नई दिल्ली। महंगाई, मुनाफाखोरी और कालाबाजारी से परेशान केंद्र सरकार नया कदम उठाने जा रही है। अब जरूरी चीजों के दाम सरकार तय करेगी। इसके बाद दुकानदार दाल, शकर, दूध और खाद्य तेल जैसी चीजों को मनमानी कीमत पर नहीं बेच पाएंगे। दुकानदार थोक और खुदरा मूल्य में अंतर 10 से 15 फीसदी से अधिक नहीं वसूलेंगे। साथ ही वे खुले सामान को पैकेट में भरकर ज्यादा कीमत भी नहीं वसूल पाएंगे। जरूरी चीजों के मामले में अधिकतम खुदरा मूल्य (एमआरपी) का नियम खत्म हो जाएगा।
दाल की कीमतें बढ़ीं तो खुली नींद
हाल ही में दाल की बढ़ी कीमतों के बाद खुली और पैक्ड दाल के दामों में अंतर देखने को मिला था। इसके बाद उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने लीगल मेटरोलॉजी के नियमों में संशोधन कर खुदरा कीमतें तय करने का फैसला लिया है। 7 सितंबर को जारी अधिसूचना के मुताबिक, एक बार किसी सामान का दाम आवश्यक वस्तु अधिनियम के तहत अधिसूचित कर दिया तो वही लागू होगा। सरकार जरूरी चीजों की मात्रा भी तय कर सकती है। मसलन 500 ग्राम, 1 किलो, 2 किलो आदि। संशोधित नियमों में राज्यों को ऐसे अधिकार दिए गए हैं, जिसके तहत वह मनमानी बढ़ोतरी करने वालों के खिलाफ कार्रवाई कर सकते हैं। मंत्रालय ने राज्यों के लिए एडवाइजरी गाइडलाइन भी जारी की है। अगर पैकेज्ड कमोडिटी नियमों का उल्लघंन होता है तो नियम तोड़ने वाले पर 5 हजार रुपए जुर्माना लगाया जा सकता है। सरकार उस सामान का पूरा स्टॉक भी जब्त कर सकती है। केंद्र की गाइडलाइन राज्य करेंगे लागू हरियाणा सरकार दालों के अधिकतम दाम इसी तरह तय कर चुकी है। महाराष्ट्र सरकार भी इसी तरह के नियम पर काम कर रही है। जुलाई में मंत्रालय ने सभी राज्य सरकारों से दाम तय करने के लिए कहा था। मंत्रालय की यह गाइडलाइन भी राज्यों को ही लागू करना है।
ये होंगे फायदे
मुनाफाखोरी पर रोक लगेगी। कम कीमत में वस्तुएं उपलब्ध होंगी। पूरा स्टॉक जब्त होने के नियम से जमाखोरी पर रोक लगेगी। 15 फीसदी पर कारण बताना होगा संशोधित नियमों के मुताबिक, मंत्रालय ने थोक और खुदरा मूल्य में 10 फीसदी अंतर को मानक माना है। कुछ मामले में यह 15 फीसदी तक भी हो सकती है, लेकिन इसका वाजिब कारण बताना होगा। जैसे महंगा परिवहन या उत्पादन में कमी आदि।