अपराध

गिरफ्त में छोटा डॉन

छोटा राजन 1993 के बम धमाकों और सांप्रदायिक दंगों तक दाऊद के भरोसेमंद लोगों में रहा। इन दंगों और बम धमाकों की वजह से राजन का मन बदला और उसने दाऊद से अलग होकर अपना कथित देशभक्त हिन्दू गैंग बना लिया। अपनी इस हिन्दू डॉन और देशभक्त की छवि को मजबूती देने के लिए उसने उसने 1993 के बम धमाकों के मुख्य आरोपियों में से 6 का कत्ल करवा दिया।

Captureकप्तान माली, मुम्बई
लोकसभा चुनाव से पहले नरेन्द्र मोदी ने ये वादा किया था के वे सत्ता में आने के बाद 1992-93 के मुम्बई बम धमाके और दंगों के मास्टरमाइंड अंडरवल्र्ड डॉन दाऊद इब्राहिम को भारत वापस ले आएंगे हालांकि उनका यह वादा भी उनके कई वादों की तरह अब तक अधूरा ही है। मोदी के प्रधानमंत्री बनने के डेढ़ साल बीतने के बाद इंडोनेशिया पुलिस ने अंडरवल्र्ड के दूसरे नंबर के डॉन छोटा राजन को गिरफ्तार कर लिया है पर जैसा कि हर ओर डंका पीटा जा रहा है की यह भारतीय सरकार की एक सफलता है ऐसा बिलकुल नहीं है। राजन का पकड़ा जाना पूरी तरह से इंडोनेशिया पुलिस की सफलता है। उसकी हर हरकतों पर भारतीय सुरक्षा एजेंसियों की पूरी नजर थी और उनके ही सुराग दिए जाने के बाद यह सफलता हासिल हुई है।
गौरतलब है कि छोटा राजन जो करीब ढाई दशक से भारत से भागा हुआ था और जिसके खिलाफ रेड कार्नर नोटिस भी जारी की गई थी, को इंडोनेशिया पुलिस ने 25 अक्टूबर को मोहन कुमार नाम के फर्जी पासपोर्ट पर यात्रा करते हुए पकड़ा जिसके बाद ही उसकी गिरफ्तारी, आत्मसमर्पण, भारत वापसी, दाऊद इब्राहिम से जान के खतरे इत्यादि को लेकर सुर्खियां छायी रहीं। हालांकि अब उसके भारत प्रत्यर्पण के भी रास्ते साफ़ होने की भी बातें विदेश मंत्रालय द्वारा ख़बरों में आ रही हैं।

पाकेटमार से अंडरवल्र्ड डॉन तक का सफर
राजेन्द्र निखालजे उर्फ छोटा राजन का जन्म मुम्बई के एक मध्यम वर्गीय परिवार में हुआ था। राजन के पिता एक कपड़ा मिल मजदूर थे जो तिलकनगर इलाके में रहते थे। स्कूली पढ़ाई में फेल होने के बाद वह पाकेटमारी के धंधे से जुड़ा और जल्द ही पास के सहकार सिनेमा के बाहर टिकट ब्लैक में बेचने लगा। इस दौरान उसका प्रतिद्वंद्वी ग्रुप से झगड़ा और मारपीट भी आम बात ही गई। छोटा राजन की यह कहानी उस क्षेत्र के माफिया राजन नायर उर्फ बड़ा राजन तक भी पहुंची जिसने बाद में राजेन्द्र को उसका उर्फ नाम छोटा राजन नाम दिया। दोनों मिलकर उस समय सिनेमाघरों के टिकटों की कालाबाजारी में छा गए और उनकी यह जोड़ी 1970 से 1985 तक बड़ा राजन के मौत तक जारी रही।उसी वक्त 80 के दशक में दाऊद इब्राहिम भी अपनी सत्ता का विस्तार कर रहा था और उसकी नजर छोटा राजन पर पड़ी और उसने राजन को अपना सिपहसालार बना लिया। राजन 1993 के बम धमाकों और सांप्रदायिक दंगों तक दाऊद के भरोसेमंद लोगों में रहा। इन दंगों और बम धमाकों की वजह से राजन का मन बदला और उसने दाऊद से अलग होकर अपना कथित देशभक्त हिन्दू गैंग बना लिया। अपनी इस हिन्दू डॉन और देशभक्त की छवि को मजबूती देने के लिए उसने उसने 1993 के बम धमाकों के मुख्य आरोपियों में से 6 का कत्ल करवा दिया। इसके बाद वह अपना दुबई का ठिकाना बदल कर कथित तौर पर इंडोनेशिया, सिंगापुर, ऑस्ट्रेलिया जकार्ता जैसे छिपे ठिकाने पर रहकर फोन से बड़े व्यापारियों और बिल्डरों से हफ्ता वसूली में लगा हुआ था। कथित तौर पर उसने इंडोनेशिया में दूसरी शादी भी की है और उसे एक बच्चा भी है।
हालांकि बम धमाकों के आरोपियों की हत्या का खामियाजा छोटा राजन को चुकाना पड़ा। दाऊद ने इसका बदला लेने के लिए छोटा राजन के बैंकाक के ठिकाने पर उसे मारने की योजना बनाई, जिसमें राजन बुरी तरह घायल हुआ और उसके साथी रोहित वर्मा मारा गया। तब से वह बीमार भी रहने लगा। बाद में राजन ने उस पर हमले में शामिल सभी की हत्या करवा दी।
आखिर क्यों पकड़ा गया छोटा राजन?
करीब 25 साल तक दुनिया और दाऊद से खुद को छिपाते फिरते रहने के बाद अचानक छोटा राजन क्यों सबके सामने आया? राजन के इस पकड़े जाने के पीछे कई थ्योरी काम कर रही हैं, मीडिया रिपोट्र्स के अनुसार पहली यह कि उसके डॉक्टरों द्वारा यह सलाह दी गयी है कि उसकी किडनी की बीमारी जानलेवा हो सकती है यदि वह अब एक ठिकाने पर नहीं रुकता और वह अपनी इस बीमारी का इलाज करवाना चाहता है जो उसे जेल में मिल सकती है। दूसरी थ्योरी यह कहती है कि हाल ही में उसके ऑस्ट्रेलिया वाले ठिकाने का पता दाऊद गैंग को चल गया जिसके कारण उसे रातों रात वह ठिकाना बदलना पड़ा नहीं तो उसकी जान को खतरा हो सकता था, यदि वह पुलिस की गिरफ्त में रहे तो उसकी जान बच सकती है।हालांकि महाराष्ट्र के पूर्व पुलिस महानिदेशक और 90 के दशक में अंडरवल्र्ड की रीढ़ तोड़ने वाले डी. सिवानन्धन की मानें तो राजन बीमार नहीं हो सकता यह उसके द्वारा फैलाई गई अफवाहें हैं क्योंकि वह अभी सिर्फ 55 साल का ही है, पर हां उसका गिरफ्तार होना अंत भला तो सब भला जैसा है। राजन को अगर भारत प्रत्यर्पित किया जाता है तो महाराष्ट्र पुलिस के पास उसके खिलाफ पुख्ता सबूत हैं और उसे सजा दिलाई जा सकती है।
राजन का सरेंडर या गिरपतारी?
मुंबई पुलिस के क्राइम ब्रांच के मुखिया अतुल कुलकर्णी ने मीडिया द्वारा उठाई गई अटकलों को ख़ारिज करते हुए अपना बयान दिया है की राजन ने कोई सरेंडर नहीं किया बल्कि उसे गिरफ्तार किया गया है यदि उसे सरेंडर करना होता तो वह ऑस्ट्रेलिया में ही करता जहां वह कुछ समय से टिका था इंडोनेशिया क्यों आता?
वहीं कुलकर्णी ने यह भी साफ़ किया कि भारत और इंडोनेशिया के बीच प्रत्यर्पण संधि 2011 में ही किया जा चुकी है इसलिए राजन को भारत लाने में कोई दिक्कत नहीं है। मुंबई पुलिस अब राजन के प्रत्यर्पण की तैयारी में लग गई है और उसके खिलाफ सारे मामलों की फाइलों को मराठी से अंग्रेजी में अनुवाद करवा कर इंडोनेशिया पुलिस को भेजने की तैयारी में लगी हुई है। 

राजन की क्राइम फाइल
 कुल 71 मामले दर्ज
 20 से ज्यादा मकोका के तहत (महाराष्ट्र कंट्रोल ऑफ़ आर्गनाइज्ड क्राइम एक्ट )
 1 केस पोटा के तहत (प्रिवेंशन ऑफ़ टेरोरिस्म एक्ट)
 4 मामले टाडा (टेररिस्ट एंड डिसरप्टिव एक्ट के तहत
 1994 से रेड कार्नर नोटिस
 2011 में मिड डे अखबार के मशहूर क्राइम रिपोर्टर जे डे की हत्या

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