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चीफ जस्टिस बोले- ‘पत्नी मुझसे भी लड़ती है, क्या मैं भी तलाक ले लूं…’

jharkhand-high-court_1462607484एंजेंसी/  झारखंड हाइकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के सामने जब पति-पत्नी के अलगाव का एक मामला पहुंचा तो उन्होंने ऐसा उदाहरण देकर समझाया कि सात साल से एक दूसरे से अलग रहने वाली दंपति तुरंत साथ रहने को तैयार हो गया। मुख्य न्यायाधीश ने कहा, ‘मेरी पत्नी भी मुझसे लड़ती है, क्या मैं भी उसे छोड़ दूं’। यह सुनते ही दंपति का सारा गुस्सा काफूर हो गया।

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार झारखंड के मुख्य न्यायाधीश वीरेन्द्र सिंह की अदालत में धनबाद निवासी बबन और प्रियंका का मामला पहुंचा था। दोनों की शादी 2008 में हुई थी, लेकिन दंपति ज्यादा दिन तक नहीं बन सकी। 

पति से झगड़े के बाद प्रियंका जल्द ही अपने मायके पहुंच गई। प्रियंका का आरोप था कि ससुराल वाले उससे बात-बात पर टोका टाकी करते हैं। वह आगे पढ़ना चाहती है लेकिन उसे पढ़ने नहीं दिया जाता।

मायके में ही प्रियंका ने एक बच्चे को भी जन्म दिया, जिसके बाद पति बब्बन उसे लेने पहुंचा लेकिन उसने जाने से साफ इंकार कर दिया। इस पर पति धनबाद की कोर्ट में पहुंचा और पत्नी को साथ रखने के लिए अर्जी दायर की। कोर्ट ने दोनों पक्षों को सुनते हुए कुछ शर्तों के साथ बब्बन को पत्नी प्रियंका को घर ले जाने का आदेश दिया।

लेकिन प्रियंका ने इससे साफ इंकार कर दिया और निचली अदालत के खिलाफ हाइकोर्ट में अर्जी दाखिल कर दी। मामला मुख्य न्यायाधीश की अदालत में पहुंचा तो शुक्रवार को सुनवाई की तारीख तय हुई। दोनों पति कोर्ट पहुंचे तो चीफ जस्टिस वीरेन्द्र सिंह ने दोनों पक्षों से बातचीत कर उन्हें समझाया। इस पर प्रियंका ने कहा मैं ससुराल नहीं जाना चाहती वहां रोज झगड़ा होता है। 

यह सुनते ही चीफ जस्टिस ने कहा ‘मेरी पत्नी भी मुझसे झगड़ा करती है क्या मैं उसे छोड़ दूं। झगड़े हर घर में होते हैं और यही झगड़े एक दूसरे के प्रति प्यार और विश्वास को बढ़ाते हैं। लेकिन इसका मतलब ये नहीं ‌कि इससे शादी जैसे पवित्र बंधन को तोड़ दिया जाए।’

चीफ जस्टिस ने जिस अंदाज में दोनों को समझाया उसे सुनते ही सालों से अलग रहने वाली दंपति तुरंत एक दूसरे के साथ रहने को तैयार हो गई। चीफ जस्टिस का यह फैसला दिनभर कोर्ट में चर्चा का विषय बना रहा।

 

 

 

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