कोयले की कमी से यूपी में पावर ग्रिड फेल होने का खतरा बढ़ा
लखनऊ । उत्तर प्रदेश में पावर ग्रिड फेल होने का खतरा बढ़ गया है, जिसकी वजह से बिजली संकट व्याप्त होना तय हो गया है। शनिवार को यह संकट तब और गहरा गया जब पारीछा और अनपरा की एक और उत्पादन इकाइयां ठप हो गई। वहीं रविवार को भी कोयले की कमी से उत्पादन पर असर पड़ना जारी है। घटते उत्पादन और लगातार बढ़ती बिजली की मांग के पावर कॉरपोरेशन के इंजीनियर ग्रिड को फेल होने से बचाने में जुट गए है। अब इस संकट से निपटने के लिए प्रदेश भर में कटौती की जा रही है। कुल क्षमता से आधा बिजली उत्पादन कर रहे यूपी के उत्पादन संयंत्र एक-एक कर ठप होते जा रहे है। इसके चलते यूपी में ब्लैक आउट तक होने की संभावना है। शनिवार को अनपरा की 210 मेगावाट और पारीछा की 250 मेगावाट इकाई तकनीकी खामी के बाद ठप हो गई। इससे पहले पारीछा की चार, अनपरा की दो, ओबरा की पांच और हरदुआगंज की दो इकाइयां बंद चल रही है। अब इन दो इकाइयों के ठप हो जाने से एक बार फिर प्रदेश पर बिजली का संकट मंडराने लगा है। इसके चलते प्रदेश भर में लोगों को बिजली कटौती झेलनी पड़ रही है। बारिश के चलते राहत महसूस कर रहे बिजली विभाग और आम लोगों को उमस भरी गर्मी ने परेशान कर दिया है। हालात ये हो गए है कि प्रदेश की बिजली डिमांड 13 हजार 240 किलोवाट पर पहुंच गई। वहीं आपूर्ति 11 हजार मेगावाट पर रुक गई। राजधानी लखनऊ सहित प्रदेश में बिजली की अघोषित कटौती की गई। सूत्रों के मुताबिक अनपरा ताप विद्युत संयंत्र में 813 मेगावाट उत्पादन हुआ जबकि ओबरा ताप विद्युत गृह में 475 मेगावाट, पनकी में 125 मेगावाट, पारीछा में 644 मेगावाट और हरदुआगंज तापीय संयंत्र में 455 मेगावाट बिजली का उत्पादन हुआ। इसके साथ ही केंद्रीय सेक्टर को मिलाकर तकरीबन 11 हजार मेगावाट बिजली आपूर्ति की गई। इसके बाद भी दो हजार 200 मेगावाट बिजली की कमी के मद्देनजर प्रदेश भर में अधिकतर जिलों में बिजली की अघोषित कटौती की गई है। मंगलवार को यह अंतर एक हजार मेगावाट था जबकि बुधवार को बढ़कर दो हजार 200 मेगावाट हो गया। निजी कंपनियों से बिजली खरीदने के लिए 2012 में तय की गई योजना के तहत पावर कॉरपोरेशन अब चार हजार मेगावाट बिजली खरीदेगा। वर्ष 2012 में इन कंपनियों ने छह हजार मेगावाट बिजली खरीदने का समझौता हुआ था। इसके बवाजूद बिजली की कीमत के सवाल उठने के बाद केवल दो हजार मेगावाट ही खरीदी गई।