कोरोनावायरस: गांव में संक्रमण रोकना सरकार के लिए है बड़ी चुनौती
कोरोना के गांवों में पैर पसारने की आशंका ने केंद्र और राज्य सरकारों की नींद उड़ा दी है। कई राज्य ऐसे हैं, जहां पर विदेशों से आए लोग गांव पहुंचे हैं या रोजगार के लिए दूसरे राज्यों में गए लोग सपरिवार गांव के घर लौट रहे हैं। विभिन्न एजेंसियों के माध्यम से सरकार को जो रिपोर्ट मिल रही है, वह उत्साहवर्धक नहीं है।
गांवों में पिछले दो माह के दौरान जो भी लोग आए हैं, उनकी पहचान के लिए राज्यों की पुलिस के खुफिया नेटवर्क को लगाया गया है। इसके अलावा सरपंच और पंच, जैसे जनप्रतिनिधियों को भी यह जिम्मेदारी सौंपी गई है। इतना ही नहीं, गांवों में सोशल डिस्टेंसिंग का पालन भी मिला-जुला है।
इसके लिए स्थानीय प्रशासन के अधिकारी गांवों में जाकर लोगों से अपील कर रहे हैं। संचार माध्यमों की गांवों तक पहुंच भी जानकारी और सजगता बढ़ाने में मददगार हो रही है। पुलिस ने कई जगहों पर गांव में झुंड बनाकर ताश खेल रहे लोगों के खिलाफ कार्रवाई भी की है।
शहरी इलाकों के मुकाबले मीडिया अभी ग्रामीण इलाकों पर उतना फोकस नहीं कर पा रहा है। केंद्र सरकार के पास पहले से ही ऐसी सूचना थी कि गांवों में कोरोनावायरस को लेकर वैसी गंभीरता से काम नहीं हो रहा, जैसा मेट्रो सिटी में देखने को मिल रहा है।
इसके मद्देनजर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी शनिवार को नागरिकों से अपील की थी कि वे कोरोनावायरस के प्रसार को रोकने के लिए यात्रा न करें। रोजना काम करने वाले वर्ग की यात्राएं रूक नहीं सकी हैं और लोगों का अपने गांवों को लौटने का क्रम चल रहा है।
केंद्र सरकार के एक अधिकारी के अनुसार, दो माह के दौरान बड़ी संख्या में पंजाब, चंडीगढ़, गोवा, महाराष्ट्र, केरल, कर्नाटक, यूपी, उड़ीसा, आंध्रप्रदेश और मध्यप्रदेश सहित कई दूसरे राज्यों के गांवों में लोग पहुंचे हैं। अभी तक जिला प्रशासन ने ऐसी कोई सूची नहीं बनाई थी।
अब केंद्र सरकार के निर्देशों के बाद लोकल पुलिस गांवों में यह जानकारी एकत्रित कर रही हैं कि फलां अवधि में कितने लोग बाहर से आए हैं। इनमें शहरों से कितने हैं और विदेश से कितने लोग आए हैं।
केंद्रीय गृह राज्यमंत्री जी.कृष्ण रेड्डी के अनुसार हमने सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों से कहा है कि वे गांवों पर नजर रखें। वहां जिला अधिकारियों को भेजकर कोरोना के संक्रमण का पता लगाएं।
पंजाब के स्वास्थ्य मंत्री बलबीर सिंह सिद्धू का कहना है कि हम गांव पर फोकस रहे हैं। पंजाब के बहुत लोग विदेशों में रहते हैं। हम इस बाबत पूरी तरह सचेत हैं। नवांशहर के गांव पठलावा में कोरोना संक्रमण से बलबीर सिंह की मौत होने के बाद प्रशासन पूरी तरह सर्तक हो गया है।
बलबीर सिंह ने गाँव के सार्वजनिक कार्यक्रमों के अलावा आनंदपुर साहिब में आयोजित होला मोहल्ला समारोह में भी शिरकत की थी। लोकल पुलिस भी गांव जाकर यह पता लगा रही है कि कोई व्यक्ति हाल ही के दिनों में कहीं बाहर से तो नहीं आया है।
हरियाणा में बागपत के गांव सरूरपुर में कोरोना का एक केस पॉजिटिव आने के बाद वहां भी हड़कंप मचा हुआ है। डीएम शकुंतला गौतम ने गांव में जाकर लोगों से अपील की है कि वे अपने घरों से बाहर न निकलें। पुलिस गांव गांव पहुंच कर लोगों को सचेत कर रही है। रोहतक पुलिस ने कई गाँव में पहुँचकर ताश खेल रहे लोगों के ख़िलाफ कार्रवाई की है।
हरियाणा के गृहमंत्री अनिल विज बताते हैं कि सिविल और पुलिस प्रशासन गांव में जाकर लोगों को समझा रहा है। जनप्रतिनिधियों के अलावा लोकल पुलिस भी अपने स्तर पर यह पता लगा रही है कि गांव में कोई व्यक्ति बाहर से तो नहीं आया है। अगर ऐसा कोई केस मिलता है तो स्वास्थ्य विभाग की टीम वहां पहुंचकर जांच करती है।
गांवों में भी बढ़ रही सजगता
उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ की फूलपुर तहसील का गांव है वाजीदपुर। गांव सड़क से आधा किमी भीतर है। शहर में पढ़ा रहे चंद्रमौलि सिंह गांव लौट आए हैं। बताते हैं कि गांव में सबने अपने को घरों में कैद कर रखा है। पुलिस तो गांव तक नहीं आई है लेकिन टीवी और सोशल मीडिया से जानकारी लेकर हम सजग हैं।
लखनऊ से 22 किमी दूर चंद्रिका देवा मंदिर से पहले और बख्शी का तालाब से आगे है गांव भवानीपुर। गांव के प्रमोद बताते हैं कि हम घर में हैं। पास-पड़ोस से भी मेलजोल रोका है। घर के भीतर भी एक सुरक्षित दूरी रखने की कोशिश करते हैं।
श्रावस्ती के जिला मुख्यालय पर तैनात एक अधिकारी बताते हैं कि गांवों का दौरा करने पर उन्हें ग्रामीणों की भरपूर सजगता दिख रही है। गांव में कोई भी बाहर से रहा है तो उसकी सूचना पुलिस-प्रशासन तक ग्रामीण खुद दे रहे हैं।
एक स्थानीय पत्रकार के मुताबिक प्रशासन श्रम विभाग की और मनरेगा में पंजीकृत लोगों की सूची पर तो काम कर रहा है लेकिन वैरिफिकेशन के काम में दिक्कतें कम नहीं हैं। प्रशासन ने जिला अस्पताल के साथ ही 14 स्कूलों को भी क्वारंटीन के लिए तैयार करा हुआ है। लेकिन जांच की व्यवस्था चाक-चौबंद नहीं दिख रही।
स्वैब और रक्त के नमूने लेकर लखनऊ के केजीएमयू और पीजीआई भेजने की व्यवस्था है, लेकिन ज्यादातर प्राथमिक लक्षणों को देखकर ही लोगों को क्वारंटीन में रखा जा रहा है। फसल की कटाई के लिए शासन से उचित आदेश आया है तो उम्मीद है कि यह काम शुरू हो सकेगा।