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छत्‍तीसगढ़ में सरकारी दवा खाकर जवानों को मार रहे नक्सली


दंतेवाड़ा : नक्सलियों से मुठभेड़ के बाद विस्फोट और दीगर सामान के साथ दवाएं बरामद होती हैं। इसमें कुछ महंगी तो कुछ सरकारी दवाएं रहती हैं। नारायणपुर जिले में हुई मुठभेड़ में मिली दवाओं के रैपर पर लॉट नंबर भी अंकित है, जो कहानी कह रहा है कि अंदरूनी इलाकों में तैनात स्वास्थ्य कर्मियों के जरिये गरीबों की दवाएं नक्सलियों तक पहुंच रही हैं। सरकारी दवाओं से नक्सली अपनी सेहत बना रहे हैं और जवानों को नुकसान पहुंचा रहे हैं। गरीबों को मुफ्त उपचार और दवाएं उपलब्ध कराने सरकार हर साल करोड़ों का बजट बनाती है। इसका लाभ ग्रामीणों को कितना मिलता है, यह सब जानते हैं लेकिन इन्हीं सरकारी दवाओं के दम पर नक्सलियों की सेहत दुरुस्त है। इस बात का खुलासा नारायणपुर में हुई मुठभेड़ में एक बार फिर हुआ। यहां सामान्य बुखार और स्नैक वीनम से लेकर गर्भ निरोधक पिल्स भी मिले हैं जबकि ग्रामीण स्मार्ट कार्ड होने के बाद भी इन दवाओं से महरूम रहते हैं।

स्वास्थ्य विभाग में दवाओं की सप्लाई के बाद स्टॉक मिलान और निरीक्षण-अवलोकन तीन स्तरों पर होता है। विभागीय सूत्रों के मुताबिक जिला स्तरीय टीम के अलावा संभाग और राज्य स्तरीय टीम समय-समय पर स्टॉक अवलोकन और मिलान के लिए स्वास्थ्य केंद्र पहुंचती है। बताया जा रहा है कि दो माह पहले दंतेवाड़ा जिले में केंद्र की टीम भी पहुंची थी, जो रैंडम सिस्टम से कुछ चुनिंदा स्वास्थ्य केंद्रों का अवलोकन कर लौट गई। जिले के कटेकल्याण थाना क्षेत्र के कुन्नडब्‍बा में 2016 में हुई मुठभेड़ के बाद बड़ी मात्रा में दवाएं बरामद हुई थीं। इसी तरह करीब छह माह पहले कुआकोंडा इलाके में भी पहाड़ी से नक्सली लीडरों के नाम की पर्ची के साथ महंगी दवाएं बरामद की गई थीं। जांच में इन दवाओं की खरीदी तेलंगाना और ओडिशा से होने की पुष्टि हुई थी। वहीं मलेरिया, बुखार और पेन किलर सहित ब्लड एंटी क्लाट पाउडर, जांच किट सहित स्नैक वीनम और अन्य दवाएं सरकारी सप्लाई की मिली थीं। यह दवाएं किस हॉस्पिटल के लिए सप्लाई हुई थी, इसका खुलासा पुलिस और स्वास्थ्य विभाग नहीं कर रहे हैं। हॉस्पिटलों में दवाओं की सप्लाई मांग पत्र के आार पर छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विस कार्पोरेशन के जरिए होती है। उनका स्टॉक मिलान हर माह होता है। जिला, संभाग और राज्य स्तर पर बनी टीमें हॉस्पिटलों में पहुंचती हैं।

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