ज्ञान भंडार
गुजरात: हजारों लोगों ने एक साथ छोड़ा हिंदू धर्म
NEW DLEHI : GUJARAT के तीन बड़े शहर AHMEDABAD, KALOL और SURENDRANAGAR में HINDU RELIGION के लोगों ने भारी तादाद में अपना धर्म छोड़ा है
गुजरात के कुछ शहरों और गांवों में पिछले कुछ महीनों में दलितों के खिलाफ हुई कथित हिंसा और फिर दलितों के विरोध प्रदर्शनों के बीच एक महत्वपूर्ण घटना हुई है। मंगलवार को गुजरात के तीन प्रमुख शहरों अहमदाबाद, कलोल और सुरेन्द्रनगर में हुए समारोहों में कई दलितों को बौद्ध धर्म में शामिल किया गया है। इन समारोहों के आयोजकों का दावा है कि करीब दो हजार दलितों ने बौद्ध धर्म स्वीकार किया है।
इन समारोहों में बौद्ध धर्म की दीक्षा लेने वाले एमबीए के छात्र मौलिक चौहाण ने बताया कि बचपन से मेरे मन में था कि जाति प्रथा से मुझे कब मुक्ति मिलेगी। उना कांड के बाद मैंने मन बना लिया कि अब हिन्दू धर्म का त्याग कर मुझे बौद्ध धर्म की दीक्षा लेनी है क्योंकि उसमें सभी बराबर हैं।
कुछ महीने पहले गुजरात में वेरावल के उना गांव में पशुओं की खाल निकाल रहे कुछ दलित युवकों की पुलिस की मौजूदगी में पिटाई की गई थी। इस घटना का वीडियो वायरल होने के बाद मामले की जांच के आदेश दिए गए थे। इसके बाद पूरे गुजरात में जबरदस्त विरोध प्रदर्शन हुए थे।
अहमदाबाद, सुरेन्द्रनगर और कलोल में गुजरात बौद्ध महासभा और गुजरात बौद्ध अकादमी ने बौद्ध दीक्षा समारोह का आयोजन किया था। कलोल में दीक्षा समारोह का आयोजन करने वाले महेन्द्र उपासक ने बताया कि आप इस दीक्षा को उना कांड से जोड़ कर नहीं देख सकते। फिर भी हम मानते हैं कि अगर सभी दलित बौद्ध होते तो उना की घटना नहीं होती। हमारा मकसद यही है कि हम जाति प्रथा से मुक्ति दिलाने के लिए बौद्ध धर्म की दीक्षा देते हैं।
उपासक ने यह भी बताया कि दीक्षा लेने वालों से उनकी जाति नहीं पूछी जाती। लेकिन वे मानते हैं कि समारोह में शामिल ज्यादातर लोग दलित समुदाय से हैं। सरकारी कर्मचारी टीआर भास्कर ने बताया कि मैं कई सालों से बौद्ध धर्म से प्रभावित था क्योंकि यहां जाति से मुक्ति मिल जाती है। जिस प्रकार अंबेडकर ने भी बौद्ध धर्म स्वीकार किया था उसी प्रकार मैंने भी बौद्ध धर्म की दीक्षा ली है।
बौद्ध धर्म में शामिल मौलिक चव्हाण कहते हैं कि अब मैं हिंदू से बौद्ध हो गया हूं। उम्मीद है कि अब मुझे जाति प्रथा से मुक्ति मिल जाएगी। गुजरात भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता भरत पंड्या ने बताया कि भारत में कोई भी व्यक्ति किसी भी धर्म को अपना सकता है फिर भी अगर दलित नाराज होकर या किसी के कहने पर बौद्ध धर्म में दीक्षित होते हैं तो यह ठीक नहीं है। इस पर सभी को गंभीरता से विचार करना चाहिए।
गुजरात बौद्ध अकादमी के रमेश बैंकर ने कहा कि बौद्ध दीक्षा का समारोह किसी धर्म या जाति के खिलाफ नहीं है और इसका उना कांड के साथ भी कोई लेना-देना नहीं है। मैं इतना ही कह सकता हूं कि दीक्षा लेनेवाले सभी हिंदू हैं और जाति प्रथा से मुक्ति चाहते हैं।
गुजरात के वरिष्ठ पत्रकार राजीव पाठक ने बताया कि उना कांड के वीडियो ने गुजरात में दलितों की स्थिति को उजागर किया है। दूसरी तरफ दलितों में भी अपने अधिकार के प्रति चेतना आई है। ऐसे में यदि वे बौद्ध धर्म को स्वीकार करते हैं तो यह स्वाभाविक ही है। हालांकि ये पहली बार नहीं है कि दलित बौद्ध धर्म स्वीकार कर रहे हैं। (बीबीसी से इनपुट)