एजेन्सी/ सियासी वजहें राजा भोज की नगरी धार को दूसरी अयोध्या बनाने पर आमादा हैं. मध्यप्रदेश की अयोध्या…!
हर बार वसंत पंचमी पर तनाव का माहौल बनता है और अगर वसंत पंचमी के दिन जुमा पड़ जाए तो सियासी चालों की रफ्तार और तेज़ हो जाती है.
संयोग से इस बार आगामी 12 फरवरी को वंसत पंचमी के दिन शुक्रवार है. लिहाज़ा मध्यप्रदेश की भाजपा सरकार के सामने 12 तारीख नई चुनौती बनकर प्रस्तुत हो गई है.
उसे भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (एएसआई) के ताज़ा आदेश के मुताबिक भोजशाला में पूजा और नमाज़़ दोनों शांतिपूर्ण तरीके से संपन्न कराने हैं.
एएसआई ने नमाज़़ के लिए दो घंटे का ब्रेक निर्धारित किया है. हिंदूवादी संगठन नमाज़ के विरोध में नहीं हैं पर उनका कहना है कि यज्ञ में ब्रेक नहीं हो सकता.
वह तो पूर्णाहूति के बाद ही संपन्न होता है. दरअसल प्रशासन के लिए चिंता का सबब भी यही नज़रिया है.
इसलिए उसने दर्शन के लिए पहुंचने वालों की निकासी का ऐसा इंतजाम कर दिया है कि दर्शनार्थी करीब दो किलोमीटर बाहर निकलेगा और तुरंत प्रवेश द्वार के पास नहीं लौट सकेगा.
हिंदू संगठन इसका विरोध कर रहे हैं और उन्होंने बैरीकेड नहीं हटाने पर 11 तारीख से सत्याग्रह की चेतावनी दी है. कारण, भीड़ नहीं होगी तो प्रशासन पर दबाव नहीं बन पाएगा.
शास्त्री कहते हैं, ”भोजशाला के कारण कभी ऐसा तनाव नहीं देखा गया, जैसा बीते कुछ वर्षों में बनता रहा है. बचपन में हम तो वहां खेलने जाते थे. कभी कोई बात दिमाग में नहीं रही.”
एक दिलचस्प बात ये भी है कि राज्य सरकार के सालाना कैलेंडर में इस बार वसंत पंचमी 13 फरवरी दिन शनिवार की बताई गई है और ऐच्छिक अवकाश भी घोषित किया गया है.
ज़ाहिर है अगर सरकारी कैलेंडर के मुताबिक वसंत पंचमी मनाई जाती तो कोई विवाद ही नहीं होता.
राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के संगठन धर्म जागरण विभाग के संयोजक गोपाल शर्मा ने कहा कि वसंत पंचमी के दिन सरकार को पूजा बिना किसी रुकावट के संपन्न कराने का इंतजाम करना चाहिए.
शर्मा कहते हैं, ”भोजशाला सरस्वती मां का मंदिर है, जिसकी मूर्ति मुगल काल में खंडित कर दी गई थी.”
वो कहते हैं, ”यह हिंदू संस्कृति की पहचान है. हम नमाज़़ का विरोध नहीं कर रहे, लेकिन आप समझिए कि यज्ञ तो पूर्णाहूति के बाद ही संपन्न होता है.”
शर्मा के अनुसार, ”बीच में साढ़े तीन घंटे का ब्रेक हमें मंजूर नहीं है. जहां तक केंद्र सरकार या एएसआई के आदेश का सवाल है तो राज्य सरकार उसे मानने के लिए कतई बाध्य नहीं है.”
वो कहते हैं, “हर जुमे को चार से पांच हज़ार मुसलमान नमाज़़ पढ़ते हैं. धार की जनता में भाईचारा है. लेकिन कुछ संगठनों के कुछ लोग तनाव फैलाने में लगे हैं. हमने कहा है कि प्रशासन को एएसआई के आदेश का पालन करवाकर शांतिपूर्ण माहौल में नमाज़़ की व्यवस्था करनी चाहिए.”
इंदौर के कमिश्नर संजय दुबे ने बीबीसी से कहा, “प्रशासन भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (एएसआई) के हालिया आदेश का हर हाल में पालन कराएगा. इस आदेश के मुताबिक सूर्योदय से दोपहर 12 बजे और दोपहर बाद 3.30 बजे से सूर्यास्त तक पूजा की अनुमति रहेगी. इस बीच 1 से 3 बजे का वक्त नमाज़़ के लिए रहेगा.”
उन्होंने ज़ोर देकर कहा, “हर भारतीय कानून से बंधा है, लिहाज़ा क़ानून की अवहेलना किसी को नहीं करने दी जाएगी. प्रशासन ने पुख्ता इंतज़ाम किए हैं. विश्वास है कि सब कुछ शांतिपूर्ण ढंग से निपट जाएगा.”
क्या है विवाद
धार की भोजशाला असल में भारतीय पुरातत्व संरक्षण विभाग (एएसआई) के अधीन एक ऐसा स्मारक है, जिस पर हिंदू और मुसलमान दोनों अपना दावा जताते रहे हैं. हिंदू इसे सरस्वती मां का मंदिर बताते हैं और मुसलमान कमाल मौला मस्जिद. लिहाजा एएसआई ने आदेश निकाला कि दोपहर 1 बजे से 3 बजे तक नमाज़ होगी और सूर्योदय से दोपहर 12 बजे व फिर 3.30 बजे से सूर्यास्त तक पूजा की अनुमति रहेगी.
आम दिनों में भोजशाला में हर मंगलवार पूजा की अनुमति है और हर जुमे को नमाज़़ की. बाकी दिनों में सभी के लिए भोजशाला खुली रहती है.
बीते एक माह से धार व आसपास के इलाके में तनाव की स्थिति बनती रही है, क्योंकि दोनों ही समुदाय के लोग परस्पर समझौते पर नहीं पहुंच पाए.