क्या है पनामा पेपर जिसने भारत ही नहीं पूरी दुनिया को हिलाया
एजेन्सी/ टैक्स चोरी का बड़ा खुलासा हुआ है। पनामा की एक लॉ फर्म से लीक हुए करोड़ों के दस्तावेजों ने दुनियाभर की तमाम बड़ी हस्तियों को कटघरे में खड़ा कर दिया है। भारत ही नहीं दुनियाभर के नामचीन लोग इसमें लिप्त हैं। पनामा पेपर पनामा (मध्य अमरीका का एक देश) स्थित मोसेक फॉन्सेका नामक विधि फर्म के वो दस्तावेज हैं जो निवेशकों को कर बचाने, काले पैसे को सफेद करने और अन्य कामों से जुड़े होते हैं। हालांकि खोजी पत्रकारों के अंतरराष्ट्रीय संघ, जो टीम इस पनामा पेपर्स के पीछे है उसका कहना है कि इस बात की संभावना तेज हैं कि इन विदेशी कंपनियों में से कई सारी कंपनियां ऐसी गतिविधियां वैध रूप से कर रही हैं। पनामा पेपर्स इस तरह से काम करने वाला अपने आप में दुनिया का एक बड़ा संगठन है। बीते एक साल में करीब 80 देशों के 100 से अधिक मीडिया संगठनों के 400 पत्रकारों ने दस्तावेजों का गहन शोध किया है।
मोसेक फॉन्सेका से लीक हुए दस्तावेजों से यह संकेत मिलता है कि दुनिया भर के नेताओं और प्रमुख खिलाडिय़ों अन्य हस्तियों ने अरबों डॉलर की राशि उसके यहां छुपाई हुई है। ऐसी आशंका है कि इस प्रकरण के सामने आने से पनामा की छवि एक ऐसी जगह के रुप में बनेगी जो कि कर चोरों के लिए पनाहगाह या मनी लॉडिं्रग का बड़ा केंद्र है। यहां की सरकार को पनामा की उस छवि को तोडऩे में बड़ी दिक्कतों का सामना करना पड़ा रहा है जिसके अनुसार यहां कर अधिकारियों से धन छुपाने के लिए संदिग्ध लेनदेन होता है। इस देश का इस्तेमाल धनी, ड्रग तस्कर, अपराधी व आतंकियों के धन को सफेद करने के लिए किया जाता है। पनामा का नाम पनामा रिपब्लिक है, यह मध्य अमरीका के दक्षिण में है जो पनामा भूडमरु पर स्थित है और उत्तर और दक्षिण अमरीका के दो महाद्वीपों को धरती की एक पतले डमरू से जोड़ता है।
40 लाख की जनसंख्या
एजेन्सी/ पनामा एक छोटा-सा देश है जिसकी जनसंख्या सिर्फ 40 लाख है। पनामा की राजधानी का नाम पनामा नगर है। पनामा स्पेन का उपनिवेश हुआ करता था। पनामा की मुद्रास्फीति नीची है और यह अपनी मुद्रा के रूप में अमरीकी डॉलर का इस्तेमाल करता है। यहां की सरकारें लगातार पनामा को सिंगापुर जैसे ही व्यापार अनुकूल वित्तीय केंद्र के रूप में बढावा देती रही हैं और उन्होंने यहां बैंकिंग और वित्तीय सेवाओं को सक्रियता से बढ़ावा दिया है। उसकी आय का एक बड़ा हिस्सा, उसकी विख्यात नहर से आता है। उसके सकल घरेलू उत्पाद में इस नहर से आय का हिस्सा लगभग 80 फीसदी है। पनामा को ऐसे देश के रूप में जाना जाता है जिसने लातिन अमरीका में सबसे सतत आर्थिक वृद्धि दर्ज की है।
ऐसे काम करती है फर्म
सेक फॉन्सेका फर्म विदेशियों को पनामा में शेल कंपनीज बनाने में मदद करती है, जिसके जरिए वे अपनी वित्तीय संपत्ति को अपना नाम या पता बताए बिना खरीदते हैं। वर्ष 1977 में अपने गठन के बाद से फर्म ने पनामा के बाहर दुनियाभर में 40 अधिकारियों को तैनात किया है। फर्म के ये अधिकारी दुनियाभर के अपने क्लाइंट्स को न सिर्फ पनामा, बल्कि बहमास, ब्रिटिश वर्जिन आईलैंड और अन्य टैक्स हैवन देशों में शेल कंपनीज बनाने में मदद करते हैं।
क्या होती हैं शेल कंपनियां
शेल कंपनियां वे हैं जिन्हें ऊपर से देखने से लगता है कि वे कानूनी तौर पर सामान्य व्यापार कर रही हैं। लेकिन वह एक खाली खोल जैसी होती हैं। यह सिर्फ पैसे का प्रबंधन करती है। वह यह भी छिपाती है कि पैसा किसका है। कंपनियों के प्रबंधन में वकील, अकाउंटेंट और यहां तक की दफ्तर के सफाईकर्मी भी शामिल कर लिए जाते हैं। वह कागजात पर दस्तखत करने और लेटरहेड पर अपना नाम दर्ज करने की इजाजत देने के अलावा कुछ काम नहीं करते हैं।
यह गलत कैसे है
शेल कंपनीज दुनियाभर में बैंकिंग गोपनीयता के लिए अपने सेंटर्स बनाते हैं, जो एक सीमा तक गोपनीयता देते हैं। इससे वास्तविक ओनर का नाम पता करना मुश्किल होता है। उदाहरण के लिए यदि जल्द ही आप अपनी पत्नी से तलाक लेने जा रहे हैं, तो शेल कंपनी में लगे पैसे का आधा हिस्सा नहीं हासिल कर सकेगी। कारण, उसे और उसके वकील तो पता ही नहीं होगा आपका पैसा कहां लगा है और वे यह साबित नहीं कर पाएंगे कि वह पैसा आपका है।
दस्तावेज लीक के मायने
सवाल है कि इस पेपर लीक में जिन हस्तियों के अपने विदेशी खातों में वित्तीय लेनदेनों का खुलासा हुआ है, क्या वह लेनदेन पूरी तरह गैरकानूनी हैं? इस बारे में आईसीआईजे का कहना है कि निश्चित तौर पर हो सकता है कि यह पूरी तरह गैरकानूनी न हो, लेकिन इतना तो है कि किस तरह इन हस्तियों द्वारा देश के कोष को टैक्स बचाकर नुकसान पहुंचाया गया। रिपोर्ट में कहा गया है, टैक्स सेविंग फम्र्स जो सेवाएं उपलब्ध कराती हैं, वे बेशक पूरी तरह कानूनी हैं। लेकिन दस्तावेज दिखाते हैं कि बैंकों, लॉ फम्र्स और ऐसी ही अन्य एजेंसियों ने सभी कानूनी प्रक्रियाओं का पालन नहीं किया। रिपोर्ट में आगे बताया गया है कि कई मामलों में पाया गया है कि इन मध्यस्थों ने अपने क्लाइंट्स के संदिग्ध लेनदेनों को या तो छिपाया या ऑफिशियल रिकॉर्ड से छेड़छाड़ कर उन्हें सामने नहीं आने दिया।
पेपर्स का खुलासा अपराध
पनामा की विधि फर्म मोसेक फॉन्सेका ने कहा कि उसके कई धनी ग्राहकों के विदेशों में स्थित कामकाज की जानकारी देते हुए पनामा पेपर्स का खुलासा करना एक अपराध है और पनामा पर एक हमला है। मोसेक के संस्थापकों में शामिल रैमन फॉन्सेका ने कहा कि यह पनामा पर एक हमला है क्योंकि कुछ देशों को यह बात रास नहीं आती कि हम कंपनियों को आकर्षित करने में इतना कड़ा मुकाबला पेश कर रहे हैं। वहीं पनामा सरकार ने पनामा पेपर्स के आंकड़े लीक होने के मददेनजर शुरू की जा सकने वाली हर प्रकार की कानूनी जांच में पूरा सहयोग करने का संकल्प लिया है। सरकार ने कहा कि कोई कानूनी कदम उठाए जाने की स्थिति में हर प्रकार की आवश्यक सहायता या हर प्रकार के अनुरोध में पूरी तरह सहयोग करेगी।
पनामा ही क्यों…
पनामा में दो तरह का टैक्स सिस्टम है। एक है टेरेट्रियल टैक्स सिस्टम। इसमें रेसिंडेंट और नॉन रेसिडेंट कंपनियों से तभी टैक्स वसूला जाता है, जब इनकम देश में ही जनरेट हुई हो। दूसरा है कॉर्पोरेशन टैक्स सिस्टम। इसमें टैक्स रेट 25 फीसदी है। हालांकि, कंपनी जिनका टैक्सेबल रेवेन्यूज 1.5 मिलियन डॉलर से ज्यादा है उन पर अल्टरनेटिव टैक्स अप्लाई हो सकता है। जहां उनके ग्रॉस टैक्सेबल इनकम पर ज्यादा से ज्यादा 1.168 फीसदी टैक्स लगेगा या नेट टैक्सेबल इनकम पर 25 फीसदी टैक्स लगेगा। विदेशी निवेश पर पनामा में कोई टैक्स नहीं लगता। पनामा में ऐसी 3.50 लाख से ज्यादा गोपनीय कंपनियां हैं।