दक्षिण की राजनीति के पितामह कहे जाने वाले एम. करुणानिधि का मंगलवार को निधन हो गया. जब भी करुणानिधि की तस्वीर जहन में बनती है, तो काला चश्मा पहने, सफेद कपड़ों में पीला शॉल ओढ़े एक शख्स याद आता है. करुणानिधि पिछले 50 साल से चश्मा पहन रहे थे. जानिए उनके काले चश्मे की पूरी कहानी.
करुणानिधि ने काला चश्मा 1960 के दशक में तब पहनना शुरू किया था, जब एक हादसे में उनकी बायीं आंख जख्मी हो गई. इसके बाद से मोटी फ्रेम का चश्मा करुणानिधि की स्टाइल में शामिल हो गया.
करुणनिधि हमेशा सफेद कपड़े और पीला शॉल पहनते थे.हर रोज वे अपनी दाढ़ी बनाते थे.
पिछले साल करुणनिधि को उनके डॉक्टर ने सलाह दी थी कि वे अपने चश्मे का फ्रेम बदल लें. पूरे देश में करुणानिधि के लिए सूटेबल फ्रेम की तलाश की गई.
40 दिन तक सर्च किए जाने के बाद, जो फ्रेम करुणानिधि काे आरामदायक लगा, उसे जर्मनी से मंगाया गया था.
जर्मनी से इस चश्मे को चेन्नई बेस्ड विजया ऑप्टीकल ने इम्पोर्ट कराया था. ये फ्रेम वजन में बेहद हल्का था.
डॉक्टर्स की सलाह पर करीब 46 साल बाद करुणानिधि ने अपना चश्मा बदला था.
करुणनिधि पिछले एक साल से काफी बीमार थे. वे बाहर नहीं जाते थे, इसलिए उन्हें चश्मे की जरूरत कम ही पड़ती थी. इसी कारण वे आसानी से इसे बदलने के लिए राजी भी हो गए.
ये दिलचस्प है कि करुणानिधि के दोस्त से उनके प्रतिद्वंद्वी बने एमजीआर भी डार्क ग्लासेस पहनते थे. यहां तक कि उन्हें उनके हैट और चश्मे के साथ ही दफनाया गया था.
राजनीति के दो दिग्गज करुणानिधि और एमजीआर ने दक्षिण में डार्क सन ग्लासेस को फैशन में ला दिया है.