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छत्तीसगढ़ : रायपुर में मिला दुर्लभ सटक सांप

nkaरायपुर। छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में एक दुर्भल प्रजाति का सर्प मिला है। इस सर्प का वैज्ञानिक नाम ‘‘ड्लुमेरिल ब्लैक हैडेड’’ है और स्थानीय भाषा में इसे सटक कहते है। सूबे में सांपों के संरक्षण पर लगातार काम कर रही संस्था नोवा नेचर वेलफेयर सोसाइटी के मुताबिक यह सांप छत्तीसगढ़ और मध्यभारत में आज से पहले कभी नहीं देखा गया। सांपों पर अध्ययन करने वालों के लिए भी यह एक अच्छी खबर है। यह सर्प मूलत: राजस्थान बांग्लादेश और श्रीलंका में पाया जाता है। नोवा नेचर वेलफेयर सोसाइटी के सचिव और सर्प विशेषज्ञ मोईज खान ने बताया कि इस सांप को दुर्लभ प्रजाति में शामिल किया गया है। इसकी मौजूदगी सर्प विशेषज्ञों वाइल्ड लाइफ स्पेशलिस्ट को अध्ययन के लिए छत्तीसगढ़ की ओर खींचेगी। बताया जाता है कि नोवा नेचर की टीम को सूचना मिली कि राजधानी से लगे सरोना रेलवे स्टेशन के पास एक छोटा सांप हैं। टीम के सदस्य जब वहां पहुंचे तो वे खुद आ>र्य में पड़ गए। क्योंकि इससे पहले उन्होंने भी यह सांप नहीं देखा था। इस सांप के बारे में जानकारी जुटाई तो पता चला कि यह सांप अमूमन लकड़ी टालों में मोटे-मोटे लळों के बीच अपना बिल बनाता है। एक बार में 2-4 अंडे देता है। सांप की लंबाई न्यूनतम 1० इंच और अधिकतम 18 इंच तक होती है। छोटी लंबाई वाला यह सांप बिल्कुल भी जहरीला नहीं होता लेकिन इसे पकड़ना आसान नहीं है।
इस सांप की खास बात यह है कि यह दिन-रात सक्रिय रहता है। इस सर्प के संबंध में और अधिक जानकारी जुटाने के लिए सोसाइटी वन विभाग की मदद लेगी। जल्द ही इसके मिलने की सूचना सांप के डिस्ट्रीब्यूशन तय करने वाली संस्था को भेजेगी। ताकि सांपों के डिस्ट्रीब्यूशन संबंधी नक्शे में छत्तीसगढ़ में ‘ड्लुमेरिल ब्लैक हैडेड’ के पाए जाने की जानकारी उपलब्ध हो जाए। सटक को ब्लैक हैडेड इसके सिर और चेहरे में काले रंग की वजह से कहा जाता है। इसका बाकी शरीर सामान्य धारीदार ही होता है। देखने में भले ही यह सांप छोटा दिखाई दे लेकिन यह अपनी ही जाति के छोटे सांपों को अपना निवाला बनाता है। इसका मुख्य भोजन छिपकली चूहे हैं।

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