जत्थेदार श्री अकाल तख्त साहिब की वायरल वीडियो ने शुरू की नई बहस
लुधियाना- अमृतसर : श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ज्ञानी गुरबचन सिह की इन दिनों सोशल मीडिया पर वायरल हुई एक वीडियो ने सिख पंथ के अंदर नहीं बहस छेड़ दी है। जानकारी के अनुसार सिखों की सर्वोच्च संस्था श्री अकाल तख्त साहिब के सिंह साहिब, जत्थेदार ज्ञानी गुरबचन सिंह की एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुई है, जिसमें सिंह साहिब ने कहा कि सिख मामलों के हल के लिए सिख कौम को एसजीपीसी पर निर्भर नहीं होना चाहिए।इस वीडियो के कारण सिख कौम के अंदर आने वाले समय में कई विवाद पैदा हो सकते है। उधर अकाली दल दिल्ली के अध्यक्ष परमजीत सिंह सरना जो हमेशा ही अकाली दल बादल और एसजीपीसी के विरोध में रहते है उन्होंने इस वायरल हुई वीडियो की प्रशंसा की है। उन्होंने कहा कि दशम ग्रंथ का विवाद सिख कौम के अंदर एक बड़ा विवाद है। इसलिए जत्थेदार श्री अकाल तख्त साहिब को एक फैसला लेते हुए दशम ग्रंथ की विवाद के हल के लिए एक विद्वानों की कमेटी गठित करनी चाहिए। ताकि कौम के अंदर लंबे समय से लंबित पड़े इस विवाद को हल किया जा सके।
वीडियो में यह भी कहा गया है कि अगर संगत दशम ग्रंथ संबंधी आवाज बुलंद करे तभी इस विवाद का हल निकल सकता है। परंतु दशम ग्रंथ का प्रकाश एसजीपीसी के प्रबंधन वाले किसी भी गुरुद्वारा में नहीं होता। विशेष कर श्री अकाल तख्त साहिब पर कभी भी नहीं किया गया है। इसमें सिंह साहिब ने यह भी कहा कि श्री अकाल तख्त साहिब से तीन पत्र एसजीपीसी को जारी किए जा चुके है कि एसजीपीसी विद्वानों की कमेटी गठित की जाए ताकि संगत में इस मुद्दे को लेकर पैदा विवाद का हल निकाला जाए ताकि विद्वानों की रिपोर्ट को पांच साहिबान की बैठक में विचार करके सिख संगत को दिशा निर्देश जारी किए जाएं। पंजाब के दो बाहरी तख्तों पर एक विशेष विचारधारा का हस्तक्षेप है अगर विद्वान कोई फैसला करते है जिस पर पांच सिंह साहिबान का आदेश जारी होता है तो पंजाब के बाहर के दोनों तख्तों पर भी यह फैसला लागू होगा। दशम ग्रंथ को लेकर सिख कौम तीन ग्रुपों में विभाजित है। एक ग्रुप दशम ग्रंथ को गुरु साहिब की रचना मनता है और इस के गुरुद्वारा साहिबों में प्रकाश का पक्षधर है। जबकि दूसरा ग्रुप इस ग्रंथ को कवियों की रचना मानता है। जबकि तीसरा ग्रुप कहता है कि इस में कुछ रचनाएं गुरु साहिब की हो सकती है। कुछ रचनाएं अन्य लोगों की भी हो सकती है। इस संबंध में फैसला होना चाहिए। विद्वानों की कमेटी इसकी जांच करे।