चंद्रग्रहण : कैसे बदलता गया चांद का रंग और आकार
नई दिल्ली : सदी का सबसे लंबा पूर्ण चंद्रग्रहण शुक्रवार की रात को पूरा हुआ। दुनिया ने कुछ घंटों के लिए चांद को अपना रंग बदलता हुए देखा, सफेद रंग के चांद ने धीरे-धीरे रंग बदला और एक समय ऐसा भी आया जब वह सुर्ख लाल रंग अपना चुका था। भारत में शुक्रवार देर रात करीब 11 बजकर 54 मिनट पर चंद्रग्रहण शुरू हुआ, शुरुआती एक घंटे में ये आंशिक चंद्रग्रहण रहा, लेकिन बाद में इसने पूर्ण चंद्रग्रहण का रूप ले लिया। इस दौरान देश और दुनिया में लोग इस अद्भुत नजारे के साक्षी बनने के लिए आसमान में टकटकी लगाए हुए देखते रहे, हालांकि, दिल्ली-एनसीआर में खराब मौसम होने के कारण कई जगह चांद साफ नहीं दिख पा रहा था। चंद्रग्रहण देखने के लिए दुनिया में लोग घरों से बाहर निकले, कई देशों में इसे देखने के लिए काफी इंतजाम भी किए गए थे, दुनिया भर के लिए भले ही ये घटना ब्रह्मांड की एक प्रक्रिया से जुड़ी हो लेकिन भारत में इसे एक आस्था के विषय के तौर पर ही देखा गया। चंद्र ग्रहण क्यों होता है? इसका सीधा सा जवाब है कि चंद्रमा का पृथ्वी की ओट में आ जाना, उस स्थिति में सूर्य एक तरफ, चंद्रमा दूसरी तरफ और पृथ्वी बीच में होती है, जब चंद्रमा धरती की छाया से निकलता है तो चंद्र ग्रहण पड़ता है।
चंद्रग्रहण पूर्णिमा के दिन पड़ता है लेकिन हर पूर्णिमा को चंद्र ग्रहण नहीं पड़ता है, इसका कारण है कि पृथ्वी की कक्षा पर चंद्रमा की कक्षा का झुके होना। यह झुकाव तकरीबन 5 डिग्री है इसलिए हर बार चंद्रमा पृथ्वी की छाया में प्रवेश नहीं करता, उसके ऊपर या नीचे से निकल जाता है, यही बात सूर्यग्रहण के लिए भी सच है। सूर्यग्रहण हमेशा अमावस्या के दिन होते हैं क्योंकि चंद्रमा का आकार पृथ्वी के आकार के मुकाबले लगभग 4 गुना कम है, इसकी छाया पृथ्वी पर छोटी आकार की पड़ती है इसीलिए पूर्णता की स्थिति में सूर्य ग्रहण पृथ्वी के एक छोटे से हिस्से से ही देखा जा सकता है, लेकिन चंद्र ग्रहण की स्थिति में धरती की छाया चंद्रमा के मुकाबले काफी बड़ी होती है. लिहाजा इससे गुजरने में चंद्रमा को ज्यादा समय लगता है।