कोरोना से जंग में मानसिक रोग बढ़े, इलाज में बीमा कवर का उठा सकते हैं फायदा
नई दिल्ली: कोविड-19 से पूरा देश लड़ाई लड़ रहा है और इसी बीच आर्थिक गतिविधियों पर भी काफी असर पड़ा है। आर्थिक गतिविधियों पर पड़े असर ने कई लोगों की नौकरी ले ली है जिससे लोगों के बीच मानसिक अवसाद (डिप्रेशन) की बीमारी पैदा होने लगी है। लांसेट में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक लगभग 20 करोड़ भारतीय मानसिक तनाव से जूझ रहे हैं। ऐसे में मानसिक रोगों का कवर देने वाली बीमा पॉलिसी आपके लिए मददगार हो सकती है। बीमा नियामक इरडा के निर्देश के बाद कई कंपनियां इसका कवर दे रही हैं।
ओपीडी का कवर जरूर लें
मानसिक बीमारी के कवर वाली पॉलिसी लेने के पहले कई बातों की पड़ताल करें। विशेषज्ञों का कहना है कि मानसिक रोगों के इलाज में अस्पताल में भर्ती होने की नौबत कम आती है। ऐसे में बीमा पॉलिसी में बाह्य रोगी विभाग (ओपीडी) में होने वाले इलाज के कवर वाली पॉलिसी जरूर लें। यह अधिक फायदेमंद होती है। वहीं विभन्न रोगों की वजह मानसिक अवसाद की स्थिति में कॉम्प्रहेंसिव बीमा पॉलिसी आपके लिए ज्यादा मददगार साबित हो सकती है।
कब नहीं मिलता है कवर
बीमा कंपनियां कुछ मामलों में मानसिक बीमारी का कवर देने से इनकार कर सकती हैं। इरडा के दिशा-निर्देश के मुताबिक शराब या मादक पदार्थों के सेवन की वजह से मानसिक तनाव की स्थिति में बीमा कंपनियां मानसिक बीमारी का कवर नहीं दे सकती हैं। ऐसे में पॉलिसी लेने से पहले उसकी शर्तों की पड़ताल जरूर कर लें। सात अप्रैल 2017 तक मानसिक बीमारी को इंश्योरेंस में कवर नहीं मिलता था। 2017 में मानसिक हेल्थकेयर कानून पारित हुआ जो सात जुलाई 2018 को अस्तित्व में आया।
कानून की धारा 21(4) के मुताबिक हर इंश्योरेंस कंपनी अपने स्वास्थ्य बीमा में शारीरिक बीमारी की तरह मानसिक बीमारी के लिए इंश्योरेंस कवर की भी सुविधा देगी। इसके बाद साल 2018 के अगस्त में आईआरडीएआई सभी इंश्योरेंस कंपनी को कानून का पालन करने के निर्देश दिए। 30 सितंबर 2019 को आईआरडीएआई ने गाइडलाइंस जारी कि जिसमें मानसिक बीमारी, टेंशन, मनौवैज्ञानिक बीमारी, व्यावहारिक और दिमागी विकास संबंधी बीमारी को शामिल किया गया।