सूरत: इस बार का गुजरात विधानसभा चुनाव जितना रोमांचक रहा उतने ही चौंकाने वाले नतीजे सूरत के रहे. गुजरात चुनाव में बीजेपी और कांग्रेस के बीट कांटे की टक्कर देखने को मिली. सूरत में बीजेपी को लोगों का साथ मिला. जीएसटी, पाटीदार और हिंदी भाषी आंदोलनों के बावजूद सूरत के लोगों ने बीजेपी का दामन छोड़कर कांग्रेस का हाथ नहीं थामा. बीजेपी ने यहां 16 विधानसभा सीटों में से 15 पर अपना परचम लहराया है.
जीएसटी के मुद्दे पर एक ही भूल, कमल का फूल का नारा देने वाले सूरत के व्यापारियों ने नाराजगी के बावजूद बीजेपी का दामन छोड़कर कांग्रेस का हाथ नहीं थामा. इसी तरह पाटीदारों का विरोध और हिंदीभाषियों के रेल आंदोलन का भी असर बीजेपी की जीत पर नहीं पड़ा. उसने 16 विधानसभा सीटों में से 15 सीटों पर जीत दर्ज की.
आरक्षण के मुद्दे पर पाटीदारों के विरोध से माना जा रहा था कि पाटीदार बाहुल्य वराछा, करंज, सूरत उत्तर, कामरेज, कतारगाम में से 3 सीटें इस बार बीजेपी से छिन सकती हैं। बीजेपी ने इस बार चुनावी घोषणा पत्र भी जारी नहीं किया था. जिन सीटों पर बीजेपी को झटका लगने की बात की जा रही थी उन पर बीजेपी प्रत्याशी को भारी वोट मिले. सूरतियों ने बीजेपी पर अपना भरोसा कायम रखा.
ये मुद्दे थे बीजेपी के लिए चुनौती
सूरत के नतीजों ने कांग्रेस, हार्दिक सहित सभी को चौंका दिया. इसकी सबसे बड़ी वजह थी जीएसटी, जिसका विरोध सबसे ज्यादा सूरत में ही हुआ था. टेक्सटाइल बाजार पूरे 21 दिन बंद रहा और यह मुद्दा राष्ट्रीय स्तर का बन गया. पाटीदार अनामत आंदोलन के संयोजक हार्दिक पटेल भी रोड शो और रैलियों में हजारों की भीड़ जुटाकर ताकत दिखा चुके थे.