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गोविंदा के लिए ‘फीकी दाल’ साबित हुईं ये फिल्में, ब्रेक लेने को भी हुए मजबूर

अपने गजब से डांस स्टाइल और कॉमेडी के जरिए लोगों के दिलों में जगह बनाने वाले एक्टर गोविंदा फिल्म इंडस्ट्री में तीन दशकों से भी हैं। इस दौरान उन्होंने कई हिट फिल्में दीं और अवॉर्ड जीते। लेकिन उन्होंने कई ऐसी भी फिल्में की हैं जो उनके करियर के लिए फीकी साबित हुईं। एक नजर उनकी कुछ ऐसी ही फिल्मों पर।

गोविंदा की पहली ही फिल्म ‘इल्जाम’ एक बड़ी हिट रही और यहीं से उनके करियर ने रफ्तार पकड़ी। लेकिन कुछ फिल्में तो इतनी बेकार रहीं कि आज खुद गोविंदा को भी उनका अफसोस होता होगा। 1986 उनका डेब्यू वाला साल था और इसी साल पहली हिट देने के बाद उन्होंने ‘तन बदन’, ‘ड्यूटी’ जैसी फ्लॉप फिल्में दीं।1993 में आई उनकी फिल्म ‘जख्मों का हिसाब’ भी बुरी तरह पिट गई। इस फिल्म में उनकी जोड़ी फराह नाज के साथ थी। वहीं 1994 में आई ‘इक्का राजा रानी’ भी नहीं चली। इस फिल्म में गोविंदा के साथ आएशा जुल्का मुख्य भूमिका में थीं।

80 के दशक में जहां गोविंदा ने हर जॉनर में काम करके अपनी विधा को तराशा और ज्यादातर एक्शन फिल्में ही कीं वहीं 90 के दशक में उनका सुनहरा दौर शुरु हुआ। इस दौर में उन्होंने खुद को एक कॉमेडी स्टार के तौर पर स्थापित किया और ‘आंखें’, ‘राजा बाबू’, ‘कुली नं 1’ जैसी कई हिट कॉमडी फिल्में दीं। लेकिन फ्लॉप फिल्मों का दामन इस दौर में भी गोविंदा के साथ चिपका रहा और ‘बनारसी बाबू’ ‘अग्निचक्र’, ‘दो आंखें बारह हाथ’, ‘छोटे सरकार’, ‘जोरदार’, ‘माहिर’, ‘गैंबलर’ और ‘किस्मत’ जैसी फ्लॉप फिल्में दीं।

90 के दशक के अंत से लेकर 2000 के शुरुआत तक गोविंदा की कई फिल्में फ्लॉप रहीं जिसकी वजह से उन्होंने फिल्मों से ब्रेक लेना ही बेहतर समझा। इस दौर में उनकी कई ऐसी फिल्में बॉक्स ऑफिस पर औंधे मुंह गिरीं जिनके बारे में आप जानेंगे तो चौंक जाएंगे। ‘परदेसी बाबू’, ‘राजाजी’, ‘नसीब’, ‘महाराजा’, ‘अचानक’, ‘हम तुमपे मरते हैं’, ‘शिकारी’ से लेकर ‘जिस देश में गंगा रहता है’ तक फ्लॉप रहीं।

2000 में आई फिल्म ‘जिस देश में गंगा रहता है’ में गोविंदा के साथ सोनाली बेंद्रे और रिंकी खन्ना के साथ जोड़ी थी, लेकिन ये फिल्म भी नहीं चली। इसके बाद गोविंदा की कई और फिल्में फीकी साबित हुईं और दर्शकों की उम्मीदों पर खरी नहीं उतरीं। यहां तक कि कलेक्शन के मामले में भी ये फिल्में काफी पीछे रहीं। इनमें ‘अलबेला’, ‘बेटी नं 1’, ‘दिल ने फिर याद किया’, ‘क्योंकि मैं झूठ नहीं बोलता’, ‘प्यार दीवाना होता है’ जैसी फिल्में शामिल हैं।

2002 में आई फिल्म ‘अंखियों से गोली मारे’ तक फ्लॉप रही। ताज्जुब की बात है कि इस फिल्म में ना सिर्फ गोविंदा और रवीना टंडन की केमेस्ट्री को पसंद किया बल्कि इसके गाने भी खूब हिट हुए, बावजूद इसके ये फिल्म बुरी तरह फ्लॉप रही। ‘वाह तेरा क्या कहना’, ‘चलो इश्क लड़ाएं’, ‘राजा भैया’, ‘खुल्लम खुल्ला प्यार करें’, ‘सुख’, ‘सेंडविच’ और सलामे-इश्क’ जैसी बड़ी फिल्में भी बुरी तरह पिट गईं।

2006 मे गोविंदा ने फिर से फिल्मों में वापसी की और सलमान खान के साथ हिट फिल्म ‘पार्टनर’ दी। वापसी के इस दौर में उन्हें फिर से सफलता का स्वाद चखने को मिला। हाल फिलहाल में उनकी कई फिल्में आईं लेकिन वो फ्लॉप रहीं।इनमें 2011 में आईं ‘नॉटी एट 40’, ‘लूट’, ‘दीवाना मैं दीवाना’, ‘किल दिल’ और ‘हैप्पी एंडिंग’ भी औंधे मुंह गिरीं। और अब जल्द ही उनकी एक और फिल्म आ रही है ‘आ गया हीरो’। इस फिल्म में गोविंदा फिर से अपने उसी कॉमिक और एक्शन अवतार में नजर आएंगे। लेकिन देखते हैं कि ये फिल्म बॉक्स ऑफिस पर क्या कमाल दिखाएगी।

 

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