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…जब नेहरू ने बताया अटल को भविष्य का प्रधानमंत्री
एजेन्सी/ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को तो उनकी ही पार्टी के नेता ने ईश्वर का उपहार बताया लेकिन अटल बिहारी वाजपेयी की तारीफ तो स्वयं पूर्व प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने की थी। नेहरू ने अटल को लेकर एक भविष्यवाणी की थी। उन्होंने इस भविष्यवाणी ने कहा था कि वे एक दिन भारत के प्रधानमंत्री बनेंगे। समय के साथ नेहरू की भविष्यवाणी सच साबित हुई।
अटल भारत के उन महान नेताओं में से एक हैं, जिनका विपक्ष भी सम्मान करता है। अटल ने ही संयुक्त राष्ट्रसंघ में देश का प्रतिनिधित्व करते हुए वहां पहली बार हिंदी का परचम लहराया। अटल क महान राजनेता ही नहीं अपितु साहित्यकार, पत्रकार, संपादक व कुशल कवि तथा वक्ता भी रहे हैं। आज भले ही बीमारी के चलते वे ज्यादा नहीं बोल पाते पर अपने वक्त में उनका बोलने का अंदाज निराला व मनमोहक रहा है। उनकी भाषण कला पर नेहरू व इंदिरा जैसे विपक्षी नेता भी फिदा रहे।
राजनीति की पारी
–अटल 1951 में जनसंघ के संस्थापक सदस्यों में से एक थे।
–उनको 1957 में जनसंघ ने तीन लोकसभा सीटों लखनऊ, मथुरा और बलरामपुर से चुनाव लड़ाया। अटल को लखनऊ और मथुरा में हार का सामना करना पड़ा पर बलरामपुर से उन्होंने चुनाव जीत लिया।
–1968 से 1973 तक अटल जी भारतीय जनसंघ के अध्यक्ष भी रहे। अटल बिहारी वाजपेयी नौ बार लोकसभा के लिए चुने गए और 1962 से 1967 और 1986 में राज्यसभा के सदस्य रहे।
–1977 में जनता पार्टी सरकार में विदेश मंत्री बने, इस दौरान संयुक्त राष्ट्र अधिवेशन में उन्होंने हिंदी में भाषण देकर पूरे भारत का सिर गर्व से ऊंचा कर दिया।
–16 मई, 1996 को पहली बार प्रधानमंत्री बने, लेकिन लोकसभा में बहुमत साबित न कर पाने की वजह से 31 मई, 1996 को त्यागपत्र देना पड़ा।
–1998 में एक बार फिर अटल जी प्रधानमंत्री बने, लेकिन जयललिता व अन्नाद्रमुक के द्वारा गठबंधन से सर्मथन वापस ले लेने से उनकी सरकार गिर गई।
–1999 में वाजपेयी ने एक बार फिर प्रधानमंत्री की कुर्सी संभाली। इस बार वे पूरे कार्यकाल के प्रधानमंत्री रहे पर अगले चुनाव से पहले ही अटल जी ने चुनावी राजनीति से संन्यास की घोषणा कर दी।
प्रांम्भिक शिक्षा-दीक्षा
अटल का जन्म शिंदे की छावनी के एक स्कूल टीचर के घर में हुआ था। उनकी प्रारंभिक शिक्षा-दीक्षा ग्वालियर के विक्टोरिया कॉलेज और कानपुर के डीएवी कॉलेज में हुई।
उन्होंने राष्ट्रधर्म, पांचजन्य और वीर अर्जुन जैसे अखबारों का संपादन किया और अपनी कुशलता से तात्कालिक पत्रकारिता के आदर्श बने। 30 जनवरी, 1948 को गांधी जी की हत्या के बाद सरकार ने राष्ट्रधर्म अखबार के कार्यालय सील कर दिया। इसके बाद उन्होंने स्वदेश दैनिक और काशी से प्रकाशित चेतना साप्ताहिक का भी संपादन किया।
पुरस्कार और सम्मान
देश के लिए अपनी अभूतपूर्व सेवाओं के चलते उन्हें वर्ष 1992 में पद्म विभूषण सम्मान से नवाजा गया।
1993 में उन्हें कानपुर विश्वविद्यालय से डॉक्टरेट की उपाधि का सम्मान प्राप्त हुआ।
वर्ष 1994 में अटल बिहारी वाजपेयी को लोकमान्य तिलक अवार्ड से सम्मानित किया गया
वर्ष 1994 में पंडित गोविंद वल्लभ पंत पुरस्कार भी प्रदान किया गया।
वर्ष 1994 में सर्वश्रेष्ठ सांसद का सम्मान।
वर्ष 2015 में देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान, भारत रत्न से नवाजा गया।
वर्ष 2015 में बांग्लादेश द्वारा लिबरेशन वार अवार्ड दिया गया।
वर्ष 2015 में राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने अटल को भारत रत्न से समानित किया।