राज्य

जाटों को आरक्षण मामले में हाईकोर्ट ने दिया बड़ा सुझाव, जानिए क्या?

mahapanchayat-for-jat-reservation-in-sonipat_1467559440जाटों सहित 6 जातियों को आरक्षण के खिलाफ दाखिल याचिका पर सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने एक बड़ा सुझाव दिया। पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने आरक्षण की समीक्षा के लिए इसे पिछड़ा वर्ग आयोग के पास भेजने का सुझाव दिया। याची पक्ष की ओर से इस पर आपत्ति दर्ज करते हुए कहा गया कि एक्ट के माध्यम से आरक्षण प्रदान किया गया है और ऐसे में कमीशन इस मामले का निपटारा करने मे सक्षम नहीं है।
 
हाईकोर्ट में वीरवार को डेढ़ घंटे चली बहस के बावजूद भी याची पक्ष की दलीले पूरी नहीं हुई जिसके बाद हाईकोर्ट ने सुनवाई मंगलवार तक टाल दी। मामले में सुनवाई के दौरान याची पक्ष की ओर से दलीलों को आरंभ किया गया। याची पक्ष की ओर से दलील देते हुए कहा गया कि हरियाणा में आरक्षण का लाभ देने के लिए जिस केसी गुप्ता आयोग की रिपोर्ट को आधार बनाया गया है उस रिपोर्ट को सुप्रीम कोर्ट में खारिज किया जा चुका है।

इस पर हाईकोर्ट ने कहा कि यह केंद्र में ओबीसी कोटा में जाटों को शामिल करने के संदर्भ में था और इसका हरियाणा सरकार से सीधा लेना देना कैसे है। याची पक्ष की ओर से एडवोकेट वीके जिंदल ने कहा कि उस मामले में हरियाणा सरकार और याचिकाकर्ता दोनो ही पार्टी थे और ऐसे में सुप्रीम कोर्ट में दिया गया यह आदेश राज्य सरकार पर भी बाध्य है।

कमीशन को मामले में निर्णय लेने का अधिकार है

हाईकोर्ट ने कहा कि जब कमीशन को आरक्षण के मामले में निर्णय का अधिकार है तो क्यों न इस मामले को वहीं भेज दिया जाए। जिंदल ने कहा कि आरक्षण के लिए जो दिशा निर्देष हैं उनके अनुसार केवल आंकड़ों के आधार पर ही आरक्षण का लाभ दिया जा सकता है।
आंकड़े एकत्रित करना अयोग की नहीं सरकार की जिम्मेदारी है। ऐसे में राजस्थान हाईकोर्ट की जजमेंट को आधार बनाकर इस मामले में भी आदेश जारी कर दिए जाएं। हाईकोर्ट ने इसपर सहमति नहीं दी।

हाईकोर्ट ने इस पर पूछा कि जब आंकड़े के आधार पर ही आरक्षण का लाभ दिया जा सकता है तो क्यों नहीं भारत सरकार द्वारा हर 10 वर्ष में एकत्रित किए जाने वाले जनगणना के आंकड़ों को आधार बनाकर आगे केनिर्णय लिए जाते।

बहस के दौरान हाईकोर्ट का समय पूरा होने पर बहस को मंगलवार को जारी रखने के आदेश जारी करते हुए हाईकोर्ट ने सुनवाई टाल दी।

 

Related Articles

Back to top button