, इस पर पंत ने सिडनी में जमा दिया शतक

टीम इंडिया ने ऑस्ट्रेलिया में 2-1 से टेस्ट सीरीज जीतकर इतिहास रच दिया। इस दौरे पर चेतेश्वर पुजारा और विराट कोहली के अलावा ऋषभ पंत ने अपनी अलग पहचान बनाई। पंत ने हर टेस्ट में अच्छी शुरुआत तो हासिल की, लेकिन वह इसे बड़ी पारी में तब्दील करने में कामयाब नहीं हो रहे थे। एक दिन पंत से कोच तारक सिन्हा ने बातचीत की और फिर सिडनी टेस्ट में युवा बल्लेबाज ने करियर की सर्वश्रेष्ठ पारी खेली।

पंत के कोच तारक सिन्हा ने इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में कहा, ‘मैंने उससे क्रिस्मस पर बात की थी। वह उत्सुक जरूर था, लेकिन नाथन लियोन की गेंद पर आउट होना उसे परेशान कर रहा था। मैंने उसे कहा, ऋषभ तू लियोन को फ्रंटफुट पर क्यों खेल रहा है? उसे बैकफुट में खेल। पंत बैकफुट का अच्छा खिलाड़ी है, लेकिन मैंने ध्यान दिया कि वह फ्रंटफुट पर खेलने के कारण लियोन का शिकार बन रहा है। जब उसने सिडनी में शतक जमाया तो यही प्रयास किया कि लियोन का सामना बैकफुट पर जाकर करे।’
कोच ने आगे कहा, ‘लियोन का खतरा टल गया जब पंत ने उसे बैकफुट पर जाकर खेलना शुरू किया। इससे बल्लेबाज को भी ज्यादा समय मिला और देरी से शॉट खेलने का फायदा भी मिला। एक और बात जो मैंने पंत से कही कि वह अपने शॉट चयन के साथ न्याय करे। मैंने उससे कहा, तेरे पास दुनिया के सभी शॉट्स हैं। मगर समय ले, यह पांच दिन का खेल है। तू अपने लिए खेल तो अपने आप टीम के लिए अच्छा होगा।’
सिन्हा के मुताबिक, ‘ऋषभ को पता था कि 20 या 30 रन बनाने से वह मिले मौकों को गंवा रहा है। इस पर सिन्हा ने पंत से कहा, ‘कोई तेरे को बचा नहीं सकता, केवल तेरे रन ही तेरे को बचा सकते हैं।’ इंग्लैंड दौरे पर टेस्ट डेब्यू के बाद से 6 महीने तक मुझे लगा कि पंत फिलहाल टी20 मोड से बाहर नहीं निकले हैं। बड़े प्रारूप में उन्हें अपना खेल बदलने की जरूरत है। ऑफ स्टंप के बाहर की गेंद छोड़ना होंगी और धैर्य रखना होगा। अच्छा है कि सिडनी में उनकी पारी ने साबित किया कि उनके पास टेस्ट क्रिकेट खेलने के लिए खेल है।’
तारक सिन्हा ने कहा कि सातवें नंबर पर बल्लेबाजी करना आसान नहीं हैं। आपको कभी बल्लेबाजों के साथ खेलना होता तो कभी गेंदबाजों के साथ खेलते हुए उनके लिए शील्ड बनना होता है। इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया दौरे पर जाकर सीरीज खेलना किसी भी युवा के लिए मुश्किल होता है। मगर पंत ने गजब की परिपक्वता और खेल जागरूकता दिखाई है। मैं कह सकता हूं कि टेस्ट डेब्यू के बाद से उनकी बल्लेबाजी में काफी सुधार हुआ है।
कोच ने आगे कहा, ‘वह अभी सिर्फ 21 साल का है। मगर पंत ने अभी तक ही अपने करियर में उतार-चढ़ाव देख लिए हैं। रणजी ट्रॉफी में बेहतरीन डेब्यू के बाद एक दौर वह भी आया जब वो रन नहीं बना रहे थे। इसके चलते उन्हें टीम इंडिया की सीमित ओवर टीम से बाहर भी कर दिया गया। यह उनके लिए आसान नहीं था। खिलाड़ी के रूप में उसकी अपनी परेशानियां हैं और उनके कोच के रूप में मेरा काम उनका हौसला बढ़ाना है।’
‘हमारी काफी बातचीत होती है और मेरी कोशिश उनका हौसला बढ़ाने की रहती है। मैं हमेशा उन्हें उनकी ताकत का अंदाजा दिलाने की कोशिश करता हूं। पंत ने अपना वजन भी कम किया है। इस मामले में उन्हें कप्तान कोहली का भरपूर साथ मिला। मुझे उम्मीद है कि पंत आने वाले समय में और बेहतर प्रदर्शन करेगा और टीम इंडिया को सफलताओं के शिखर पर लेकर जाएगा।’