चीनी सामानो की वजह से खत्म हुआ भारत के 2 लाख लोगों का रोजगार
बहुत ही दुखद बात है कि ‘ईज ऑफ डूइंग बिजनेस’ के नाम पर हम चीनी सामान को अपने बाजार में जगह देने के लिए बहुत उत्सुक हैं जबकि चीन सरकार अपने उद्योग को भारतीय प्रतिस्पर्धियों से बहुत चालाकी से बचा रही है। समिति ने पाया कि ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड्स (बीआईएस) जैसी संस्थाएं घटिया चीनी सामान को भी आसानी से सर्टिफिकेट दे रही हैं जबकि हमारे निर्यात को चीन सरकार बहुत देरी से और काफी ज्यादा फीस वसूलने के बाद ही चीनी बाजार में प्रवेश करने देती है।
संसदीय समिति ने चीन से ज्यादा मात्रा में आयात के चलते देश में कम हो रही नौकरियों पर चिंता जताई है। सिर्फ चाइनीज सोलर पैनल की डंपिंग की वजह से देश में दो लाख नौकरियां खत्म हुई हैं। सस्ते आयात पर लगाम लगाने के लिए उसने डायरेक्ट्रेट ऑफ एंटी डंपिंग एंड एलाइड ड्यूटीज के सुझावों को सही तरीके से लागू करने को कहा है।
2011-12 तक भारत जर्मनी, फ्रांस, इटली को सोलर पैनल एक्सपोर्ट करता था। लेकिन चीन की डंपिंग के चलते भारत से सोलर पैनल का एक्सपोर्ट रुक गया है। चीन से इंपोर्ट होने वाले सोलर पैनल में एंटीमनी जैसे खतरनाक रसायन होते हैं, जिनके आयात की अनुमति नहीं होनी चाहिए।
मैन्यूफैक्चरिंग घटी, ट्रेडिंग बढ़ी
चीन से ज्यादा आयात की वजह से भारत पर व्यापारियों का देश बनने का संकट मंडरा रहा है। चीन से ज्यादा आयात के चलते घरेलू फैक्ट्री या तो अपने प्रोडक्शन में कटौती कर रही हैं या पूरी तरह बंद हो रही हैं। समिति ने कहा है कि वह देश में देश के छोटे और मझोले कारोबार और उद्योग खत्म होते नहीं देखना चाहती। सोलर पैनल के अलावा स्टील, कपड़ा, पटाखे, साइकिल, खिलौना और दवाई जैसे उद्योगों को भी चीनी सामानों से नुकसान पहुंचा है।
बीस फीसदी की दर से बढ़ रहा है चीन से आयात
यही वजह है कि 2017-18 में चीन के साथ व्यापार घाटा 63 अरब डॉलर का हो गया है जबकि पिछले साल यह 51 अरब डॉलर था। पिछले दस सालों के दौरान हमारा चीन को निर्यात महज 2.5 अरब डॉलर का बढ़ा है जबकि आयात 50 अरब डॉलर का। जहां 2013-14 में हमारे कुल आयात का 11.6 फीसदी चीन से होता था, 2017-18 में यह बढ़कर 20 फीसदी हो गया है। 2013-14 में चीन से आयात की विकास दर 9 फीसदी थी जो अब बढ़कर 20 फीसदी हो गई है।