जानिए श्रीराम और सीता की उम्र में कितने साल का था अंतर, रामायण का एक और रहस्य
भगवान राम और सीता (Lord Ram & Sita) करोड़ों लोगों के आराध्य देव हैं। दोनों का जीवन आज भी मिसाल है। इस बीच, एक सवाल कई लोगों के मन में उठता है कि भगवान राम और माता सीता के बीच आयु का कितना अंतर था। इसका जवाब रामायण में है। जानिए इसी बारे में –
‘वर्ष अठारह की सिया, सत्ताइस के राम। कीन्हों मन अभिलाष तब, करनो है सुर काम॥’
अर्थात राम और सीता (Lord Ram & Sita) के बीच 9 साल का अंतर था। वहीं वाल्मीकि रामायण के अनुसार, भगवान राम अपनी पत्नी सीता से सात साल और एक महीने बड़े थे। राम के जन्म के सात वर्ष तथा एक माह बाद मिथिला में सीता जी का प्राकट्य हुआ।
माता सीता का जीवन चरित्र स्त्रियों के लिए मार्गदर्शक का कार्य करता है। भगवान राम को प्रसन्न करने के लिए भी देवी जानकी का व्रत किया जाता है। वैष्णव धर्म मत के अनुसार फाल्गुण कृ्ष्ण पक्ष की नवमी तिथि के दिन जानकी नवमी व्रत किया जाता है। यह व्रत वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि तिथि में किया जाता है।
बता दें कि, सीता जी को आद्यशक्ति, सर्वमंगलदायिनी, वरदायनी माना जाता है। पति की लंबी उम्र की कामना और संतान के लिए जानकी नवमी का व्रत किया जाता है। सीता नवमी व्रत सौभाग्यवती स्त्रियां अपने वैवाहिक जीवन की सुख-शान्ति के लिए करती है। मान्यता है कि इस व्रत को करने से भगवान श्रीराम भी प्रसन्न होते है और उनकी कृपा बनी रहती है।
शास्त्र के अनुसार सीता के नाम में उनकी उत्पत्ति का राज छिपा है। मिथिला के राजा महाराज जनक के संतान नहीं थी। एक बार वे संतान प्राप्ति की कामना के लिए यज्ञ करने के लिए यज्ञभूमि तैयार कर रहे थे। उस दौरान एक बालिका प्रकट हुई। उस बालिका का नाम सीता रखा गया। दरअसल, भूमि जोतने के लिए काम आने वाले हल को सीता भी कहा जाता है।
राजा जनक ने बालिका को अपनी पुत्री के रूप में स्वीकार किया, इसलिए वे जानकी और जनक नंदनी कहलाई। मिथिला की राजकुमारी होने से मैथिली तथा राजा जनक के विदेहराज होने के नाते वैदेही नाम से भी जानी जाती है।