जब भी जीवनसाथी कहें ‘ना’, इन आठ उपायों को आजमाएं
एजेन्सी/ हमारे प्राचीन ग्रंथों यथा रामायण तथा महाभारत में गृहस्थ जीवन को सफल बनाने वाली बहुत ही बातें बताई गई हैं। इन ग्रंथों में बताया गया है कि किस तरह विवाहित स्त्री तथा पुरुष किस प्रकार अपने जीवनसाथी को प्रसन्न रखते हुए सुखी, सौभाग्यवर्द्धक गृहस्थ जीवन जी सकते हैं।
विवाहित स्त्रियों को नहीं करने चाहिए ये काम
महाभारत में द्रौपदी ने सत्यभामा को पुरुषों को प्रसन्न करने के लिए खास बातें बताई थी। द्रौपदी के अनुसार किसी भी विवाहित स्त्री को निम्न काम नहीं करने चाहिए-
(1) द्रौपदी कहती है- स्त्रियों को कभी भी अपने पति को वश में करने की कोशिश नहीं करनी चाहिए। कुछ स्त्रियां पति को वश में करने के लिए तंत्र-मंत्र, औषधि आदि का उपयोग करती हैं, जो कि नहीं करना चाहिए। यदि किसी प्रकार पति को ये बातें मालूम हो जाएं तो उनका गृहस्थ जीवन समाप्त हो सकता है।
(2) समझदार स्त्री को अपने परिवार के सभी रिश्तों की पूरी जानकारी रखनी चाहिए, एक भी रिश्ता भूल जाए या उसमें कोई ऊंच-नीच हो जाएं तो परिवार में फूट पड़ सकती हैं।
(3) सुखी वैवाहिक जीवन के लिए विवाहित स्त्री को बुरे चरित्र वाली महिलाओं से दूर ही रहना चाहिए। कुचरित्र वाली स्त्रियां स्वयं का तो जीवन खराब करती ही हैं, दूसरों का भी पारिवारिक जीवन नष्ट कर देती हैं।
(4) स्त्री को क्रोध पर नियंत्रण रखना चाहिए। पराए लोगों से व्यर्थ बात करना भी अच्छा नहीं होता है।
विवाहित पुरुषों को नहीं करने चाहिए ये काम
रामायण में भगवान राम एक आदर्श पति का आचरण प्रस्तुत करते हुए बताते हैं कि किस तरह मर्यादाओं में रहकर सफल गृहस्थ जीवन जी सकते हैं। वह स्वयं कहते हैं-
(1) पुरुष को एक पत्नीव्रत ही होना चाहिए तथा उसके प्रति पूरी निष्ठा रखनी चाहिए। भूल कर भी किसी दूसरी स्त्री की तरफ आंख उठाकर नहीं देखनी चाहिए।
(2) पुरुषों को अपनी पत्नी पर पूर्ण विश्वास रखना चाहिए तथा प्रत्येक अवस्था में चाहे सुख हो, दुख हो, मान हो, सम्मान हो, अपनी पत्नी का मान करना चाहिए।
(3) पुरुष को कभी अपनी पत्नी पर क्रोध नहीं करना चाहिए। उल्लेखनीय है कि पूरी रामायण में राम ने न केवल स्वयं की पत्नी सीता के प्रति वरन अन्य स्त्रियों के प्रति भी कभी क्रोध नहीं किया।
(4) पराई स्त्री चाहे कितनी भी सुंदर, सुशील तथा कुलीन क्यों न हो, अपनी पत्नी का सम्मान करते हुए उससे दूर ही रहना चाहिए।