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जब सरकारी कामकाज को ‘सुधारने’ के लिए दो घंटे के लिए क्‍लर्क बन गए डीएम…

patna-dm_650x400_81454876788दस्तक टाइम्स एजेन्सी/पटना: प्रशासन में कार्य संस्कृति को बेहतर बनाने के उद्देश्य से पटना के जिलाधिकारी संजय कुमार अग्रवाल एक लिपिक के कार्य बोझ को महसूस करने के लिए उनकी कुर्सी पर बैठे और कार्यक्षमता में वृद्धि को लेकर आवश्यक सुझाव दिए।

अग्रवाल ने पटना समाहरणालय की विधि शाखा का भ्रमण किया और वहां के एक लिपिक की कुर्सी पर दो घंटे अधिक समय तक बैठे तथा वहां के कार्य बोझ को महसूस किया। उन्‍होंने कार्यप्रणाली को सुचारू बनाने के लिए आवश्यक सुझाव दिए। विधि शाखा की समीक्षा के दौरान जिलाधिकारी ने स्टाम्प लौटाने के 375 मामलों को लंबित पाया, जिनके बारे में कर्मियों के यह बताने पर कि उनके निष्पादन में दो साल लग जाएंगे। अग्रवाल ने उन्हें बताया कि कैसे इसे एक महीने के भीतर निष्पादित किया जा सकता है।

समीक्षा के दौरान जिलाधिकारी ने पाया कि एक महिला जिनकी आयु करीब 65 वर्ष हो चुकी है द्वारा एक जाली आयु प्रमाणपत्र के आधार पर अपनी आयु 55 दिखाकर अभी भी नौकरी पर बनी हुई है। जिलाधिकारी ने डिप्टी कलेक्टर को एक मेडिकल बोर्ड का गठन कर उक्त महिला की आयु के निर्धारण के लिए उनका स्वास्थ्य परीक्षण कराए जाने के लिए मेडिकल बोर्ड गठित किए जाने का निर्देश दिया।

जिलाधिकारी अग्रवाल ने सप्ताह में एक बार जिला प्रशासन की विभिन्न शाखाओं का भ्रमण करने तथा निचले स्तर पर कार्य संस्कृति को बेहतर बनाने के लिए लिपिक की कुर्सी पर बैठने का निर्णय लिया है।

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