रायपुर। लोकसभा चुनाव में राज्य की सत्ताधारी भाजपा ने 11 में से 1० सीटों पर जीत दर्ज की है लेकिन उसके हाथ से दुर्ग की सीट निकल गई। इस सीट पर मिली हार के कारण भाजपा की जीत का जश्न छत्तीसगढ़ में कुछ कम हो गया है। पार्टी पिछले दो चुनावों 2००4 और 2००9 में राज्य की 11 में से 1० सीटें जीती थीं। दूसरी ओर कांग्रेस ने एक सीट जीतकर पिछले चुनाव जैसी हालत में ही है। भाजपा से राजनांदगांव सीट के प्रत्याशी मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के पुत्र अभिषेक सिंह 2 लाख 38 हजार वोटों के अंतर से जीत कर प्रदेश में सबसे अधिक लीड हासिल करने वाले नेता बने हैं। कांग्रेस से पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी महासमुंद में हार गए हैं। एक कड़े मुकाबले में कोरबा से कांग्रेस के प्रत्याशी और केंद्रीय मंत्री डॉ. चरणदास महंत को हार का सामना करना पड़ा है। दुर्ग लोकसभा सीट पर भाजपा की राष्ट्रीय नेत्री सरोज पांडेय को कांग्रेस के ताम्रध्वज साहू ने सोशल इंजीनियरिंग के दम पर शिकस्त दे दी। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदेव साय 2 लाख से अधिक वोटों से जीते। रायपुर लोकसभा से भाजपा के प्रत्याशी रमेश बैस ने लगातार सातवीं जीत दर्ज करते हुए कांग्रेस के सत्यनारायण शर्मा को हरा दिया। बस्तर कांकेर बिलासपुर जांजगीर-चांपा और सरगुजा में भाजपा ने जीत दर्ज करते हुए कांग्रेस को पटखनी दी है। बस्तर में भाजपा प्रत्याशी दिनेश कश्यप ने लगातार दूसरी जीत हासिल की है। उन्होंने वरिष्ठ कांग्रेस नेता स्व. महेंद्र कर्मा के पुत्र दीपक कर्मा को हराया। कांकेर में भाजपा के विक्रम उसेंडी ने कांग्रेस की फूलोदेवी नेताम सरगुजा में कमलभान सिंह (भाजपा) ने कांग्रेस के रामदेवराम जांजगीर-चांपा में कमलादेवी पाटले (भाजपा) ने कांग्रेस के प्रेमचंद जायसी और बिलासपुर में लखनलाल साहू (भाजपा) ने कांग्रेस की करुणा शुक्ला को पराजित किया। छत्तीसगढ़ में देश के चुनाव नतीजे आने पर भाजपा और एनडीए की जीत को लेकर जश्न का माहौल रहा लेकिन दुर्ग में मिली हार पार्टी के लोगों को साल रही है। मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के लिए यह खुशी की बात रही कि उनके पुत्र अभिषेक सिंह ने पहली बार लोकसभा के चुनाव में उतरे और रिकार्ड मतों से जीत हासिल की।
भाजपा और मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह के लिए छत्तीसगढ़ के परिणाम इस लिहाज से अपेक्षा के अनुरूप नहीं रहे कि पार्टी पिछले दो चुनावों में जीत का अपना प्रदर्शन तो दोहरा पाई लेकिन सभी 11 सीटों पर जीत हासिल नहीं कर पाई। यही नहीं पार्टी को इस बात का भी मलाल रहेगा कि देशभर में नरेंद्र मोदी की लहर होने के बावजूद दुर्ग जिले में पार्टी अपनी राष्ट्रीय नेत्री सरोज पांडेय को जीत नहीं दिला पाई। इधर कांगे्रस के लिए एक सीट पर मिली जीत आंशिक संतोष की वजह हो सकती है लेकिन पार्टी को कोरबा में मिली हार कम तकलीफदेह नहीं होगी। 2००9 के चुनाव में कांग्रेस के अकेले विजेता और इसी जीत के दम पर केंद्रीय मंत्री बनने वाले डॉ. चरणदास महंत को बहुत कम वोटों से कड़े मुकाबले में हार का सामना करना पड़ा। लोकसभा चुनाव के पहले भाजपा का दामन छोड़कर कांग्रेस का हाथ थामने वाली पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की भतीजी करुणा शुक्ला को बिलासपुर से करारी शिकस्त का सामना करना पड़ा। उन्हें भाजपा को नए नवेले नेता और प्रत्याशी लखनलाल साहू ने एक लाख से अधिक वोटों से हराया। कांग्रेस को उम्मीद थी कि करुणा शुक्ला के पार्टी में आने से केवल छत्तीसगढ़ में ही नहीं देश के अन्य हिस्सों खासकर उत्तरप्रदेश में भी लाभ मिल सकता है लेकिन ऐसा नहीं हुआ। इधर बस्तर में कांग्रेस को भरोसा था कि झीरम घाटी नक्सली हमले की संवेदनाओं के दम पर बस्तर लोकसभा सीट जीत सकती है लेकिन कांग्रेस की इस उम्मीद पर भी पानी फिर गया। दुर्ग में भाजपा की राष्ट्रीय नेत्री सरोज पांडेय की हार के साथ ही केंद्र की सरकार में छत्तीसगढ़ से एक और मंत्री के प्रतिनिधित्व की संभावनाएं धराशायी हो गईं।