अजब-गजब

क्या आपको पता है भारत के संसद भवन में लगे होते हैं उलटे पंखे, लेकिन क्यों?

भारत का संसद भवन देश की ऐतिहासिक धरोहर है.

आज़ादी से भी पहले की 88 साल पुरानी संसद की इमारत देश की कला और वास्तुशिल्प का एक कमाल का बेजोड़ नमूना है.

83 लाख रुपये में 17 साल की मेहनत के बाद बनकर तैयार हुआ था संसद

शायद आप नही जानते होंगे कि बेजोड़ वास्तुशिल्प से बने संसद भवन का निर्माण सालों पहले महज 83 लाख रुपये की लागत के साथ 17 वर्ष के समय में हुआ था.

संसद भवन की नींव 12 फरवरी 1921 को ड्यूक ऑफ कनाट ने रखी थी.

जी हाँ ये वही ड्यूक ऑफ कनाट हैं जिनके नाम पर दिल्ली में स्थित एक जगह का नाम कनाट प्लेस पड़ा हुआ है.

संसद से जुड़ी कुछ बेहद दिलचस्प जानकारी

इसके अलावा, संसद भवन की कुछ और भी बहेड अनोखी लेकिन विचित्र खासियतें हैं जिसे बहुत कम लोग जानते हैं.

दोस्तों आज हम इसी बारे में आपको जानकारी देते हुए कुछ ऐसा बताएंगे जिसे जानना आपके लिए बेहद जरुरी है.

संसद के सेंट्रल हॉल में लगे होते है उलटे पंखे

हाल ही में संसद उस वक्त भी सुर्ख़ियों में आया जब भारत के 14 वें राष्ट्रपति के तौर पर रामनाथ कोविंद ने शपथ ली.

देश के नए राष्ट्रपति के शपथ ग्रहण समारोह में लगभग सभी पार्टियों के नेता शामिल हुए.

लेकिन इस समारोह में कई चीजें ऐसी देखने को मिली जो पहले कभी नहीं देखी गईं.

इन्ही सभी चीज़ों के बीचे जो बात सबसे ज्यादा लोगों को दिलचस्प लगी वह ये थी कि सेंट्रल हॉल में राष्ट्रपति कोविंद के शपथ ग्रहण समारोह के दौरान आमतौर पर कमरे की सीलिंग पर लगने वाले पंखे संसद में उल्टे लगे हुए दिखे.

सजावट के लिए नहीं लगाए जाते उल्टे पंखे

संसद भवन में उलटे लगे पंखों को देख हर कोई इसके पीछे का कारण जानना चाहता है.

बहुत से लोगों में इस बात को लेकर काफी उत्सुकता है कि आखिर संसद भवन में उलटे पंखे क्यों लगाये गए..?

ऐसे में अगर आप ये सोच रहे हैं कि उलटे पंखे केवल सजावट के तौर पर लगाए गये हैं तो आप बिलकुल ग़लत है.

संसद भवन में इसलिए लगाए जाते हैं उल्टे पंखे..!

जी हाँ बता दें कि जब हमने इसी जानकारी को लेकर खोज-बीन की गई तो राष्ट्रपति भवन में उल्टे पंखे लगे होने की ऐसी वजह पाई जिसे जानकारी आप भी हैरान हो जाएंगे.

दरअसल, विशेषज्ञों की माने तो ये पंखे शुरू से ही यहां ऐसे उलटे लगे हुए थे.

सालों से संसद भवन की ऐतिहासिकता को बनाए रखने के लिए इनके साथ कोई छेड़छाड़ नही की गई और इस चलते इन्हें आज भी उल्टे ही रखा गया है.

यानि कि कोविंद के शपथ ग्रहण समारोह से पहले भी ये पंखे इसी तरह उल्टे ही थे.

संसद भवन की कुछ और दिलचस्प खासियतें :

इस बात में भी कोई दौराय नहीं हैं कि संसद भवन देश के सबसे भव्य भवनों में से एक है.

बता दें कि देश को चलाने वाले संसद भवन को मशहूर वास्तुविद लुटियन ने डिजाइन किया था.

ससंद भवने में आपको अद्भुत खंभों और गोलाकार बरामदें दिखाई देंगे जो पुर्तगाली स्थापत्यकला का एक विचित्र अद्भुत नमूना है.

इसकी गोलाकार डिजाइन के कारण ही इसे सर्कुलर हाउस भी कहा जाता था,

लेकिन, बहुत कम लोग हैं जो संसद भवन के बारे में ज्यादा कुछ जानते हैं.

गोलाकार आकार में बना संसद भवन का व्यास लगभग 170.69 मीटर है.

जिसके परिधि 536.33 मीटर है और करीब 6 एकड़ (24281.16 वर्ग मीटर) में फैला हुआ है.

इसके अंदर की सुंदरता और उलटे लटके पंखे इसे दुसरे भवनों से बेहद अलग बनाते हैं.

निष्कर्ष

तो दोस्तों अगली बार आप जब भी टीवी चैनल पर संसद भवन के अंदर की उलटे पंखों की तस्वीर देखें तो हैरत में पड़ने की बजाय इसके पीछे का ये कारण याद कर लेना.

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