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जानें कैसे डेबिट कार्ड से लेन-देन होगा सस्ता

भारतीय रिजर्व बैंक ने डेबिट कार्ड से लेन-देन में व्यापक कटौती का प्रस्ताव किया है। डेबिट कार्ड से पेमेंट पर एमडीआर शुल्क 0.95 प्रतिशत से अधिक नहीं लगेगा।

नई दिल्ली। नोटबंदी के बाद नकदी से लेन-देन कम करने की सरकार की कवायद को आगे बढ़ाते हुए रिजर्व बैंक ने डेबिट कार्ड से लेन-देन पर लगने वाले एमडीआर (मर्चेट डिस्काउंट रेट) शुल्क में व्यापक कटौती का प्रस्ताव किया है।

आरबीआइ के नए नियमों के अमल में आने पर डेबिट कार्ड से ट्रांजैक्शन सस्ता हो जाएगा। डेबिट कार्ड से लेन-देन करने पर 0.95 प्रतिशत से अधिक एमडीआर चार्ज नहीं लगेगा। खास बात यह है कि आरबीआइ के नए नियमों के तहत एमडीआर चार्ज ट्रांजैक्शन के मूल्य पर नहीं, बल्कि मर्चेट की श्रेणी के आधार पर लगेगा, जिससे डेबिट कार्ड से रेल की टिकट खरीदने से लेकर बिजली, पानी और टेलीफोन के बिल जमा करने सहित कई तरह के लेन-देन सस्ते हो जाएंगे। आरबीआइ के नए नियम एक अप्रैल से लागू हो सकते हैं।

आरबीआइ ने गुरुवार को एमडीआर शुल्क घटाने संबंधी परिपत्र का ड्राफ्ट जारी किया। इसमें एमडीआर लगाने के लिए मर्चेट की चार श्रेणियां बनायी गयी हैं। आरबीआइ के अनुसार जिन व्यापारियों का सालाना कारोबार 20 लाख रुपये से कम है और जो जीएसटी की सीमा से बाहर हैं वे ‘लघु व्यापारी’ की श्रेणी में आएंगे और उनसे किए गए लेन-देन की राशि पर 0.40 प्रतिशत से अधिक एमडीआर शुल्क नहीं लगेगा। इस श्रेणी के व्यापारियों ने अगर डिजिटल पीओएस (प्वाइंट ऑफ सेल) जैसे क्यूआरकोड के माध्यम से ट्रांजैक्शन स्वीकार कर रहे हैं तो उस पर एमडीआर शुल्क 0.30 प्रतिशत से अधिक नहीं लगेगा।

इसी तरह विशेष व्यापारियों की एक श्रेणी होगी जिस पर पीओएस मशीन के माध्यम से पेमेंट लेने वाले व्यापारियों पर अधिकतम 0.40 प्रतिशत की दर से एमडीआर शुल्क लगेगा। जबकि डिजिटल पीओएस के माध्यम से पेमेंट स्वीकारने वाले व्यापारियों पर एमडीआर शुल्क 0.30 प्रतिशत से अधिक नहीं होगा।

तीसरी श्रेणी में 20 लाख रुपये से अधिक के सालाना कारोबार वाले सभी गैर-सरकारी व्यापारी आएंगे जिनसे डेबिट कार्ड से लेन-देन पर 0.95 प्रतिशत से अधिक एमडीआर शुल्क नहीं वसूला जाएगा। इस श्रेणी के जो व्यापारी डिजिटल पीओएस के माध्यम से पेमेंट स्वीकार करेंगे उनको किए गए डेबिट कार्ड से पेमेंट पर एमडीआर शुल्क 0.95 प्रतिशत से अधिक नहीं लगेगा।

चौथी श्रेणी सरकारी संस्थाओं की होगी जिनके लिए आरबीआइ ने एक हजार रुपये तक के भुगतान पर पांच रुपये, 1001 से 2000 रुपये तक के भुगतान पर 10 रुपये और 2001 से अधिक के भुगतान पर एमडीआर शुल्क 0.50 प्रतिशत वसूलने का प्रस्ताव किया है। हालांकि सरकारी संस्था को किए गए 2001 से के भुगतान पर एमडीआर शुल्क अधिकतम 250 रुपये ही लिया जा सकेगा।

आरबीआइ ने यह भी स्पष्ट किया है कि बैंकों को सभी व्यापारियों को अपने प्रतिष्ठान पर बोर्ड लगाकर साफ-साफ यह लिखना होगा कि ग्राहकों को किसी भी तरह के सुविधा शुल्क का भुगतान नहीं करना है। आरबीआइ ने डेबिट कार्ड से पेट्रोल और ईधन खरीदने के संबंध में फिलहाल कोई नियम नहीं बनाया है। इस संबंध में आरबीआइ तेल मंत्रालय तथा उद्योग जगत से परामर्श करेगा।

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