अद्धयात्म

क्या कश्मीर में है ईसा मसीह की कब्र?

एजेन्सी/  jesus-551fe0780747a_lईसा मसीह का जीवन प्रेम, त्याग, दया और क्षमा का प्रतीक है। गुड फ्राइडे (25 मार्च 2016) का दिन उनके बलिदान का स्मरण करने के लिए है। इसे हॉली फ्राइडे अथवा ग्रेट फ्राइडे भी कहते हैं।

इसी दिन ईसा मसीह को क्रूस पर लटकाया गया था। यह दिन ईस्टर संडे से पहले आने वाले शुक्रवार को मनाया जाता है। विश्व के विभिन्न देशों में ईसाई समाज के लोग इस दिन ईसा मसीह के बलिदान को याद करते हैं, उनके वचनों का स्मरण करते हैं। 

ईसा मसीह को लेकर विद्वानों ने अनेक शोध तथा निष्कर्ष प्रस्तुत किए हैं। इनमें एक निष्कर्ष बहुत दिलचस्प है। इसके मुताबिक, ईसा मसीह भारत आए थे और आज भी उनसे जुड़ी निशानी भारत भूमि पर मौजूद है।

कई लोग आज भी इस मान्यता पर भरोसा जताते हैं, जिसके मुताबिक ईसा मसीह को जब सूली पर लटकाया गया था, तब उनके शरीर में प्राण शेष थे। उसके बाद वे भारत आए। जिस दिन ईस्टर संडे मनाया जाता है, ईसा मसीह येरुसलम से भारत लौट गए। वे कश्मीर में एक स्थान पर रहने लगे और यहीं आकर उन्होंने देह त्यागी थी। 

माना जाता है कि कश्मीर में ही ईसा मसीह की कब्र मौजूद है। अगर वर्ष के अनुसार गणना की जाए तो विद्वानों का आकलन है कि ईसा मसीह को 33 वर्ष की आयु में सूली पर लटकाया गया परंतु 13 से 29 वर्ष के बीच वे कहां थे, इस सवाल का जवाब कई विद्वानों ने तलाशने की कोशिश की है।

उनके अनुसार, 13 से 29 वर्ष की आयु के बीच वे भारत में रहे थे। यहां उन्होंने शिक्षा भी प्राप्त की थी। जब वे 30 वर्ष के हुए तो पुन: येरुसलम गए और वहां योहन्ना से दीक्षा प्राप्त की। 33 साल की उम्र में उन्हें सूली पर लटकाया गया। इतिहास के आधार पर यह दावा किया जाता है कि सूली पर चढ़ाने के बाद रविवार को एक महिला ने ईसा मसीह को कब्र के पास जिंदा देखा।

उसके बाद वे भारत लौट आए। उन्होंने बौद्ध तथा नाथ संप्रदाय के साधुओं के साथ तपस्या की। वे उसी मठ में रहने लगे जिसमें पहले रहते थे और देह त्यागने तक वहीं रहे। उनके जीवन में ही बौद्ध धर्म का सम्मेलन हुआ था, जिसमें उनके भाग लेने की संभावना जताई जाती है। आज भी श्रीनगर के पास उस बौद्ध विहार के खंडहर बताए जाते हैं।

एक और दावे के मुताबिक श्रीनगर के पुराने शहर में रौजाबल नामक इमारत है। यहां एक प्राचीन मकबरा है। कहते हैं कि यहीं ईसा मसीह को दफनाया गया था। इसके बारे में कुछ लोगों के अलग मत हैं और इसे एक मुस्लिम उपदेशक की कब्र कहा जाता है। 

ओशो ने भी ईसा मसीह की कब्र भारत में होने की पुष्टि की थी। उनकी एक किताब गोल्डन चाइल्डहुड के अनुसार यहूदी धर्म के एक पैगंबर ने भी पहलगाम में प्राण त्यागे थे और यहीं ईसा मसीह ने प्राण त्यागे। दोनों की कब्रें यहीं हैं। दोनों कब्रों का निर्माण यहूदी तरीकों से हुआ है, जो इस बात को और पुख्ता करती हैं। वहीं कुछ अन्य किताबों में भी ईसा मसीह का संबंध भारत से होने के दावे किए गए हैं। कहा जाता है कि वे तमिल ब्राह्मण परिवार से थे।

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