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खुलासा: भारत में हर साल 1 करोड़ नहीं 50 लाख नौकरियों की ही है जरूरत

‘एक करोड़ नौकरियां देने की बातें मिथ्या हैं और भारत को हर साल 50 लाख नौकरियों की ज़रूरत है.’ ये निष्कर्ष है एक स्टडी का जिसे अर्थशास्त्री सुरजीत भल्ला ने तैयार किया. भल्ला ने प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद से मंगलवार को ही इस्तीफा दिया है.

खुलासा: भारत में हर साल 1 करोड़ नहीं 50 लाख नौकरियों की ही है जरूरतभारत में रोजगार के परिदृश्य पर भल्ला की स्टडी जल्दी ही प्रकाशित होगी. ये स्टडी भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन के हाल में किए गए उस दावे से मेल नहीं खाता जिसमें उन्होंने हर साल भारत में एक करोड़ नौकरियों की जरूरत जताई थी.

ये बयान मंगलवार को उस वक्त आया जब बीजेपी को विधानसभा चुनाव नतीजों के झटके सहने पड़ रहे थे. विधानसभा चुनावों के प्रचार के दौरान कांग्रेस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर रोजगार सृजन के वादों को पूरा ना करने के लिए जमकर प्रहार किए थे.  बातचीत में सुरजीत भल्ला ने कहा कि उनकी स्टडी के मुताबिक भारत में लोगों के लिए हर साल 53 लाख नौकरियों की ज़रूरत है.

भल्ला ने कहा, ‘हमारे यहां रघुराम राजन जैसे विभिन्न लोग हैं जो कहते हैं कि भारत को हर साल 1 करोड़ 20 लाख नौकरियों की जरूरत है लेकिन अतीत के सभी डेटा पर नजर डालें तो इस दावे की पुष्टि करने के लिए कोई सबूत नहीं मिलता.’

भल्ला ने कहा, ‘ऐसा एक भी साल नहीं रहा जब भारत को साल में एक करोड़ नौकरियों की ज़रूरत रही हो. अगर लोगों के शैक्षणिक स्तर को देखा जाए तो भारत को हर साल 53 लाख नौकरियों की आवश्यकता है.’ भल्ला ने कहा, मोदी सरकार की ओर से लाए गए नोटबंदी, जीएसटी और दीवालियापन कानून को इतिहास में बड़े नीतिगत सुधारों के तौर पर दर्ज किया जाएगा.

भल्ला ने काले धन और कर चोरी पर प्रहार करने के लिए नोटबंदी को बहुत अच्छी नीति बताया. भल्ला ने कहा कि सिर्फ शीर्ष के 30 फीसदी लोग ही नाखुश महसूस करते हैं क्योंकि उन्हें ज्यादा टैक्स देना पड़ता है. भल्ला ने कहा, ‘जब नोटबंदी के अर्थव्यवस्था पर लाभ की बात होती है तो कांग्रेस कहती है कि हमने इसे खोजा था. लेकिन लगे हाथ इसकी आलोचना भी करती है. ये सब राजनीति के सिवा कुछ नहीं है.’ भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के गवर्नर पद से उर्जित पटेल के इस्तीफे को लेकर भल्ला ने कहा कि खींचतान बीते दो साल से चल रही थी.

भल्ला ने कहा, ‘केंद्रीय बैंक और वित्त मंत्रालय में मतभेद आम बात है, इसमें मैं अर्थव्यवस्था में कोई बदइंतज़ामी नहीं देखता. उर्जित पटेल का आकलन देश के मौद्रिक प्रबंधन को लेकर ही होना चाहिए.’

भल्ला ने दावा किया कि ये उर्जित पटेल ही थे जो वित्त मंत्री से भी बात नहीं कर रहे थे. भल्ला का दावा उन आरोपों से उलट हैं जिनमें कहा जा रहा था कि सरकार अपने फैसले RBI पर थोप रही है.

पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव नतीजों पर भल्ला ने कहा, ‘2003 में इसी समय बीजेपी ने विधानसभा चुनावों में जीत हासिल की थी. अगले साल लोकसभा चुनावों को समय से पहले कराया गया तो बीजपी हार गई. हमें देखने की जरूरत है कि विधानसभा चुनावों से राष्ट्रीय चुनाव के लिए कितना पढ़ा जा सकता है.’

भल्ला ने कहा कि मैं 2019 के लिए इन नतीजों से ज्यादा कुछ नहीं पढ़ता. बीजेपी राज्य दर राज्य चुनाव 2014 से जीत रही है. बीजेपी को 12 जीत मिली जबकि कांग्रेस का स्कोर शून्य रहा. पार्टी को मोदी सरकार की आर्थिक नीतियों से लाभ मिला. आज बीजेपी हारी लेकिन साथ ही कांग्रेस ने मिजोरम में हार का मुंह देखा.

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